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टीवी शो में तलवार से गले पर नारियल तुड़वाने वाले सतनाम बनना चाहते थे सैनिक, लेकिन बन गए 'हुनरबाज'...

Hunarbaaz of Bharatpur : टीवी शो में तलवार से गले पर नारियल तुड़वाने वाले वीर खालसा ग्रुप के सतनाम सैनिक बनना चाहते थे, लेकिन उनका सपना पूरा नहीं हो सका. वे 12 साल की उम्र से हैरतअंगेज करतब दिखा रहे हैं. यहां जानिए भरतपुर के 'हुनरबाज' की कहानी उन्हीं की जुबानी...

Hunarbaaz of Bharatpur
सतनाम के हैरतअंगेज कारनामे
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Published : Feb 11, 2022, 9:50 PM IST

भरतपुर. कलर्स टीवी के रियलिटी शो हुनारबाज-देश की शान में अपने हैरतअंगेज कारनामों (amazing feats of bharatpur person) से सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती, अभिनेत्री परिणीति चौपड़ा, करण जौहर और भारती सिंह को चौंकाने वाले वीर खालसा ग्रुप के सतनाम सिंह का जीवन किसी फिल्म की पटकथा से कम नहीं है.

भरतपुर जिले के सीकरी निवासी सतनाम सिंह ने 12 वर्ष की उम्र से सीख मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था, लेकिन उन्हें असली पहचान पंजाब, तरणतारन के वीर खालसा ग्रुप से जुड़ने और कलर्स के हुनरबाज- देश की शान से मिली. सतनाम सिंह ने बताया कि उनका पहला (Satnam of Bharatpur showed amazing exploits) सपना भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना था, लेकिन पारिवारिक परिस्थितियों के चलते उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका.

क्या कहा सतनाम ने...

12 साल की उम्र से शुरू हुआ सफर : भरतपुर के सीकरी कस्बा निवासी सतनाम सिंह (24) के परिवार में पिता रणजीत सिंह, माता निर्मल कौर, बड़ा भाई सोनू सिंह और चार बहनें हैं. सतनाम सिंह सबसे छोटे हैं. 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई करने के बाद सतनाम ने परिवार की जिम्मेदारियों में हाथ बंटाना शुरू कर दिया. सतनाम सिंह ने बताया कि उन्होंने 12 वर्ष की उम्र से ही उस्ताद भूपेंद्र सिंह के देखरेख में सिर्फ मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था. उस समय सुबह 2 घंटे और शाम को 2 घंटे मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण लेते थे.

पढ़ें : Snake man of Bharatpur: OMG! इनकी उंगलियों पर नाचते हैं सांप

...और बदल गई दिशा : सतनाम सिंह ने बताया कि वह पंजाब के वीर खालसा ग्रुप के बहुत बड़े प्रशंसक थे. एक बार वीर खालसा ग्रुप सवाई माधोपुर में प्रदर्शन करने आया, तो सतनाम भी वहां पर देखने पहुंचे. वीर खालसा का प्रदर्शन पूरा होने के बाद सतनाम सिंह ग्रुप के उस्ताद कंवलजीत सिंह से मिले और उनसे एक ग्रुप से जुड़ने की इच्छा जताई. उस्ताद कंवलजीत सिंह ने उन्हें ग्रुप में शामिल कर लिया और उसके बाद वीर खालसा ग्रुप से जुड़कर उत्तर प्रदेश में करीब चार-पांच शो किए. उसके बाद सतनाम अपने परिवार के पास सीकरी आ गए.

छह दिन के प्रशिक्षण के बाद किया कारनामा : सतनाम सिंह ने बताया कि उनके उस्ताद कंवलजीत सिंह का कॉल आया कि उन्हें एक टीवी शो करना है. उसके बाद हमारा पूरा दल 13 जनवरी को दिल्ली पहुंच गया और 19 जनवरी को फाइनल सूट हो गया. लेकिन शो में गर्दन पर नारियल रखकर तलवार से कटवाने वाले सीन के लिए उस्ताद कंवलजीत सिंह ने करीब छह दिन तक प्रशिक्षण दिया. तब जाकर यह सीन अच्छी तरह से सूट हो सका. इस शो का प्रसारण 6 फरवरी को किया गया.

