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Special: भरतपुर की उपभोक्ता दुकानों पर दवाईयों की किल्लत, पेंशनर्स की मुसीबत बढ़ी

राजस्थान में उपभोक्ता दुकानों पर पेंशनर्स को मेडिकल डायरी पर नि:शुल्क दवाई उपलब्ध कराई जाती है, लेकिन जिले के भरतपुर की दवाई दुकानों पर बीपी, शुगर और दिल की बीमारियां समेत 30 फीसदी दवाईयां उपलब्ध ही नहीं हैं. जिससे पेंशनरों को उम्र के इस ढलते पड़ाव पर लाइनें लगानी पड़ रही है. देखिए ईटीवी भारत की यह स्पेशल रिपोर्ट...

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उपभोक्ता भंडार की दुकानों पर दवाईयों की कमी
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Published : Jan 24, 2020, 3:30 PM IST

भरतपुर. पेंशनर्स को मेडिकल डायरी पर सरकार की तरफ से नि:शुल्क दवाएं उपलब्ध करवाने की सुविधा दी गई है, लेकिन मेडिकल दवाईयों पर अगर दवाईयां ही न मिलें तो बेचारे पेंशनर्स करें तो क्या करें. ऐसा ही एक मामला भरतपुर से सामने आया है. यहां के मेडिकल दुकानों पर बीपी, शुगर और हार्ट की महत्वपूर्ण दवाईयां भी पेंशनरों को नहीं मिल रही है.

उपभोक्ता भंडार की दुकानों पर दवाईयों की कमी

दरअसल पेंशनरों की सुविधा के लिए सरकारी अस्पतालों में संचालित उपभोक्ता भंडार के दवाई दुकानों पर इन दिनों कई महत्वपूर्ण दवाइयों की कमी नजर आ रही है. हालात यह हैं, कि उपभोक्ता भंडार के दवाई दुकानों पर इन दिनों करीब 30 फीसदी दवाइयों की कमी देखने को मिल रही है.

यह भी पढ़ें- डूंगरपुर: बालिका दिवस पर जागरूकता रैली, 'बेटी को अधिकार दो, बेटों जैसा प्यार दो'

इतना ही नहीं इन दुकानों पर पेंशनरों को बीपी, शुगर और हृदय रोगों से संबंधित महत्वपूर्ण दवाईयां भी उपलब्ध नहीं हो पा रहीं हैं. जिसके चलते बाहर से खरीदी गई दवाईयों की एनओसी के भुगतान के लिए भी पेंशनर्स को महीनों इंतजार करना पड़ता है. यही वजह है, कि सैकड़ों पेंशनर्स का लाखों रुपए का भुगतान भी पेंडिंग है. वहीं जिम्मेदारों का कहना है, कि स्टॉकिस्टों का भुगतान नहीं होने की वजह से दवाईयों की सप्लाई बाधित हुई है.

पेंशनर्स का 3 करोड़ 70 लाख रुपए बकाया

जिला सहकारी उपभोक्ता भंडार के मेडिकल प्रभारी प्रदीप शर्मा ने बताया, कि जो दवाई, उपभोक्ता भंडार की दुकानों पर उपलब्ध नहीं हो पाती हैं, उन्हें पेंशनर प्राइवेट दुकानों से लेकर आते हैं और उनकी एनओसी लगाते हैं. ऐसे में ट्रेजरी में पेंशनर्स का करीब 3 करोड़ 70 लाख रुपए का भुगतान बकाया है.

यह भी पढ़ें- कोटा : रिश्वतखोर वनरक्षक गिरफ्तार, 'चाय की दुकान पर रखवाता था रिश्वत की राशि'

इसलिए कम हो रही दवाईयों की सप्लाई

प्रदीप शर्मा के मुताबिक स्टॉकिस्टों की तरफ से उपभोक्ता भंडार की दुकानों पर दवाईयों की सप्लाई की जाती है. उनको लंबे समय से पूरा भुगतान नहीं हो पा रहा है. ऐसे में अस्पतालों में स्थित उपभोक्ता भंडार की दवाई दुकानों पर नई दवाईयों को कहां से लाया जा सकता है.

जिन दवाईयों की ज्यादा जरूरत, उन्हीं को किया बंद

असल में पेंशनरों को उम्र बढ़ने के साथ ही कैल्शियम, विटामिन की दवाई की सख्त जरूरत रहती है. कमजोर हड्डियों के चलते वृद्धावस्था में अस्थि रोगों की परेशानी का सामना करना पड़ता है. ऐसे में अच्छी सेहत के लिए विटामिन और कैल्शियम की दवाई भी पूर्व में पेंशनर की डायरी पर दी जाती थी, लेकिन वर्तमान में पेंशनर डायरी पर बंद कर दिया गया है.

