अलवर. जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद जिले में रहने वाले 200 से अधिक कश्मीरी पंडित परिवारों को अब अपने गांव और अपने घर लौटने की उम्मीद जगी है. इन लोगों ने मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम पहले की सरकार को ही ले लेना चाहिए था, वो अपने गांव व घर लौटना चाहते हैं.
बता दें कि अलवर जिले के बल्लाना, दादर, अकबरपुर, अहमदपुर, चांद पहाड़ी, तसी, और विजय मंदिर में 200 से अधिक कश्मीरी पंडित के परिवार बसे हुए हैं. हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35 (ए) हटाने के बाद इन परिवारों को अपने घर लौटने की उम्मीद जगी है. इन लोगों ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि पहले की सरकार को ही यह फैसला ले लेना चाहिए था.
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कश्मीरी पंडितों ने कहा कि सरकार को जम्मू कश्मीर में रहने वाले लोगों को विस्थापित करने के लिए भी कानून बनाना चाहिए क्योंकि उनके घर और जमीनों पर वहां के रहने वाले लोगों ने कब्जा कर लिया है. उनके रिश्तेदार आज भी कश्मीर के आसपास के शहरों में रहते हैं, वो अपने बच्चों को कश्मीर की संस्कृति के बारे में बताना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि कश्मीर धरती का स्वर्ग माना जाता है, उनको मजबूरी में राजस्थान की भीषण गर्मी में रहना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि यहां उनको किसी भी तरह का सरकार की तरफ से आज तक कोई फायदा नहीं मिला है.
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अलवर में रहने वाले कश्मीरी पंडितों ने कहा कि वो अपने स्वर्ग जैसी धरती पर जाना चाहते हैं. आजादी के बाद उनको अपना घर छोड़कर यहां आना पड़ा. अलवर में रहने वाले ज्यादातर लोग पाक अधिकृत कश्मीर के बीड़ी ब्रह्मपुरा गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने कहा कि शादी-विवाह भी उनके कश्मीर में ही होती है, लेकिन उनको वहां के अधिकारों से वंचित रहना पड़ रहा है. अलवर में रहने वाले परिवारों का कहना है कि वे 10 साल से यहां बसे हुए हैं, लेकिन आज भी उनका मन कश्मीर लौटने को करता है. वर्ष 2000 के बाद ही इन परिवारों के 18 से 20 युवाओं की शादी जम्मू कश्मीर की युवतियों से हुई है.
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बता दें कि केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया है, इस फैसले को लेकर लोगों में खुशी का माहौल है. उन्होंने सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे उनको नई हिम्मत मिली है.