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सर्दी, बरसात के बाद अब कोरोना से पान की फसल चौपट, पाकिस्तान तक सप्लाई होने वाला खेतों में ही तोड़ रहा दम!

कोरोना संक्रमण के चलते बीते 3 महीने के दौरान लॉकडाउन में मंडियां बंद होने से भरतपुर के किसान अपने पान की फसल को बेच ही नहीं पा रहे है. ऐसे में किसानों की पान की फसल खेतों में ही खराब हो रही है. वहीं इससे किसानों को फिर से करोड़ों रुपए का घाटा होने की आशंका है.

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पान की फसल चौपट
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Published : Jun 20, 2020, 6:08 PM IST

भरतपुर. पहले सर्दी, बरसात और पाले ने जिले के पान व्यवसायियों को करोड़ों का घाटा दिया था और अब कोरोना के कारण पान की फसल खेतों में ही सड़ रही है. दिल्ली, आगरा, मथुरा और अलीगढ़ की पान की मंडियां बंद होने से किसानों की पान की फसल की बिक्री नहीं हो पा रही है.

हालात ये हैं कि इस पूरे वर्ष में जिले के पान काश्तकारों के लिए पान की खेती घाटे का सौदा साबित हुई है. यही वजह है कि इस बार सर्दी के मौसम में ना तो पाकिस्तान और ना ही मुस्लिम देशों में पान का निर्यात हो सका और ना ही अभी तक गर्मी के मौसम में हुआ है.

पान की फसल हो रही खराब

पढ़ेंः स्पेशल: 26 साल बाद भरतपुर को मिलेगा पर्याप्त पानी, जल्द शुरू होगा कार्य

बयाना के उमरैण गांव के किसान दौजी राम ने बताया कि दिसंबर और जनवरी के महीने में तेज सर्दी कोहरा और पाले की वजह से बयाना, वैर क्षेत्र के खरेरी, बागरैन, उमरैण और खरबेरा में 400 किसानों की पान की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है.

उस समय चारों गांव के किसानों को करीब 12 से 13 करोड़ का नुकसान हुआ था. उस घाटे की भरपाई के लिए किसान इस बार फिर से लाखों रुपए खर्च कर के मध्य प्रदेश के मंदसौर से 500 रुपए के हिसाब से 200 पान के पौधे लाये थे.

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मंडियां बंद होने से किसान परेशान

इसलिए है बयाना और वैर के पान की पहचान

किसान भोलाराम ने बताया कि बयाना और वैर क्षेत्र के पान की उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पाकिस्तान, बांग्लादेश सहित अरब देशों में खासी डिमांड रहती है. यहां का पान देसी है और अपने विशिष्ट स्वाद और तीखेपन के कारण पान खाने के शौकीन लोगों में खासा लोकप्रिय है. यहीं वजह है कि यहां का पान देश के साथ ही विदेशों तक निर्यात होता है.

पढ़ेंः स्पेशलः गेहूं-चना की बंपर खरीद से किसानों के चेहरे खिले...

किसान राम सिंह ने बताया कि किराए की जमीन में चारों गांव के सभी किसानों ने फिर से पान की फसल तो बोई, लेकिन किसान की किस्मत ने इस बार भी धोखा दे दिया. कोरोना संक्रमण के चलते बीते 3 महीने के दौरान लॉकडाउन में मंडियां बंद होने से किसान अपने पान की फसल को बेच ही नहीं पाए. ऐसे में किसानों की पान की फसल खेतों में ही खराब हो रही है. वहीं इससे किसानों को फिर से करोड़ों रुपए का घाटा होने की आशंका है.

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नहीं हो रही पान के फसल की बिक्री

मंडियां अगर खुलेंगी तो जगेंगी उम्मीद

किसान भोलाराम ने बताया कि दोनों मौसम की फसल में बड़ा घाटा हुआ है. यदि सरकार दिल्ली, आगरा, मथुरा और अलीगढ़ की पान की मंडियां खोल दे तो किसानों का नुकसान कुछ हद तक कम हो सकता है.

