भीलवाड़ा. वस्त्रनगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा जिले के खुदरा कपड़ा व्यवसायी और रेडिमेट व्यवसायियों को लॉकडाउन के दौरान काफी समस्या का सामना करना पड़ा है. जिसको लेकर खुदरा कपड़ा विक्रेताओं और ग्राहकों से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से खुदरा कपड़ा व्यवसाय बिल्कुल चौपट हो गया है. दुकान पर ना ग्राहक है ना ही बिक्री हो रही है. यहां तक कि कपड़ा व्यवसायियों की रीड की हड्डी टूट गई है.
खुदरा कपड़ा उद्योग पर कोरोना की मार
वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा जिले के खुदरा कपड़ा व्यवसायियों को भी कोरोना संक्रमण की वजह से लगे लॉकडाउन के दौरान काफी समस्या का सामना करना पड़ा है. भीलवाड़ा जिले में लगभग 1 हजार खुदरा कपड़ा व्यवसायियों की दुकानें हैं. यहां वर्तमान में ना कोई ग्राहक है और ना ही बिक्री हो रही है. यहां तक कि कपड़ा व्यवसाय की दुकान पर काम करने वाले मजदूरों को भी दूसरा काम संभालना पड़ रहा है. जहां दुकानदारों ने चार के स्टाफ के बजाय दो का स्टाफ रखना ही मुनासिब समझा है.
ईटीवी भारत की टीम वस्त्रनगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा शहर के प्रमुख बाजार में पहुंची. यहां विनायक साड़ी के प्रोपराइटर साड़ी विक्रेता सत्यनारायण हिंगड़ ने बताया कि 57 दिन से भीलवाड़ा शहर में कर्फ्यू लगा था. उस दौरान हम घरों में बिल्कुल सुरक्षित रहे, लेकिन 57 दिन में हमारे घर की और व्यापार की आर्थिक अर्थव्यवस्था बिल्कुल चरमरा गई है. जो थोड़े बहुत पैसे थे वो लॉकडाउन में घर खर्च में खत्म हो गए. उसके बाद अब लॉकडाउन खुलने के बाद भी स्थिति ये है कि सुबह से शाम तक दुकान पर ग्राहक आते ही नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि लाइट और पानी का बिल भी जेब से भर रहे हैं. घर के खाने पीने की वस्तुएं खरीदने में भी समस्या आ रही है. कोरोना की वजह से सारी शादी विवाह कैंसिल हो चुके हैं. दीपावली के बाद आगे शादी विवाह होंगे. यहां तक कि बैंकों से लिमिट का ब्याज लग रहा है. वहीं, साड़ी की दुकान पर साड़ी खरीदने आई किरण जैन ने कहा कि हमारे परिवार में शादी है. जहां कोरोना संक्रमण की वजह से 50 आदमी ही शादी में एकत्रित हो पाएंगे. इस बार हम महज 5 साड़ी के बजाय एक साड़ी खरीद पा रहे हैं, क्योंकि हमारा बजट बिगड़ गया है.
वहीं, अन्य दुकान पर सूट खरीदने आई महिला रजनी गहलोत ने कहा कि कोरोना का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है. हम काफी दिनों बाद शॉपिंग करने मार्केट में आए हैं. काफी मंदी चल रही है, घर का बजट बिगड़ गया है. पहले ज्यादा शॉपिंग करते थे आज ना के बराबर शॉपिंग कर रहे हैं.
पढ़ें- भीलवाड़ा में कोरोना का कहर जारी, अब एक ही परिवार के 4 लोग निकले पॉजिटिव
व्यापारियों को उठाना पड़ रहा नुकसान
कपड़े के प्रमुख व्यवसायी कल्पेश चौधरी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान व्यवसायियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन अब व्यापार धीरे-धीरे तरक्की कर रहा है. पूरे जिले में 1 हजार गारमेंट की दुकान है, जिसमें लगभग 3 हजार मजदूर काम करते हैं. जिन पर कोरोना का प्रभाव पड़ा है. उन्होंने कहा कि कर्मचारी को सैलरी नहीं दे पा रहे हैं. कुछ जगह मजदूर भी हटाने पड़े हैं. जहां आवश्यकता के अनुरूप मजदूरों को कम किया है. पहले ट्रांसपोर्ट बंद था इसलिए हमारे पास सामान नहीं पहुंच रहा था अब कुछ सुविधा हुई है.
रेडिमेट कपड़ा विक्रेता सुरेश शर्मा ने कहा कि कोरोना की वजह से व्यापारियों पर प्रभाव पड़ा है. ग्रामीण क्षेत्र में छोटे-छोटे बच्चों के लिए कपड़े खरीदने शहर में नहीं आ रहे है. देश में फैले कोरोना की वजह से मार्केट में बिल्कुल खरीदार नहीं है. अब देखना ये होगा कि आखिर कोरोना संक्रमण की वजह से खुदरा कपड़ा विक्रेता पर प्रभाव पड़ा है, आने वाले समय में व्यापारी तरक्की की ओर बढ़ते हैं या नहीं.