भीलवाड़ा. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भीलवाड़ा जिले में स्थित हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (Vedanta Group Firm HZL) को पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने के मामले में 25 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति (Compensation Of 25 Crore On Hindustan Zinc Limited) करने के निर्देश दिए. जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को 3 महीने के अंदर यह क्षति पूर्ति राशि भीलवाड़ा के जिला कलेक्टर के समक्ष जमा करवाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही 3 सदस्य की कमेटी का गठन किया गया है, जो क्षेत्र में आकलन कर इस समस्या का निराकरण करेगी.
एनजीटी (NGT On HZL) के आदेश के बाद ईटीवी भारत की टीम हुरडा पंचायत समिति क्षेत्र के आगूचा ग्राम पंचायत पहुंची. यहीं हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड स्थित है. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के चारों तरफ खदान से निकले मलबे से बड़े-बड़े कृत्रिम पहाड़ नजर आ रहे हैं. कोठिया ग्राम पंचायत क्षेत्र में कृत्रिम पहाड़ के ऊपर एक बड़ा तालाब बना रखा है, जिससे प्रतिदिन पानी का रिसाव होने के कारण किसानों की जमीन बंजर हो गई है. क्षेत्र के किसानों का ईटीवी भारत पर दर्द छलक पड़ा. बड़ी उम्मीद के साथ जिन किसानों ने रबी की फसल के रूप में सरसों व चने की की बुवाई की थी. वह फसल भी आधी समाप्त हो चुकी है.
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क्षेत्र के किसानों ने पूर्व में राजस्थान संपर्क पोर्टल पर शिकायत (Complaint On Rajasthan Sampark Portal) की थी. जहां शिकायत की जांच करने जिले के फूलियाकला तहसीलदार ने भी मौका मुआयना किया था. उन्होंने भी माना कि पानी के रिसाव के कारण जमीन खराब हो गई ओर फसल चौपट हो गई.
क्षेत्र के कोठीया गांव के किसान सलीम जिनका खलियान हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की तलहटी में है. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की ओर से पर्यावरण का बिल्कुल ख्याल नहीं रखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमारे खलियान के पास बड़े-बड़े कृत्रिम पहाड़ बन गए हैं. हम खेत में काम करते हैं तभी भी हमेशा पत्थर गिरने का डर रहता है.
इन कृत्रिम पहाड़ के ऊपर प्रदूषित पानी का तालाब स्टोरेज कर रखा है. जिसमें से प्रतिदिन पानी का रिसाव होने के कारण हमारी जमीन ऊसर (बंजर) हो गई है. यहा तक की जमीन की मिट्टी भी गीली रहती है. जिसके कारण से खेत में हम जो फसल बोते हैं वह उगने के बाद समाप्त हो जाती है. कुछ जगह तो बीज भी नहीं उगता है. उन्होंने कहा कि इस बार मैंने बड़ी उम्मीद के साथ चने की फसल बोई, वह आधे खेत में अभी समाप्त हो गई है.
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किसान सलीम ने कहा कि भले ही अभी वर्षा ऋतु नहीं है. लेकिन खलियान की मिट्टी गीली नजर आ रही है. उन्होंने प्रशासन पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि हमने बार-बार स्थानीय प्रशासन व जिला प्रशासन से गुहार लगाई. लेकिन कोई हमारी नहीं सुनता. आरोप लगाया कि हिंदुस्तान जिंक के अधिकारियों को इस समस्या से अवगत करवाने पर वह हमें उल्टा डांटते हुए किसी मामले में फंसाने की धमकी देते हैं. साथ ही कहते है कि कलक्टर के पास तो हम बैठे हैं, आप जहां भी जाना चाह रहे हो वहां चले जाओ.
सलीम ने आरोप लगाते हुए कहा कि स्थानीय प्रशासन व जिला प्रशासन की हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के साथ मिलीभगत है. इसी कारण इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है. सलीम के साथ ही उनके भाई ने कहा कि हमने बार-बार शिकायत की, लेकिन अभी तक कोई निराकरण नहीं हुआ है. कृत्रिम पहाड़ पर टेलिंग डैम बना रखा है, जिससे पानी का प्रतिदिन रिसाव होता है और नीचे तलहटी में पानी एकत्रित होता है.
उसको डीजल पंपसेट से वापस हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (Hindustan Zinc Limited In Rajasthan) के परिसर में भेजते हैं. फिर भी यहां हमेशा पानी रिसता रहता है. इसका कोई ठोस समाधान नहीं है. उन्होंने बताया कि मैंने 9 बीघा जमीन में चने की फसल बोई है, लगभग आधी फसल खत्म हो गई. हमारी प्रशासन व सरकार से मांग है कि इस समस्या का तुरंत निराकरण करवाते हुए हमारी फसल का हर्जाना दिलवाया जाए.
एक अन्य किसान ने कहा कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की ओर से पर्यावरण के प्रति खिलवाड़ किया जा रहा है. हमेशा पौधे लगाने के दावे करते हैं. लेकिन चारों तरफ सिर्फ अंग्रेजी बबूल लगे हुए हैं. इनकी फोटो खींचकर ही यह आगे अधिकारियों को बताते हैं जबकि धरातल पर कोई पौधा नहीं लगा हुआ है.