पढ़ेंः विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस: राजस्थान में गिरने लगा है भूजल स्तर, अब नहीं संभले तो...

बता दें कि जिले के 4 गांव में 400 किसान पान की खेती करते हैं. एक सीजन में 13 से 15 करोड़ तक का फायदा होता है. पाकिस्तान, बांग्लादेश और अरब देशों तक यहां का पान निर्यात होता है. वहीं विशिष्ट स्वाद और तीखेपन के कारण तक यहां का पान अलग पहचान रखता है.

भरतपुर. पहले सर्दी, बरसात और पाले ने जिले के पान व्यवसायियों को करोड़ों का घाटा दिया था और अब कोरोना के कारण पान की फसल खेतों में ही सड़ रही है. दिल्ली, आगरा, मथुरा और अलीगढ़ की पान की मंडियां बंद होने से किसानों की पान की फसल की बिक्री नहीं हो पा रही है.

हालात ये हैं कि इस पूरे वर्ष में जिले के पान काश्तकारों के लिए पान की खेती घाटे का सौदा साबित हुई है. यही वजह है कि इस बार सर्दी के मौसम में ना तो पाकिस्तान और ना ही मुस्लिम देशों में पान का निर्यात हो सका और ना ही अभी तक गर्मी के मौसम में हुआ है.

पान की फसल हो रही खराब

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बयाना के उमरैण गांव के किसान दौजी राम ने बताया कि दिसंबर और जनवरी के महीने में तेज सर्दी कोहरा और पाले की वजह से बयाना, वैर क्षेत्र के खरेरी, बागरैन, उमरैण और खरबेरा में 400 किसानों की पान की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है.

उस समय चारों गांव के किसानों को करीब 12 से 13 करोड़ का नुकसान हुआ था. उस घाटे की भरपाई के लिए किसान इस बार फिर से लाखों रुपए खर्च कर के मध्य प्रदेश के मंदसौर से 500 रुपए के हिसाब से 200 पान के पौधे लाये थे.

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मंडियां बंद होने से किसान परेशान

इसलिए है बयाना और वैर के पान की पहचान

किसान भोलाराम ने बताया कि बयाना और वैर क्षेत्र के पान की उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पाकिस्तान, बांग्लादेश सहित अरब देशों में खासी डिमांड रहती है. यहां का पान देसी है और अपने विशिष्ट स्वाद और तीखेपन के कारण पान खाने के शौकीन लोगों में खासा लोकप्रिय है. यहीं वजह है कि यहां का पान देश के साथ ही विदेशों तक निर्यात होता है.

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किसान राम सिंह ने बताया कि किराए की जमीन में चारों गांव के सभी किसानों ने फिर से पान की फसल तो बोई, लेकिन किसान की किस्मत ने इस बार भी धोखा दे दिया. कोरोना संक्रमण के चलते बीते 3 महीने के दौरान लॉकडाउन में मंडियां बंद होने से किसान अपने पान की फसल को बेच ही नहीं पाए. ऐसे में किसानों की पान की फसल खेतों में ही खराब हो रही है. वहीं इससे किसानों को फिर से करोड़ों रुपए का घाटा होने की आशंका है.

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नहीं हो रही पान के फसल की बिक्री

मंडियां अगर खुलेंगी तो जगेंगी उम्मीद

किसान भोलाराम ने बताया कि दोनों मौसम की फसल में बड़ा घाटा हुआ है. यदि सरकार दिल्ली, आगरा, मथुरा और अलीगढ़ की पान की मंडियां खोल दे तो किसानों का नुकसान कुछ हद तक कम हो सकता है.

पढ़ेंः विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस: राजस्थान में गिरने लगा है भूजल स्तर, अब नहीं संभले तो...

बता दें कि जिले के 4 गांव में 400 किसान पान की खेती करते हैं. एक सीजन में 13 से 15 करोड़ तक का फायदा होता है. पाकिस्तान, बांग्लादेश और अरब देशों तक यहां का पान निर्यात होता है. वहीं विशिष्ट स्वाद और तीखेपन के कारण तक यहां का पान अलग पहचान रखता है.

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