भीलवाड़ा. प्रदेश में इस बार मानसून की सक्रियता कम होने के कारण कई जिलों में पर्याप्त मात्रा में बारिश नहीं हो पाई है. भीलवाड़ा सिंचाई विभाग के अंतर्गत भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिले में गत वर्ष की तुलना में अभी तक आधी बारिश भी नहीं हुई है. जिसमें तीनों जिले के 113 बांधों में से आधे से ज्यादा बांध अभी पानी का इंतजार कर रहे हैं.
प्रदेश में जून और जुलाई माह में मानसून सक्रिय नहीं रहा, लेकिन मध्य अगस्त के बाद धीरे-धीरे मानसून सक्रिय हुआ. भीलवाड़ा सिंचाई विभाग के अंतर्गत भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिले आते हैं. पर्याप्त मात्रा में बारिश नहीं होने के कारण आधे से ज्यादा तालाब बांध अभी भी पानी का इंतजार कर रहे हैं. वहीं किसानों द्वारा बोई गई खरीफ की फसल में मूंग, उड़द, तिल, ग्वार, ज्वार, सोयाबीन और मक्का की फसल के लिए पर्याप्त मात्रा में बारिश हुई है, लेकिन मूसलाधार बारिश नहीं होने के कारण नदी, नाले और तालाब अभी भी पानी का इंतजार कर रहे हैं.
भीलवाड़ा सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता सत्यपाल मीणा ने ईटीवी भारत को बताया कि गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष अभी आधी भी बारिश नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि भीलवाड़ा सिंचाई विभाग के अंतर्गत भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिले आते हैं. इन तीनों जिलों में 113 बांध है, जिनमें से अभी तक आधे बांध पानी का इंतजार कर रहे हैं. भीलवाड़ा में सबसे ज्यादा बारिश 568 मिली मीटर करेड़ा में और सबसे कम खारी बांध आसींद में 177 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है.
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वहीं, चित्तौड़गढ़ जिले में सबसे ज्यादा 725 मिलीमीटर बेगू में और सबसे कम 324 मिलीमीटर चित्तौड़गढ़ में बारिश हुई है. प्रतापगढ़ की बात करें तो प्रतापगढ़ जिले में सबसे ज्यादा 905 मिलीमीटर बारिश पीपलखूंट में हुई है और सबसे कम 522 मिलीमीटर बरसात छोटी सादड़ी में हुई है. गत वर्ष की तुलना में इस बार काफी कम बरसात हुई है और औसत से आधी बरसात ही अब तक हुई है. अगर मानसून इसी तरह सक्रिय रहता है.