भरतपुर. ईटीवी भारत के समक्ष प्रस्तुति देते हुए जब उन्होंने डियर कॉल यानी संकट को भांपकर जब हिरण चेतावनी भरी आवाज निकालता है, वह अपने मुंह से निकाली तो जंगल का वह इलाका मोरों की पीहू-पीहू से गूंज उठा. ये चिरंजीलाल हैं. घना के वनकर्मी. जो मुंह से वन्यजीवों की ऐसी आवाजें निकालने में उस्ताद हैं कि वन्यजीव भी धोखा खा सकते हैं. मिलिए प्रतिभाशाली शख्सियत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के वनकर्मी चिरंजीलाल से...
ईश्वर ने सृष्टि के प्रत्येक प्राणी को अपनी एक अलग आवाज बख्शी और वही आवाज उसकी पहचान भी बन गई. लेकिन कुछ अद्भुत प्रतिभा के धनी ऐसे व्यक्ति भी हैं जो इंसान की आवाज के साथ ही तमाम पशु पक्षियों की आवाज हूबहू निकाल लेते हैं.
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चिरंजीलाल वाकई विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं. वे भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में वनकर्मी हैं और मोर, मेंढक, हिरण और सारस समेत कई वन्यजीवों और पक्षियों की आवाज हूबहू निकाल सकते हैं.
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चिरंजीलाल राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के सामने भी अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं और अपने हुनर के लिये उनसे प्रशंसा पत्र भी प्राप्त कर चुके हैं. वनकर्मी चिरंजीलाल ने ईटीवी भारत के लिए भी एक विशेष प्रस्तुति दी.
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40 वर्ष से पशु- पक्षियों के बीच
वनकर्मी चिरंजीलाल बीते करीब 40 वर्ष से घना में कार्यरत हैं. चिरंजी लाल ने बताया कि लंबे समय से वह पशु- पक्षियों के बीच रहते आए हैं. ऐसे में उनकी आवाज सुन-सुनकर वे कॉपी करते रहे और धीरे-धीरे हूबहू आवाज निकालने लगे.
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ये आवाजें निकलने में मास्टर हैं चिरंजीलाल
चिरंजीलाल मुंह से कई जानवरों की आवाज निकाल सकते हैं. इनमें कतार में उड़ते प्रवासी पक्षियों की आवाज, सावन में मोर की आवाज, डरे हुए मोर की आवाज, हिरण की आवाज, टाइगर या जंगली जानवर के हमले के समय हिरण की आवाज, बरसाती मेंढक की आवाज, सांप के मुंह मे फंसे मेंढक की आवाज, सारस की आवाज, जंगली बिल्ली आदि की आवाज बखूबी निकालते हैं. इतना ही नहीं चिरंजीलाल ने जब हिरण की आवाज निकाली तो पेड़ों पर बैठे मोर भी डर से 'पीहू-पीहू' करने लगे.
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पूर्व मुख्यमंत्री ने किया सम्मान
चिरंजीलाल ने बताया कि पशु पक्षियों की आवाज निकालने का शौक बढ़ता गया. कई बार रेडियो और दूरदर्शन पर प्रस्तुति दी. दो बार पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के सामने भी प्रस्तुति दी. जिसे उन्होंने काफी सराहा और प्रशंसा पत्र भी प्रदान किया.
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गौरतलब है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में हर वर्ष करीब 400 प्रजाति के हजारों पक्षी आते हैं. ये पक्षी अक्टूबर माह में यहां आना शुरू होते हैं और अप्रैल के प्रथम सप्ताह में वापस लौट जाते हैं. इन पक्षियों को देखने के लिए देश विदेश से हर वर्ष लाखों पर्यटक यहां पहुंचते हैं. ऐसे में केवलादेव उद्यान में चिरंजीलाल ऐसे अनोखे शख्स हैं जिनके कंठ में पूरा जंगल बसता है.