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आगरा बॉर्डर का निरीक्षण करने पहुंचे चिकित्सा राज्य मंत्री सुभाष गर्ग

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Published : May 15, 2020, 9:48 AM IST

चिकित्सा राज्य मंत्री बुधवार को आगरा बॉर्डर का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे. जहां बॉर्डर पर समाजसेवियों द्वारा पलायन करने वाले मजदूरों के लिए खाना बनाया जा रहा. इस दौरान मंत्री ने उनसे बातचीत की. साथ ही बॉर्डर की ओर बने एक शेल्टर होम का भी मंत्री गर्ग ने निरीक्षण किया. मंत्री गर्ग ने बताया कि अभी तक 50 से 60 हजार मजदूर राजस्थान से पलायन कर चुके हैं.

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चिकित्सा राज्य मंत्री ने किया बॉर्डर का दौरा

भरतपुर. देश में फैली कोरोना महामारी के चलते सबसे ज्यादा संकट ऐसे मजदूरों पर आया है, जो कि अपने शहरों को छोड़ दूसरे शहरों में मजदूरी किया करते हैं. लॉकडाउन के बाद सभी कारखाने और फैक्ट्रियां बंद होने के बाद मजदूर वर्ग के सामने उनके खाने-पीने की समस्या पैदा हो गई है. जिसके बाद मजदूर अपने घरों की तरफ पलायन करने लगे, लेकिन साधन नहीं होने के कारण मजदूर पैदल और साइकिल के सहारे ही अपने घर जाने को मजबूर हो गए.

चिकित्सा राज्य मंत्री ने किया बॉर्डर का दौरा

अब सबसे बड़ी समस्या मजदूरों के सामने खड़ी है कि उत्तर प्रदेश बॉर्डर पूरी तरह सीज हो चुका है. उत्तर प्रदेश पुलिस अपने राज्य के मजदूरों के अलावा किसी अन्य राज्य के मजदूरों को राज्य में प्रवेश नहीं करने दे रही है. जिसके बाद मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड के मजदूरों के सामने बड़ी समस्या पैदा हो गई है कि वे अपने घरों तक कैसे जाएं.

बुधवार को चिकित्सा राज्य मंत्री सुभाष गर्ग आगरा बॉर्डर का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे. जहां बॉर्डर पर समाजसेवियों द्वारा पलायन करने वाले मजदूरों के लिए खाना बनाया जा रहा था. इस दौरान उन्होंने उनसे बातचीत की. साथ ही बॉर्डर पर बने एक शेल्टर होम का भी गर्ग ने निरीक्षण किया. गर्ग ने बताया कि अभी तक 50 से 60 हजार मजदूर राजस्थान से पलायन कर चुके हैं. जिसके लिए भामाशाहों और दानदाताओं और सरकार की ओर से सभी मजदूरों को खाने-पीने की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है. साथ ही राज्य सरकार की ओर से मजदूरों को बसों से उनके राज्यों तक पहुंचाया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि कोशिश यही है कि कोई मजदूर भरतपुर से निकले तो वह भूखा प्यासा ना रहे. इसके अलावा मथुरा और आगरा बॉर्डर पर शेल्टर होम बनाया गया है. जहां मजदूरों को रहने के लिए व्यवस्था करवाई गई है. राजस्थान सरकार ने मजदूरों के लिए पर्याप्त व्यवस्था की है. जहां आने वाले समय सभी मजदूरों को उनके घरों तक भेजने की व्यवस्था की जा रही है. जिसके लिए सरकार अपने काम में लगी हुई है.

पढ़ें- 119 में से 114 मरीजों ने जीती जंग, ICMR भरतपुर मॉडल को करेगी देश में रिप्रेजेंट

बताया जा रहा है कि जो मजदूर पलायन करके आ रहे हैं, ज्यादातर वह संक्रमित निकल रहे हैं. भरतपुर जिले में भी जितने कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं वह बाहर से आये हुए लोग हैं. इसके अलावा भरतपुर के लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि 120 कोरोना पॉजिटिव मरीजों में से 114 की रिपोर्ट नेगेटिव आई है. अभी तक 19 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. अगर इसमें में कोई भी व्यक्ति पॉजिटिव मिलता है तो ग्रामीण इलाकों में खतरा बढ़ सकता है, इसलिए जब तक जागरूकता नहीं होगी तब तक महामारी पर जीत नहीं पाई जा सकेगी.

