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मकर संक्रांति विशेष : जानिए कैसे मनाया जाता है अलवर में यह त्यौहार, क्या है इस पर्व का महत्व - विभिन्न हिस्सो में मकर संक्रांति का त्योहार

देश के विभिन्न हिस्सों में मकर संक्रांति का त्यौहार धूमधाम से मनाने को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी है. सूर्य देव जब धनु राशि से मकर में पहुंचते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है. इस समय सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं. मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्‍नान और दान-पुण्य करने का व‍िशेष महत्‍व है. अलवर में इस त्यौहार को मनाने का लोगों का अपना अलग अंदाज है.

अलवर की खबर, Makar Sankranti is celebrated
मकर संक्रांति पर बाजारों में मिल रहे तिल और गुड़
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Published : Jan 14, 2020, 4:35 AM IST

अलवर. मकर संक्रांति हर राज्य में अलग-अलग तरह से मनाई जाती है. लेकिन इसका महत्व पूरे देश में लगभग एक जैसा ही है. इस दिन जयपुर और राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में पतंगबाजी होती है. इसमें महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चों सहित सभी आयु वर्ग के लोग हिस्सा लेते हैं. कई तरह की प्रतियोगिताएं भी होती हैं. अलवर में इस दिन युवा और बच्चे सभी बैट-बॉल से क्रिकेट खेलते हैं.

अलवर में धूमधाम से मनाई जाती है मकर सक्रांति

बता दें कि हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाती है. इस दिन सूर्य उत्तरायण होकर मकर रेखा से गुजरते हैं. इसलिए यह पर्व हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में शामिल है. अलवर सहित देश भर में इस बार 14 जनवरी की जगह 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी. इस दिन अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग पकवान भी बनाए जाते हैं.

यूपी और बिहार में दाल और चावल की खिचड़ी बनाई जाती हैं तो वहीं अलवर और राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों में गुड़-तिल का खास महत्व है. इस दिन तिल का दान सबसे पुण्य दान माना जाता है. जयपुर और राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में मकर संक्रांति के मौके पर पतंगबाजी होती है. इसमें महिला, युवा बच्चे और बुजुर्ग सभी शामिल होते हैं. जबकि अलवर में लोग क्रिकेट, राउंडल, पिट्ठू सहित बॉल से खेलने वाले खेल खेलते हैं.

पढ़ें: अलवरः लोगों ने बाइक चोर को पकड़कर पुलिस को सौंपा, तीन बाइक बरामद

बहुत से लोग इलाहाबाद और हरिद्वार सहित देश के विभिन्न शहरों में सुबह उठकर जल्दी स्नान करते हैं. इसके बाद गरीबों को तिल और खाने-पीने के सामान और घरेलू सामान दान करते हैं. अलवर में मकर संक्रांति धूमधाम से मनाई जाती है. इस बार भी बाजार में इस पर्व को लेकर जमकर खरीदारी का दौर जारी रहा और हर कोई इस त्यौहार को लेकर उत्सुक नजर आया.

अलवर. मकर संक्रांति हर राज्य में अलग-अलग तरह से मनाई जाती है. लेकिन इसका महत्व पूरे देश में लगभग एक जैसा ही है. इस दिन जयपुर और राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में पतंगबाजी होती है. इसमें महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चों सहित सभी आयु वर्ग के लोग हिस्सा लेते हैं. कई तरह की प्रतियोगिताएं भी होती हैं. अलवर में इस दिन युवा और बच्चे सभी बैट-बॉल से क्रिकेट खेलते हैं.

अलवर में धूमधाम से मनाई जाती है मकर सक्रांति

बता दें कि हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाती है. इस दिन सूर्य उत्तरायण होकर मकर रेखा से गुजरते हैं. इसलिए यह पर्व हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में शामिल है. अलवर सहित देश भर में इस बार 14 जनवरी की जगह 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी. इस दिन अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग पकवान भी बनाए जाते हैं.

यूपी और बिहार में दाल और चावल की खिचड़ी बनाई जाती हैं तो वहीं अलवर और राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों में गुड़-तिल का खास महत्व है. इस दिन तिल का दान सबसे पुण्य दान माना जाता है. जयपुर और राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में मकर संक्रांति के मौके पर पतंगबाजी होती है. इसमें महिला, युवा बच्चे और बुजुर्ग सभी शामिल होते हैं. जबकि अलवर में लोग क्रिकेट, राउंडल, पिट्ठू सहित बॉल से खेलने वाले खेल खेलते हैं.

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बहुत से लोग इलाहाबाद और हरिद्वार सहित देश के विभिन्न शहरों में सुबह उठकर जल्दी स्नान करते हैं. इसके बाद गरीबों को तिल और खाने-पीने के सामान और घरेलू सामान दान करते हैं. अलवर में मकर संक्रांति धूमधाम से मनाई जाती है. इस बार भी बाजार में इस पर्व को लेकर जमकर खरीदारी का दौर जारी रहा और हर कोई इस त्यौहार को लेकर उत्सुक नजर आया.

Intro:अलवर
मकर सक्रांति हर राज्य में अलग तरह से मनाई जाती है। लेकिन इसका महत्व पूरे देश में एक जैसा रहता है। जहां जयपुर व राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में सक्रांति के मौके पर पतंगबाजी होती है। तो अलवर में इस दिन युवा बच्चे सभी बैट बॉल खेलते हैं। इसमें महिलाएं बुजुर्ग बच्चे सहित सभी आयु के लोग हिस्सा लेते हैं बैट बॉल के अलावा भी बोल से खेले जाने वाले अन्य खेल खेले जाते हैं इस मौके पर कई तरह की प्रतियोगिताएं भी होती है।


Body:हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाती है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होकर मकर रेखा से गुजरता है। इसलिए यह पर्व हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में शामिल है। अलवर सहित देश भर में पहली बार 14 जनवरी की जगह 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन पकवान भी अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरह के बनते हैं। यूपी और बिहार में दाल और चावल की खिचड़ी इस मौके पर बनती है। जबकि अलवर राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों में गुड़ तिल का खास महत्व है। इस दिन तिल का दान सबसे पुण्य दान माना जाता है। कहते हैं इस दिन करा हुआ दान पूरे जन्मों तक रहता है। जयपुर राजस्थान के अन्य हिस्सों में सक्रांति के मौके पर पतंगबाजी होती है। पतंगबाजी के कई कार्यक्रम होते हैं। जिनमें सभी लोग हिस्सा लेते हैं। इसमें महिला युवा बच्चे बुजुर्ग सभी शामिल होते हैं। जबकि अलवर में लोग क्रिकेट, राउंडल, पिट्ठू सहित बोल से खेलने वाले गेम खेलते हैं। अलवर के सभी ग्राउंड फुल रहते हैं व कई मैच का भी आयोजन होता है। मकर सक्रांति के मौके पर घरों में कई तरह की मिठाइयां पकवान बनते हैं। खाने में भी चूरमा दाल बाटी, पूरी सब्जी सहित कई तरह के खाद्य सामग्री बनती है।


Conclusion:इस्तेमाल को दान के पर्व के रूप में जाना जाता है। इस दिन लोग इलाहाबाद हरिद्वार सहित देश के विभिन्न शहरों में सुबह उठकर जल्दी स्नान करते हैं व उसके बाद गरीब, बुजुर्गों व बड़ों को तिल व खाने-पीने के सामान व घरेलू सामान दान करते हैं। इस दिन दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन तिल व गुल का खास महत्व है। अलवर में मकर सक्रांति धूमधाम से मनाई जाती है सुबह से ही सभी लोग अलग-अलग खेल खेलते हैं।

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