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सावधान!...खेती की जमीन हो रही 'बीमार'..मृदा हेल्थ कार्ड में सामने आया सच

अपने स्वार्थ की खातिर अब किसान मिट्टी की ले लेने पर आमादा है..ये हम नहीं कर रहे यह चौंकाने वाला तथ्य कृषि विभाग की मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में बीते करीब पौने 3 साल के दौरान तैयार किए गए 'मृदा हेल्थ कार्ड' में सामने आया है. देखिए भरतपुर से स्पेशल रिपोर्ट...

Bharatpur soil test, Micronutrient deficiency
खेती की जमीन हो रही 'बीमार'
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Published : Dec 16, 2019, 7:27 PM IST

भरतपुर. जिले में किसानों की अधिक पैदावार उठाने की मंशा खेतों को बीमार कर रही है. जिले का किसान ज्यादा फसल के चक्कर में लगातार सघन खेती कर रहा है, लेकिन खेतों में पर्याप्त मात्रा में माइक्रो न्यूटेंट यानी कि सूक्ष्म पोषक तत्व नहीं दे रहा है. जिसकी वजह से यहां के खेत लगातार 'बीमार' पड़ रहे हैं. यह चौंकाने वाला तथ्य कृषि विभाग की मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में बीते करीब पौने 3 साल के दौरान तैयार किए गए 'मृदा हेल्थ कार्ड' में सामने आया है.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: रासायनिक खेती से तौबा! घटती उर्वरक क्षमता से किसान परेशान

सघन खेती के कारण कमजोर हो रहे खेत
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक देशराज सिंह ने बताया कि जिले का किसान लगातार सघन खेती कर रहा है. वर्ष भर में किसान एक ही खेत में दो से तीन फसलें लेने की कोशिश करता है, लेकिन खेत में सूक्ष्म पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं दिए जा रहे. जिसकी वजह से लगातार खेत की मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी आ रही है और पैदावार भी घट रही है. संयुक्त निदेशक देशराज सिंह ने बताया मिट्टी के परीक्षण के बाद जिस जमीन में जिस किसी पोषक तत्व की कमी पाई जाती है. उस किसान को उसके खेत में उसी से संबंधित उर्वरक देने की सलाह दी जाती है.

Bharatpur soil test, Micronutrient deficiency
इन पोषक तत्वों की आ रही मृदा में कमी

पौने 3 साल में तैयार किए 82 हजार से अधिक हेल्थ कार्ड
कृषि विभाग की मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला के कनिष्ठ वैज्ञानिक सहायक संजय कुमार ने बताया कि वर्ष 2017 18 से अब तक जिले भर के करीब 82,707 मृदा हेल्थ कार्ड तैयार किए जा चुके हैं. प्रयोगशाला में मिट्टी की पांच प्रकार की जांच की जाती है. जिनमें अम्लता/क्षारीयता, जैविक कार्बन, फास्फोरस, पोटाश, जस्ता, लोहा, ताम्बा और मैगनीज शामिल है. संजय कुमार ने बताया कि दिन भर में करीब मिट्टी के 100 सैंपलों की जांच हो पाती है.

पढ़ें- Exclusive: पद्मश्री से सम्मानित किसान जगदीश पारीक के खेती में अनूठे प्रयोग...ईटीवी भारत को बताया कैसे करते हैं जैविक खेती

गौरतलब है कि अत्यधिक उत्पादन के लिए किसान लगातार यूरिया और अन्य संसाधनों का बहुतायत में इस्तेमाल करता है, लेकिन खेत में जरूरी पोषक तत्वों का ख्याल नहीं रखा जाता. इससे जहां खेत कमजोर हो रहे हैं वहीं उनकी उत्पादकता भी लगातार घट रही है. कृषि विभाग की ओर से मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में मिट्टी की जांच कर ऐसे ही किसानों को जागरूक किया जाता है और उनके खेतों की पूर्व रखता बढ़ाने का सुझाव दिया जाता है.

भरतपुर. जिले में किसानों की अधिक पैदावार उठाने की मंशा खेतों को बीमार कर रही है. जिले का किसान ज्यादा फसल के चक्कर में लगातार सघन खेती कर रहा है, लेकिन खेतों में पर्याप्त मात्रा में माइक्रो न्यूटेंट यानी कि सूक्ष्म पोषक तत्व नहीं दे रहा है. जिसकी वजह से यहां के खेत लगातार 'बीमार' पड़ रहे हैं. यह चौंकाने वाला तथ्य कृषि विभाग की मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में बीते करीब पौने 3 साल के दौरान तैयार किए गए 'मृदा हेल्थ कार्ड' में सामने आया है.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: रासायनिक खेती से तौबा! घटती उर्वरक क्षमता से किसान परेशान

सघन खेती के कारण कमजोर हो रहे खेत
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक देशराज सिंह ने बताया कि जिले का किसान लगातार सघन खेती कर रहा है. वर्ष भर में किसान एक ही खेत में दो से तीन फसलें लेने की कोशिश करता है, लेकिन खेत में सूक्ष्म पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं दिए जा रहे. जिसकी वजह से लगातार खेत की मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी आ रही है और पैदावार भी घट रही है. संयुक्त निदेशक देशराज सिंह ने बताया मिट्टी के परीक्षण के बाद जिस जमीन में जिस किसी पोषक तत्व की कमी पाई जाती है. उस किसान को उसके खेत में उसी से संबंधित उर्वरक देने की सलाह दी जाती है.

