भरतपुर. जयपुर विद्युत वितरण निगम के भरतपुर जोन के मुख्य अभियंता ने भरतपुर जोन को घाटे से उबारने के लिए सराहनीय कदम उठाया है. बढ़ती विद्युत चोरी और छीजत पर लगाम लगाने के लिए मुख्य अभियंता ने पूरे जोन में छापामार कार्रवाई के बजाय घर-घर जाकर उपभोक्ताओं को जागरूक करने और बिजली कनेक्शन लेने के लिए प्रोत्साहित कराया.
साथ ही नए उपभोक्ता जोड़ने के लिए जोन के प्रत्येक जिले में समय-समय पर शिविर भी आयोजित किए. यही वजह है कि बीते महज 20 दिन में ही पूरे जोन में विद्युत विभाग से 10,000 नए उपभोक्ता जुड़ गए हैं. यही नहीं मुख्य अभियंता बीएल पचेरवाल की मानें तो 31 मार्च तक पूरे जोन में 60 हजार नए विद्युत उपभोक्ता जोड़ना उनका लक्ष्य है.
पूरे जोन में जुड़े 9977 नए उपभोक्ता...
मुख्य अभियंता बी एल पचेरवाल ने बताया कि 11 दिसंबर 2019 से शुरू किए गए इस अभियान के तहत 31 दिसंबर तक भरतपुर, धौलपुर, करौली और सवाई माधोपुर में शिविर आयोजित किए गए. इस दौरान पूरे जोन में 9977 नए उपभोक्ता जुड़े हैं.
डोर-टू-डोर अभियान...
उन्होंने बताया कि 31 मार्च 2020 तक यह शिविर जारी रहेंगे. इसके लिए अभियान के तहत कनिष्ठ और सहायक अभियंता को डोर टू डोर भेज कर लोगों को जागरूक भी किया गया. उक्त अवधि तक 60 हजार नए उपभोक्ता जोड़ना निगम का लक्ष्य है.
मुख्य अभियंता पचेरवाल ने बताया कि भरतपुर के इस प्रयास को विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक ने भी काफी सराहा है और प्रदेश के अन्य जोन को भी भरतपुर की तर्ज पर कार्य करने के निर्देश दिए हैं.
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यहां इतने नए उपभोक्ता जुड़े...
- भरतपुर - 3995
- धौलपुर - 2022
- करौली - 1464
- सवाई माधोपुर - 2496 उपभोक्ता जुड़े
रूपवास, डीग, कुम्हेर और कामां में सर्वाधिक विद्युत घाटा...
भरतपुर जिले के कई क्षेत्रों में विद्युत चोरी अधिक होने की वजह से बिजली विभाग को काफी घाटा झेलना पड़ रहा है. जिले के रूपवास, डीग, कुम्हेर और कामां में सर्वाधिक विद्युत चोरी की वजह से निगम को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
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दिसंबर 2019 में यहां इतना घाटा...
- भरतपुर A-3 - 49. 44 प्रतिशत
- नदबई - 36.90 प्रतिशत
- उच्चैन - 46. 85 प्रतिशत
- बयाना - 45.73 प्रतिशत
- रूपवास - 57. 49 प्रतिशत
- वैर - 25.74 प्रतिशत
- छौकरवाड़ा - 47.85 प्रतिशत
- डीग - 57.12 प्रतिशत
- कुम्हेर - 51.36 प्रतिशत
- नगर- 49.38 प्रतिशत
- कामां - 56.94 प्रतिशत
गौरतलब है कि भरतपुर में विद्युत छीजत और चोरी की वजह से निगम को काफी घाटा उठाना पड़ रहा है. इसी को कम करने के लिए मुख्य अभियंता ने यह कदम उठाया है. सिर्फ दिसंबर 2019 की बात करें तो विद्युत निगम को औसतन 47 प्रतिशत घाटा हुआ है.