अलवर. वन्य प्रेमियों के लिए राहत भरी खबर है. रणथंभौर टाइगर रिजर्व से मुकुंदरा और सरिस्का में दो बाघों को शिफ्ट करने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की तकनीकी समिति ने मंजूरी दे दी है. राज्य वन विभाग के अधिकारी ने कहा कि केंद्र से एक और मंजूरी के बाद दो बाघिनों को शिफ्ट कर दिया जाएगा. रणथंभौर में बाघों की संख्या बढ़ रही (Number of tigers increased in Ranthambore) है. ऐसे में बाघों के बीच संघर्ष के मामले भी बढ़ रहे हैं. बाघों को अन्य जगह शिफ्ट करने से बाघों का कुनबा बढ़ेगा. साथ ही संघर्ष के मामलों में भी कमी आएगी.
सवाई माधोपुर जिले में 1,334 वर्ग किमी में फैले रणथंभौर में 78 बाघ हैं. इसमें 32 मादा और 26 नर बाघ हैं. जंगल क्षेत्र के अनुसार बाघ ज्यादा हो चुके हैं. ऐसे में अपनी टेरिटरी को लेकर बाघों में आए दिन संघर्ष होता है. इस दौरान कई बाघ घायल हो चुके हैं. तो कुछ बाघों की मौत भी हो चुकी है. ऐसे में रणथंभौर से बाघों को अन्य जगह पर शिफ्ट कर बाघों का कुनबा बढाने की योजना पर लंबे समय से काम चल रहा है. रणथंभौर टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने कहा कि एनटीसीए की तकनीकी समिति ने राज्य के वन विभाग के एक बाघ को सरिस्का और दूसरे को मुकुंदरा में स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. अगले चरण में दो बाघिनों को स्थानांतरित किया जाएगा.
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मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के अधिकारी ने कहा कि रणथंभौर से एक नर बाघ के स्थानान्तरण की तैयारी की जा रही है. एक और मंजूरी मिलने के बाद, कुछ दिनों में बाघ का स्थानान्तरण किया जाएगा. इसके बाद, एक बाघिन को मुकुंदरा में स्थानांतरित करने का एक और प्रस्ताव है. प्रदेश में रणथंभौर के अलावा सरिस्का, मुकुंदरा और नव अधिसूचित रामगढ़ में बाघ अभयारण्य हैं. सरकार की तरफ से टाइगर रिजर्व में बाघों के संरक्षण को लेकर कई नवाचार किए जा रहे हैं. जंगल क्षेत्र में बसे गांव को तेजी से विस्थापित करने के अलावा बाघों की सुरक्षा व मॉनिटरिंग पर खास ध्यान दिया जा रहा है.
अलवर के सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 27 है. इसमें 9 नर व 11 मादा और सात शावक हैं. मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (कोटा) में एक बाघिन है और रामगढ़ (बूंदी) में एक बाघ और एक बाघिन है. रणथंभौर क्षेत्र में बाघों पर कैमरों से नजर रखी जा रही है. रणथंभौर में लगातार बढ़ रही बाघों की संख्या के चलते बाघ व बाघिन को अन्य जगह पर शिफ्ट करने की प्रक्रिया की जा रही है. वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि बाघों को अन्य जगह पर शिफ्ट करने से बाघों का कुनबा बढ़ेगा. साथ ही आपस में संघर्ष की घटनाओं में भी कमी आएगी.
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सबसे पहले सरिस्का में किए गए थे बाघ शिफ्ट: साल 2005 में सरिस्का बाघ विहीन हो गया था. यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय रहा. देश के प्रधानमंत्री ने खुद इस मामले पर हस्तक्षेप किया. उसके बाद रणथंभौर से बाघों को सरिस्का में शिफ्ट किया गया. देश में पहली बार बाघों को एयरलिफ्ट करके सरिस्का लाया गया व सरिस्का के जंगल में छोड़ा गया. उसके बाद सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ा.