भरतपुर. देश में फैली कोरोना महामारी के चलते सबसे ज्यादा संकट ऐसे मजदूरों पर आया है, जो कि अपने शहरों को छोड़ दूसरे शहरों में मजदूरी किया करते हैं. लॉकडाउन के बाद सभी कारखाने और फैक्ट्रियां बंद होने के बाद मजदूर वर्ग के सामने उनके खाने-पीने की समस्या पैदा हो गई है. जिसके बाद मजदूर अपने घरों की तरफ पलायन करने लगे, लेकिन साधन नहीं होने के कारण मजदूर पैदल और साइकिल के सहारे ही अपने घर जाने को मजबूर हो गए.

चिकित्सा राज्य मंत्री ने किया बॉर्डर का दौरा

अब सबसे बड़ी समस्या मजदूरों के सामने खड़ी है कि उत्तर प्रदेश बॉर्डर पूरी तरह सीज हो चुका है. उत्तर प्रदेश पुलिस अपने राज्य के मजदूरों के अलावा किसी अन्य राज्य के मजदूरों को राज्य में प्रवेश नहीं करने दे रही है. जिसके बाद मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड के मजदूरों के सामने बड़ी समस्या पैदा हो गई है कि वे अपने घरों तक कैसे जाएं.

बुधवार को चिकित्सा राज्य मंत्री सुभाष गर्ग आगरा बॉर्डर का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे. जहां बॉर्डर पर समाजसेवियों द्वारा पलायन करने वाले मजदूरों के लिए खाना बनाया जा रहा था. इस दौरान उन्होंने उनसे बातचीत की. साथ ही बॉर्डर पर बने एक शेल्टर होम का भी गर्ग ने निरीक्षण किया. गर्ग ने बताया कि अभी तक 50 से 60 हजार मजदूर राजस्थान से पलायन कर चुके हैं. जिसके लिए भामाशाहों और दानदाताओं और सरकार की ओर से सभी मजदूरों को खाने-पीने की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है. साथ ही राज्य सरकार की ओर से मजदूरों को बसों से उनके राज्यों तक पहुंचाया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि कोशिश यही है कि कोई मजदूर भरतपुर से निकले तो वह भूखा प्यासा ना रहे. इसके अलावा मथुरा और आगरा बॉर्डर पर शेल्टर होम बनाया गया है. जहां मजदूरों को रहने के लिए व्यवस्था करवाई गई है. राजस्थान सरकार ने मजदूरों के लिए पर्याप्त व्यवस्था की है. जहां आने वाले समय सभी मजदूरों को उनके घरों तक भेजने की व्यवस्था की जा रही है. जिसके लिए सरकार अपने काम में लगी हुई है.

पढ़ें- 119 में से 114 मरीजों ने जीती जंग, ICMR भरतपुर मॉडल को करेगी देश में रिप्रेजेंट

बताया जा रहा है कि जो मजदूर पलायन करके आ रहे हैं, ज्यादातर वह संक्रमित निकल रहे हैं. भरतपुर जिले में भी जितने कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं वह बाहर से आये हुए लोग हैं. इसके अलावा भरतपुर के लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि 120 कोरोना पॉजिटिव मरीजों में से 114 की रिपोर्ट नेगेटिव आई है. अभी तक 19 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. अगर इसमें में कोई भी व्यक्ति पॉजिटिव मिलता है तो ग्रामीण इलाकों में खतरा बढ़ सकता है, इसलिए जब तक जागरूकता नहीं होगी तब तक महामारी पर जीत नहीं पाई जा सकेगी.

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