अलवर. जिले में लावारिस हालत में एक साल पहले झाड़ियों में मिली एक बच्ची को यूएई में रहने वाले एक एनआरआई दंपती ने गोद लिया है. 2 सितंबर को बच्ची एनआरआई दंपती के सुपुर्द कर दी गई थी, लेकिन बच्ची के पासपोर्ट प्रक्रिया में समय लग रहा था. पासपोर्ट बनने के बाद आधिकारिक तौर पर बच्ची को सोमवार को एनआरआई दंपती के हवाले कर दिया गया. बच्ची अब उनके साथ विदेश में ही रहेगी.
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अलवर के आसपास के क्षेत्र में आए दिन बच्चों को झाड़ी में फेंकने के मामले सामने आते हैं. लावारिस हालत में मिलने वाली बच्चियों को मदर टेरेसा होम और पालना गृह में भेज दिया जाता है. वहां उनका लालन-पालन होता है और सरकारी नियमों के अनुसार बच्ची को गोद देने की प्रक्रिया होती है. मध्यप्रदेश के जबलपुर के रहने वाले योगेश गुंजन श्रीवास्तव दुबई में इंजीनियर हैं और अपने परिवार के साथ वहीं रहते हैं. उन्होंने बेटी गोद देने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था.
इसके तहत आवेदन कर्ता से 3 राज्य के ऑप्शन पूछे जाते हैं. उसमें राजस्थान के अलवर से करीब एक साल की बच्ची योगेश को दी गई. समाज कल्याण विभाग के कार्यक्रम में सोमवार को प्रदेश के श्रम मंत्री टीकाराम जूली ने बच्ची का पासपोर्ट एनआरआई दंपती के हवाले किया. समाज कल्याण विभाग के अधिकारी रामनिवास यादव ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में अलवर की दो बेटियां महाराष्ट्र के अलग अलग शहरों में रहने वाले दंपतियों ने गोद लिया है. जबकि एक बेटी एन आर आई दंपती को दी गई है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार के ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना पड़ता है. उसके बाद ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत अपने आप नंबर आता है.
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आवेदन कर्ता से 3 राज्यों के ऑप्शन लिए जाते हैं. उस ऑप्शन के हिसाब से सरकारी प्रोसेस से बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया आगे बढ़ती है. एनआरआई दंपती को जो बच्ची दी गई थी वह करीब एक साल पहले झाड़ियों में लावारिस हालत में पड़ी हुई मिली थी. उसका लालन-पालन पालना गृह में चल रहा था. उन्होंने कहा कि दो सितंबर को बच्ची दंपती के हवाले कर दी गई, लेकिन उसके पासपोर्ट प्रक्रिया में थोड़ा समय लग रहा था. इसलिए पासपोर्ट बनने के बाद अधिकारिक तौर पर सोमवार को बच्ची और पासपोर्ट दंपती के हवाले कर दिया गया. बच्ची मिलने के बाद दंपती काफी खुश नजर आ रहे थे.