पढ़ें : शिक्षा और सुविधाओं के मामलों में अव्वल है भरतपुर का यह सरकारी विद्यालय, स्कूल स्टाफ और ग्रामीणों की पहल से बदली तस्वीर

सतनाम सिंह ने बताया कि वह भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहते थे, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों और परिस्थितियों के चलते उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका. अब वो मार्शल आर्ट प्रदर्शन के अलावा दिल्ली में अपने चाचा की सुरक्षा एजेंसी में बाउंसर का काम करते हैं. कलर्स टीवी के रियलिटी शो में प्रदर्शन करने वाले वीर खालसा ग्रुप के 15 सदस्यों में से एक सतनाम सिंह अपनी इस सफलता का श्रेय अपने उस्ताद और वीर खालसा ग्रुप के कंवलजीत सिंह को देते हैं.

भरतपुर. कलर्स टीवी के रियलिटी शो हुनारबाज-देश की शान में अपने हैरतअंगेज कारनामों (amazing feats of bharatpur person) से सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती, अभिनेत्री परिणीति चौपड़ा, करण जौहर और भारती सिंह को चौंकाने वाले वीर खालसा ग्रुप के सतनाम सिंह का जीवन किसी फिल्म की पटकथा से कम नहीं है.

भरतपुर जिले के सीकरी निवासी सतनाम सिंह ने 12 वर्ष की उम्र से सीख मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था, लेकिन उन्हें असली पहचान पंजाब, तरणतारन के वीर खालसा ग्रुप से जुड़ने और कलर्स के हुनरबाज- देश की शान से मिली. सतनाम सिंह ने बताया कि उनका पहला (Satnam of Bharatpur showed amazing exploits) सपना भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना था, लेकिन पारिवारिक परिस्थितियों के चलते उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका.

क्या कहा सतनाम ने...

12 साल की उम्र से शुरू हुआ सफर : भरतपुर के सीकरी कस्बा निवासी सतनाम सिंह (24) के परिवार में पिता रणजीत सिंह, माता निर्मल कौर, बड़ा भाई सोनू सिंह और चार बहनें हैं. सतनाम सिंह सबसे छोटे हैं. 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई करने के बाद सतनाम ने परिवार की जिम्मेदारियों में हाथ बंटाना शुरू कर दिया. सतनाम सिंह ने बताया कि उन्होंने 12 वर्ष की उम्र से ही उस्ताद भूपेंद्र सिंह के देखरेख में सिर्फ मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था. उस समय सुबह 2 घंटे और शाम को 2 घंटे मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण लेते थे.

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...और बदल गई दिशा : सतनाम सिंह ने बताया कि वह पंजाब के वीर खालसा ग्रुप के बहुत बड़े प्रशंसक थे. एक बार वीर खालसा ग्रुप सवाई माधोपुर में प्रदर्शन करने आया, तो सतनाम भी वहां पर देखने पहुंचे. वीर खालसा का प्रदर्शन पूरा होने के बाद सतनाम सिंह ग्रुप के उस्ताद कंवलजीत सिंह से मिले और उनसे एक ग्रुप से जुड़ने की इच्छा जताई. उस्ताद कंवलजीत सिंह ने उन्हें ग्रुप में शामिल कर लिया और उसके बाद वीर खालसा ग्रुप से जुड़कर उत्तर प्रदेश में करीब चार-पांच शो किए. उसके बाद सतनाम अपने परिवार के पास सीकरी आ गए.

छह दिन के प्रशिक्षण के बाद किया कारनामा : सतनाम सिंह ने बताया कि उनके उस्ताद कंवलजीत सिंह का कॉल आया कि उन्हें एक टीवी शो करना है. उसके बाद हमारा पूरा दल 13 जनवरी को दिल्ली पहुंच गया और 19 जनवरी को फाइनल सूट हो गया. लेकिन शो में गर्दन पर नारियल रखकर तलवार से कटवाने वाले सीन के लिए उस्ताद कंवलजीत सिंह ने करीब छह दिन तक प्रशिक्षण दिया. तब जाकर यह सीन अच्छी तरह से सूट हो सका. इस शो का प्रसारण 6 फरवरी को किया गया.

पढ़ें : शिक्षा और सुविधाओं के मामलों में अव्वल है भरतपुर का यह सरकारी विद्यालय, स्कूल स्टाफ और ग्रामीणों की पहल से बदली तस्वीर

सतनाम सिंह ने बताया कि वह भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहते थे, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों और परिस्थितियों के चलते उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका. अब वो मार्शल आर्ट प्रदर्शन के अलावा दिल्ली में अपने चाचा की सुरक्षा एजेंसी में बाउंसर का काम करते हैं. कलर्स टीवी के रियलिटी शो में प्रदर्शन करने वाले वीर खालसा ग्रुप के 15 सदस्यों में से एक सतनाम सिंह अपनी इस सफलता का श्रेय अपने उस्ताद और वीर खालसा ग्रुप के कंवलजीत सिंह को देते हैं.

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