अलवर. 886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला अलवर का सरिस्का देश-विदेश में अपनी खास पहचान रखता है. साल भर बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं. सरिस्का शिकार के लिए भी काफी बदनाम रहा है. हालांकि, बीते साल के दौरान सरिस्का में शिकार के मामलों में कमी आई. साथ ही, बाघों का कुनबा भी बढ़ा है. सरकार, वन विभाग और सरिस्का प्रशासन की ओर से सरिस्का को बेहतर बनाने के लिए कई नए नवाचार किए जा रहे हैं. देखें ये खास रिपोर्ट
सरिस्का में 23 बाघ, बाघिन व शावक...
सरिस्का में इस समय 10 बाघिन, 6 बाघ व 7 शावक हैं. लगातार बाघों का कुनबा बढ़ रहा है. साल 2005 में सरिस्का बाघ विहीन हो गया था. उसके बाद रणथंबोर व्यंजनों से बाघों को यहां शिफ्ट किया गया. हालांकि, अब सरिस्का में बाघों की संख्या बढ़ रही है. क्षेत्रफल की दृष्टि से सरिस्का में 40 बाघ रह सकते हैं. बाघों की सुरक्षा के लिए वन विभाग और सरकार की तरफ से कई तरह के काम हो रहे हैं. सरिस्का में कार्यरत कर्मचारी व अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. बाघों को विस्थापित करने का काम भी लगातार चल रहा है. हाल ही में रणथंबोर से दो बाघिन में से एक सरिस्का व एक मुकुंदरा में शिफ्ट होनी है. इसके अलावा भी कई नए प्रयास वन विभाग व सरकार की तरफ से किए जा रहे हैं.
16 वॉच टावरों से 24 घंटे निगरानी...
सरिस्का में 16 वॉच टावर लगे हुए हैं. प्रत्येक टावर पर 6 कैमरे हैं. यह सभी टावर में लगे कैमरे सरिस्का में बने एक कंट्रोल रूम से ऑपरेट होते हैं और 24 घंटे इनकी रिकॉर्डिंग होती है. टावर पर लगे कैमरे 5 किलोमीटर दूर तक फोटो व वीडियो वन्यजीवों की हलचल कैच कर सकते हैं. इसके अलावा वन्यजीवों की गणना उन पर नजर रखने के लिए 400 से 500 कैमरा ट्रैप लगे हुए हैं. वन्यजीवों की परछाई से उनकी फोटो इन कैमरों में दर्ज होती है.
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम...
सरिस्का क्षेत्र में 24 घंटे निगरानी रखने के लिए 150 वनरक्षक के पद हैं. इनमें से 60 वनरक्षक लगे हुए हैं, जबकि अन्य पद खाली हैं. इसके अलावा 90 होमगार्ड व 108 बॉर्डर होमगार्ड सरिस्का में तैनात हैं, जो 24 घंटे अलग-अलग शिफ्ट में वन्य जीवो पर नजर रखते हैं. सरिस्का क्षेत्र में चौकियां बनी हुई हैं और प्रत्येक बाघ पर एक मॉनिटरिंग टीम नजर रखती है. इस मॉनिटरिंग टीम में एक वन अधिकारी, एक वन रक्षक व एक लोकल गार्ड शामिल होता है.
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गांवों को किया जा रहा है विस्थापित
सरिस्का के जंगल क्षेत्र में 29 गांव बसे हैं, इनमें से अब तक महज 6 गांव शिफ्ट हुए हैं. 2 गांव हाल ही में सरिस्का प्रशासन की तरफ से जिले के अन्य क्षेत्रों में शिफ्ट किए गए हैं. इन गांव के होने से सरिस्का जंगल क्षेत्र में लोगों की आवाजाही रहती है. ऐसे में बाघ वन्य जीव को खतरा रहता है. आए दिन शिकार के नए मामले सामने आते हैं, हालांकि प्रशासन ग्रामीणों पर लगातार नजर बनाये हुए हैं.
चारदिवारी, नई भर्तियों पर हो रहा काम...
886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले अलवर के सरिस्का की कोई पेरिफेरी नहीं है. ऐसे में खुलेआम लोगों की आवाजाही होती है. आने जाने के सैकड़ों रास्ते हैं. सरिस्का के बीच से होकर अलवर जयपुर स्टेट हाईवे गुजरता है. शिकार की बढ़ रही घटनाओं को देखते हुए सरिस्का में 250 किलोमीटर लंबी बाहरी क्षेत्र में चारदिवारी बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया. अब तक 20 किलोमीटर चारदिवारी का काम हो चुका है. सरिस्का क्षेत्र में स्थाई सुरक्षा के इंतजाम के लिए जल्द ही वन पालक और वन रक्षकों की भर्ती होगी. सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही भर्ती का काम शुरू होगा.
बाघ विहीन हो चुका है सरिस्का...
सरिस्का की विशेष पहचान थी, लेकिन साल 2005 में सरिस्का बाघ विहीन हो गया. जिसके बाद केंद्र सरकार सहित देश की तमाम एजेंसियां हरकत में आई और शिकार करने वाले तस्करों को गिरफ्तार किया गया. साथ ही, सरिस्का को फिर से आबाद करने के लिए रणथंबोर व अन्य जगहों से बाघों को यहां शिफ्ट किया गया. सरिस्का घूमने के लिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग आते हैं. साल भर डेढ़ से दो लाख पर्यटक देसी विदेशी यहां घूमने के लिए आते हैं और सफारी का आनंद लेते हैं.
अन्य जगहों से खूबसूरत है सरिस्का...
अलवर का सरिस्का अन्य जगहों से बड़ा भी और खूबसूरत है. सरिस्का को लेकर कई बड़ी रिसर्च हो चुकी है. वन विभाग के विशेषज्ञों की मानें तो वन्यजीवों के लिए सरिस्का का क्लाइमेट अफ्रीका का जंगल खासा बेहतर है. यहां जंगली जानवरों को भोजन मिलता है. पीने के लिए पानी के इंतजाम है. सरिस्का में खासा घना जंगल है, जिसमें वन्यजीव आराम से रह सकते हैं.