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अलवर में हुई अनोखी शादी, संविधान की शपथ लेकर साथ रहने की खाई कसम

अलवर में एक अनोखी शादी हुई. जिसमें दूल्हा-दुल्हन ने ना तो अग्नि के सात फेरे लिए और ना ही कोई मंत्र उच्चारण हुआ बल्कि वर-वधु ने संविधान की शपथ लेकर साथ जीने-मरने की कसमें खाईं.

Alwar news, अलवर में हुई अनोखी शादी
अलवर में संविधान की शपथ लेकर शादी
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Published : Mar 16, 2021, 12:58 PM IST

अलवर. देश में जहां एक तरफ SC/ST मामला तूल पकड़ रहा है. अनुसूचित जाति के नेता खुद को हिंदू धर्म का नहीं मान रहे हैं. दूसरी तरफ अलवर में एक दलित परिवार ने हिंदू रीति-रिवाज को छोड़कर संविधान की शपथ ली और साथ रहने की कसम खाई. इस दौरान दूल्हा-दुल्हन ने कहा सामाजिक दिखावे में कुछ नहीं रखा है. संविधान सबसे ऊपर है. इसलिए उन्होंने बिना दहेज के संविधान की शपथ ली है.

अलवर में संविधान की शपथ लेकर शादी

अलवर के तुलेडा गांव में रहने वाले मोनिका और शिवराज की सोमवार की रात शादी हुई लेकिन यह शादी आम शादियों से अलग थी. शादी में ना तो अग्नि के फेरे लिए गए, ना ही मंत्र उच्चारण हुए. उसके बजाय दूल्हा-दुल्हन को संविधान की शपथ दिलवाई गई. दूल्हा-दुल्हन ने दहेज का बहिष्कार किया. शादी में आए मेहमानों ने भी संविधान की शपथ ली. इतना ही नहीं शादी में आए मेहमानों को तोहफे के रुप में संविधान और संविधान रचयिता बाबा भीमराव अंबेडकर की किताब दी गई. शादी के कार्ड में प्रथम पूज्य भगवान गणेश की जगह भीमराव अंबेडकर और गौतम बुद्ध की फोटो लगी थी. शादी में ना ढोल नगाड़े थे, नहीं कोई धूम धड़ाका.

यह भी पढ़ें. राम मंदिर निर्माण में पूरी मदद करेंगे, अयोध्या के लिए रोडवेज की बस भी चालू करूंगा : खाचरियावास

शादी करवाने वाले समाजसेवियों ने कहा कि समाज में फैली कुरीतियों से लोगों को बचाने के लिए इस तरह की शादी का आयोजन किया गया है. वो पहले भी कई शादियां कर आ चुके हैं. इन शादियों के माध्यम से वो अन्य लोगों को भी प्रेरित करते हैं और संदेश देते हैं. दूसरी तरफ वर-वधु ने कहा कि उन्होंने बिना दहेज के शादी की है. इस देश में सबसे ऊपर संविधान है. उसके बाद अन्य चीजें आती हैं. इसलिए उन्होंने संविधान की शपथ लेकर जीवन भर साथ रहने की कसम खाई है. यह शादी अलवर में चर्चा का विषय बनी हुई है. दूसरी तरफ लगातार पूरे प्रदेश में जाति-अनुसूचित जाति का मुद्दा भी तूल पकड़ रहा है.

अलवर. देश में जहां एक तरफ SC/ST मामला तूल पकड़ रहा है. अनुसूचित जाति के नेता खुद को हिंदू धर्म का नहीं मान रहे हैं. दूसरी तरफ अलवर में एक दलित परिवार ने हिंदू रीति-रिवाज को छोड़कर संविधान की शपथ ली और साथ रहने की कसम खाई. इस दौरान दूल्हा-दुल्हन ने कहा सामाजिक दिखावे में कुछ नहीं रखा है. संविधान सबसे ऊपर है. इसलिए उन्होंने बिना दहेज के संविधान की शपथ ली है.

अलवर में संविधान की शपथ लेकर शादी

अलवर के तुलेडा गांव में रहने वाले मोनिका और शिवराज की सोमवार की रात शादी हुई लेकिन यह शादी आम शादियों से अलग थी. शादी में ना तो अग्नि के फेरे लिए गए, ना ही मंत्र उच्चारण हुए. उसके बजाय दूल्हा-दुल्हन को संविधान की शपथ दिलवाई गई. दूल्हा-दुल्हन ने दहेज का बहिष्कार किया. शादी में आए मेहमानों ने भी संविधान की शपथ ली. इतना ही नहीं शादी में आए मेहमानों को तोहफे के रुप में संविधान और संविधान रचयिता बाबा भीमराव अंबेडकर की किताब दी गई. शादी के कार्ड में प्रथम पूज्य भगवान गणेश की जगह भीमराव अंबेडकर और गौतम बुद्ध की फोटो लगी थी. शादी में ना ढोल नगाड़े थे, नहीं कोई धूम धड़ाका.

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शादी करवाने वाले समाजसेवियों ने कहा कि समाज में फैली कुरीतियों से लोगों को बचाने के लिए इस तरह की शादी का आयोजन किया गया है. वो पहले भी कई शादियां कर आ चुके हैं. इन शादियों के माध्यम से वो अन्य लोगों को भी प्रेरित करते हैं और संदेश देते हैं. दूसरी तरफ वर-वधु ने कहा कि उन्होंने बिना दहेज के शादी की है. इस देश में सबसे ऊपर संविधान है. उसके बाद अन्य चीजें आती हैं. इसलिए उन्होंने संविधान की शपथ लेकर जीवन भर साथ रहने की कसम खाई है. यह शादी अलवर में चर्चा का विषय बनी हुई है. दूसरी तरफ लगातार पूरे प्रदेश में जाति-अनुसूचित जाति का मुद्दा भी तूल पकड़ रहा है.

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