Bharatpur soil test, Micronutrient deficiency
इन पोषक तत्वों की आ रही मृदा में कमी

पौने 3 साल में तैयार किए 82 हजार से अधिक हेल्थ कार्ड
कृषि विभाग की मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला के कनिष्ठ वैज्ञानिक सहायक संजय कुमार ने बताया कि वर्ष 2017 18 से अब तक जिले भर के करीब 82,707 मृदा हेल्थ कार्ड तैयार किए जा चुके हैं. प्रयोगशाला में मिट्टी की पांच प्रकार की जांच की जाती है. जिनमें अम्लता/क्षारीयता, जैविक कार्बन, फास्फोरस, पोटाश, जस्ता, लोहा, ताम्बा और मैगनीज शामिल है. संजय कुमार ने बताया कि दिन भर में करीब मिट्टी के 100 सैंपलों की जांच हो पाती है.

पढ़ें- Exclusive: पद्मश्री से सम्मानित किसान जगदीश पारीक के खेती में अनूठे प्रयोग...ईटीवी भारत को बताया कैसे करते हैं जैविक खेती

गौरतलब है कि अत्यधिक उत्पादन के लिए किसान लगातार यूरिया और अन्य संसाधनों का बहुतायत में इस्तेमाल करता है, लेकिन खेत में जरूरी पोषक तत्वों का ख्याल नहीं रखा जाता. इससे जहां खेत कमजोर हो रहे हैं वहीं उनकी उत्पादकता भी लगातार घट रही है. कृषि विभाग की ओर से मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में मिट्टी की जांच कर ऐसे ही किसानों को जागरूक किया जाता है और उनके खेतों की पूर्व रखता बढ़ाने का सुझाव दिया जाता है.

Intro:स्पेशल स्टोरी

भरतपुर.
भरतपुर जिले में किसानों की अधिक पैदावार उठाने की मंशा खेतों को बीमार कर रही है। जिले का किसान अतीक अहमद ने के चक्कर में लगातार सघन खेती कर रहा है लेकिन खेतों में पर्याप्त मात्रा में माइक्रो न्यूटेंट यानी कि सूक्ष्म पोषक तत्व नहीं दे रहा है जिसकी वजह से यहां के खेत लगातार 'बीमार' पड़ रहे हैं।
यह चौंकाने वाला तथ्य कृषि विभाग की मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में बीते करीब पौने 3 साल के दौरान तैयार किए गए 'मृदा हेल्थ कार्ड' में सामने आया है।


Body:सघन खेती के कारण कमजोर हो रहे खेत
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक देशराज सिंह ने बताया कि जिले का किसान लगातार सघन खेती कर रहा है। वर्ष भर में किसान एक ही खेत में दो से तीन फसलें लेने की कोशिश करता है लेकिन खेत में सूक्ष्म पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं दिए जा रहे। जिसकी वजह से लगातार खेत की मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी आ रही है और पैदावार भी घट रही है।
संयुक्त निदेशक देशराज सिंह ने बताया मिट्टी के परीक्षण के बाद जिस जमीन में जिस किसी पोषक तत्व की कमी पाई जाती है उस किसान को उसके खेत में उसी से संबंधित उर्वरक देने की सलाह दी जाती है।

इन पोषक तत्वों की आ रही कमी
- लोहा
-जस्ता
- नाइट्रोजन
- फास्फोरस
- पोटास


पौने 3 साल में तैयार किए 82 हजार से अधिक हेल्थ कार्ड
कृषि विभाग की मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला के कनिष्ठ वैज्ञानिक सहायक संजय कुमार ने बताया कि वर्ष 2017 18 से अब तक जिले भर के करीब 82,707 मृदा हेल्थ कार्ड तैयार किए जा चुके हैं। प्रयोगशाला में मिट्टी की पांच प्रकार की जांच की जाती है जिनमें अम्लता/क्षारीयता, जैविक कार्बन, फास्फोरस, पोटाश, जस्ता, लोहा, ताम्बा और मैगनीज शामिल है। संजय कुमार ने बताया कि दिन भर में करीब मिट्टी के 100 सैंपलों की जांच हो पाती है।


Conclusion:गौरतलब है कि अत्यधिक उत्पादन के लिए किसान लगातार यूरिया और अन्य संसाधनों का बहुतायत में इस्तेमाल करता है। लेकिन खेत में जरूरी पोषक तत्वों का ख्याल नहीं रखा जाता इससे जहां खेत कमजोर हो रहे हैं वहीं उनकी उत्पादकता भी लगातार घट रही है। कृषि विभाग की ओर से मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में मिट्टी की जांच कर ऐसे ही किसानों को जागरूक किया जाता है और उनके खेतों की पूर्व रखता बढ़ाने का सुझाव दिया जाता है।

बाईट 1- देशराज सिंह, संयुक्त निदेशक, कृषि विभाग, भरतपुर( ब्लेज़र में)

बाईट 2- संजय कुमार, कनिष्ठ वैज्ञानिक सहायक, मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला, भरतपुर।(जर्सी में)

सादर
श्यामवीर सिंह
भरतपुर।
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