ये आंकड़े सामने आए

  • आरबीएम अस्पताल की 3 दुकानें
  • जनाना अस्पताल की कुल 2 दुकानें
  • जिला आयुर्वेदिक अस्पताल की 1 दुकान
  • डीग, कामां, नगर, रूपवास, वैर, भुसावर, नदबई में 1-1 दुकान समेत जिले में कुल 14 दुकानें हैं
  • जिले में कुल साढ़े 13 हजार से अधिक पेंशनर
  • 500 से अधिक पेंशनर का एनओसी पेंडिंग

यह भी पढे़ं- नागौर: योग प्रतियोगिता में पहुंचे जिले भर से प्रतिभागी, विजेताओं को मिलेगा पुरस्कार

सरकार ने तो इन पेंशनरों के लिए स्कीम निकाली दी, लेकिन उपभोक्ता भंडार पर सभी दवाई उपलब्ध नहीं होने की वजह से पेंशनर्स को अपनी जेब से पैसा खर्च कर निजी दुकानों से दवाई खरीदनी पड़ रही है. ऐसे में पेंशनर को एनओसी को उपभोक्ता भंडार में लगाने के बाद महीनों तक अपना पैसा वापस मिलने का इंतजार करना पड़ता है. जिससे इन पेंशनरों को उम्र के इस पड़ाव पर काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रही है.

भरतपुर. पेंशनर्स को मेडिकल डायरी पर सरकार की तरफ से नि:शुल्क दवाएं उपलब्ध करवाने की सुविधा दी गई है, लेकिन मेडिकल दवाईयों पर अगर दवाईयां ही न मिलें तो बेचारे पेंशनर्स करें तो क्या करें. ऐसा ही एक मामला भरतपुर से सामने आया है. यहां के मेडिकल दुकानों पर बीपी, शुगर और हार्ट की महत्वपूर्ण दवाईयां भी पेंशनरों को नहीं मिल रही है.

उपभोक्ता भंडार की दुकानों पर दवाईयों की कमी

दरअसल पेंशनरों की सुविधा के लिए सरकारी अस्पतालों में संचालित उपभोक्ता भंडार के दवाई दुकानों पर इन दिनों कई महत्वपूर्ण दवाइयों की कमी नजर आ रही है. हालात यह हैं, कि उपभोक्ता भंडार के दवाई दुकानों पर इन दिनों करीब 30 फीसदी दवाइयों की कमी देखने को मिल रही है.

यह भी पढ़ें- डूंगरपुर: बालिका दिवस पर जागरूकता रैली, 'बेटी को अधिकार दो, बेटों जैसा प्यार दो'

इतना ही नहीं इन दुकानों पर पेंशनरों को बीपी, शुगर और हृदय रोगों से संबंधित महत्वपूर्ण दवाईयां भी उपलब्ध नहीं हो पा रहीं हैं. जिसके चलते बाहर से खरीदी गई दवाईयों की एनओसी के भुगतान के लिए भी पेंशनर्स को महीनों इंतजार करना पड़ता है. यही वजह है, कि सैकड़ों पेंशनर्स का लाखों रुपए का भुगतान भी पेंडिंग है. वहीं जिम्मेदारों का कहना है, कि स्टॉकिस्टों का भुगतान नहीं होने की वजह से दवाईयों की सप्लाई बाधित हुई है.

पेंशनर्स का 3 करोड़ 70 लाख रुपए बकाया

जिला सहकारी उपभोक्ता भंडार के मेडिकल प्रभारी प्रदीप शर्मा ने बताया, कि जो दवाई, उपभोक्ता भंडार की दुकानों पर उपलब्ध नहीं हो पाती हैं, उन्हें पेंशनर प्राइवेट दुकानों से लेकर आते हैं और उनकी एनओसी लगाते हैं. ऐसे में ट्रेजरी में पेंशनर्स का करीब 3 करोड़ 70 लाख रुपए का भुगतान बकाया है.

यह भी पढ़ें- कोटा : रिश्वतखोर वनरक्षक गिरफ्तार, 'चाय की दुकान पर रखवाता था रिश्वत की राशि'

इसलिए कम हो रही दवाईयों की सप्लाई

प्रदीप शर्मा के मुताबिक स्टॉकिस्टों की तरफ से उपभोक्ता भंडार की दुकानों पर दवाईयों की सप्लाई की जाती है. उनको लंबे समय से पूरा भुगतान नहीं हो पा रहा है. ऐसे में अस्पतालों में स्थित उपभोक्ता भंडार की दवाई दुकानों पर नई दवाईयों को कहां से लाया जा सकता है.

जिन दवाईयों की ज्यादा जरूरत, उन्हीं को किया बंद

असल में पेंशनरों को उम्र बढ़ने के साथ ही कैल्शियम, विटामिन की दवाई की सख्त जरूरत रहती है. कमजोर हड्डियों के चलते वृद्धावस्था में अस्थि रोगों की परेशानी का सामना करना पड़ता है. ऐसे में अच्छी सेहत के लिए विटामिन और कैल्शियम की दवाई भी पूर्व में पेंशनर की डायरी पर दी जाती थी, लेकिन वर्तमान में पेंशनर डायरी पर बंद कर दिया गया है.

