अलवर. देश में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. ऐसे में पुलिसकर्मी, चिकित्सक और मीडियाकर्मी सीधी कोरोना से जंग लड़ रहे हैं. इसमें चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मियों की भूमिका अहम है. कोरोना से मुकाबला करने के साथ ही चिकित्सकों को खास सावधानी बरतनी पड़ रही है. इसमें कई तरह की परेशानियों का सामना उनको करना पड़ रहा है.
बता दें कि चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी कोरोना से सीधे तौर पर मुकाबला कर रहे है. ऐसे में अस्पताल में कुछ जरूरी सेवाएं ही अभी चल रही हैं, इसमें प्रसव प्रक्रिया है जो लगातार जारी है. सभी महिला अस्पतालों में प्रतिदिन ऑपरेशन और सामान्य डिलीवरी हो रही है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. मोनिका गुप्ता से खास बातचीत की.
डॉ. मोनिका गुप्ता ने बताया कि अस्पताल में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति से उचित दूरी बनाते हुए खास सावधानी बरती जा रही है. साथ ही सबसे पहले गेट पर ही मरीज और उसके परिजनों को सैनिटाइज किया जाता है. उसके बाद सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सभी मरीज चिकित्सक को दिखाते हैं. वहीं, अस्पताल में काम करने वाले सभी कर्मचारी पीपीई किट, प्रोटेक्शन हेलमेट, मास्क, हैंड सैनिटाइजर सहित अन्य जरूरी संसाधनों का उपयोग करते हैं.
इतना ही नहीं डॉ. गुप्ता ने बताया कि वो एसी का भी उपयोग नहीं करती है. दअरसल, डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के अनुसार एसी काम में लेने से कोरोना होने की संभावना ज्यादा रहती है, एसी से संक्रमण फैलता है. इसलिए इलाज के दौरान अस्पताल में एसी पूरी तरीके से बंद कर रखे गए हैं.
मोनिका गुप्ता ने बताया कि प्रतिदिन पीपीई किट पहननी पड़ती है. इसके अलावा प्रत्येक ऑपरेशन में पीपीई किट, हेलमेट, मास्क और अन्य साधन काम में लेने पड़ते हैं, उसके बाद उनको नष्ट किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में समय ज्यादा लगता है तो वहीं खर्चा भी अधिक होता है. इसका भार अस्पताल और मरीजों पर पड़ रहा है.
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इसके अलावा अस्पताल में मरीज भी कम आ रहे हैं. दरअसल, सभी लोग अपने घर के आस-पास इलाज कराना चाहते हैं. महिलाओं को खास सावधानी बरतने की आवश्यकता है. क्योंकि, महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. ऐसे में वे जल्दी कोरोना की जकड़ में आ सकती है.
उन्होंने कहा कि अगर किसी मरीज में उनको संदिग्ध लक्षण दिखते हैं तो उसको तुरंत सामान्य अस्पताल में जांच कराने के लिए भेजा जाता है. इसके अलावा उसकी जानकारी भी स्वास्थ्य अधिकारियों को दी जाती है. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में काम करना बहुत ही परेशानी भरा है. लेकिन फिर भी लगातार चिकित्सक काम कर रहे हैं.