ये आंकड़े सामने आए

  • आरबीएम अस्पताल की 3 दुकानें
  • जनाना अस्पताल की कुल 2 दुकानें
  • जिला आयुर्वेदिक अस्पताल की 1 दुकान
  • डीग, कामां, नगर, रूपवास, वैर, भुसावर, नदबई में 1-1 दुकान समेत जिले में कुल 14 दुकानें हैं
  • जिले में कुल साढ़े 13 हजार से अधिक पेंशनर
  • 500 से अधिक पेंशनर का एनओसी पेंडिंग

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सरकार ने तो इन पेंशनरों के लिए स्कीम निकाली दी, लेकिन उपभोक्ता भंडार पर सभी दवाई उपलब्ध नहीं होने की वजह से पेंशनर्स को अपनी जेब से पैसा खर्च कर निजी दुकानों से दवाई खरीदनी पड़ रही है. ऐसे में पेंशनर को एनओसी को उपभोक्ता भंडार में लगाने के बाद महीनों तक अपना पैसा वापस मिलने का इंतजार करना पड़ता है. जिससे इन पेंशनरों को उम्र के इस पड़ाव पर काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रही है.

Intro:भरतपुर. पेंशनरों की सुविधा के लिए सरकारी अस्पतालों में संचालित उपभोक्ता भंडार की दवाई की दुकानों पर इन दिनों कई महत्वपूर्ण दवाइयों का टोटा चल रहा है। हालात यह है कि उपभोक्ता भंडार की दवाई की दुकानों पर इन दिनों करीब 30 फ़ीसदी दवाइयों की कमी चल रही है। इतना ही नहीं इन दुकानों पर पेंशनरों को बीपी, शुगर और हृदय रोगों से संबंधित महत्वपूर्ण दवाइयां भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है। इतना ही नहीं बाहर से खरीदी गई दवाइयों की एनओसी के भुगतान के लिए भी पेंशनर्स को महीनों इंतजार करना पड़ता है। यही वजह है कि सैकड़ों पेंशनर्स का लाखों रुपए का भुगतान भी पेंडिंग है।
वही जिम्मेदारों का कहना है कि स्टॉकिस्टों का भुगतान नहीं होने की वजह से दवाइयों की सप्लाई बाधित हुई है।


Body:पेंशनर्स का तीन करोड़ 70 लाख रुपए बकाया
जिला सहकारी उपभोक्ता भंडार के मेडिकल प्रभारी प्रदीप शर्मा ने बताया कि जो दवाई उपभोक्ता भंडार की दुकानों पर उपलब्ध नहीं हो पाती हैं उन्हें पेंशनर प्राइवेट दुकानों से लेकर आते हैं और उनकी एनओसी लगाते हैं। ऐसे में ट्रेजरी में पेंशनर्स का करीब 3 करोड़ 70 लाख रुपए का भुगतान बकाया है।

इसलिए कम हो रही दवाइयों की सप्लाई
प्रदीप शर्मा ने बताया कि जिन स्टॉकिस्टों की तरफ से उपभोक्ता भंडार की दुकान ऊपर दवाइयों की सप्लाई की जाती है उनको लंबे समय से पूरा भुगतान नहीं हो पा रहा है। ऐसे में ऐसे में अस्पतालों में स्थित उपभोक्ता भंडार की दवाई दुकानों पर करीब 30 फ़ीसदी दवाइयों की उपलब्धता कम है।

जिन दवाइयों की सबसे ज्यादा जरूरत उन्हीं को किया बंद
असल में पेंशनरों को उम्र बढ़ने के साथ ही कैल्शियम, विटामिंस आदि से संबंधित दवाइयों की सख्त आवश्यकता रहती है। कमजोर हड्डियों के चलते वृद्धावस्था में जहां अस्थि रोगों की परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अच्छी सेहत के लिए विटामिन और कैल्शियम आदि की दवाइयां भी पूर्व में पेंशनर की डायरी पर दी जाती थी लेकिन वर्तमान में पेंशनर डायरी पर इन दवाइयों का देना बंद कर दिया गया है।

फैक्ट
आरबीएम अस्पताल - 3 दुकान
जनाना अस्पताल -2 दुकान
जिला आयुर्वेदिक अस्पताल - एक दुकान
डीग, कामां, नगर, रूपवास, वैर, भुसावर, नदबई में एक - एक दुकान समेत जिले में कुल 14 दुकान हैं
जिले में कुल साढ़े 13 हजार से अधिक पेंशनर
500 से अधिक पेंशनर का एनओसी पेंडिंग


Conclusion:पेंशनर्स को मेडिकल डायरी पर निशुल्क दवाई उपलब्ध कराने की सुविधा सरकार द्वारा देय है। लेकिन उपभोक्ता भंडार पर सभी दवाइयां उपलब्ध नहीं होने की वजह से पेंशनर्स को अपनी जेब से पैसा खर्च कर निजी दुकानों से दवाइयां खरीदनी पड़ती है। वही एनओसी को उपभोक्ता भंडार में लगाने के बाद महीनों तक अपना पैसा वापस मिलने का इंतजार करना पड़ता है।

बाईट - प्रदीप शर्मा, मेडिकल प्रभारी, जिला सहकारी उपभोक्ता भंडार भरतपुर

बाईट2 - वेदप्रकाश शर्मा, पेंशनर ( बुजुर्ग)
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