अजमेर. जिले में कई फाइनेंस कंपनियां गरीब तबके के लोगों को लोन देती हैं. लॉकडाउन के बाद बदले हालातों में लोन की किस्तें नहीं भर पाने की वजह से रिकवरी एजेंट कर्ज लेने वाले लोगों के घरों में बेधड़क घुसकर बेज्जती कर रहे हैं. साथ ही ब्याज पर चक्रवृद्धि ब्याज जोड़कर उन्हें डराया धमकाया जा रहा है. यही वजह है कि पीड़ित महिलाओं ने जिला मुख्यालय पहुंच कर कलेक्टर से गुहार लगाई है. महिलाओं ने कहा कि वो लोन की किस्तें अदा करना चाहती है, लेकिन उन्हें समय दिया जाए.
अजमेर में कोरोना महामारी के चलते कई लोगों का रोजगार छीन गया है. ऐसे में पहले से कर्जदार हो रखे लोगों पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है. रोजगार नहीं होने से घर में खाने पीने के लाले पड़े हुए है. वहीं, विभिन्न फाइनेंस कंपनी के रिकवरी एजेंट उन्हें डरा धमकाने के साथ उनके बेइज्जती करने से भी बाज नहीं आते. लॉकडाउन के बाद फाइनेंस कम्पनियों की किश्त नहीं चुका पाने की वजह से कई लोग डिप्रेशन का शिकार हो गए है.
वहीं, कुछ तनाव की वजह से आत्महत्याएं भी कर चुके है. भजनगंज, नगरा सहित कई गरीब बस्तियों में फाइनेंस कंपनियों ने अपना जाल बिछा रखा है. कम ब्याज और आसान किश्त का सपना दिखाकर फाइनेंस कंपनियां गरीबों को कर्ज के बोझ तले दबा रही है और उनसे ब्याज के साथ चक्रवर्ती ब्याज भी वसूल रही है.
कोरोना महामारी के चलते किए गए लॉकडाउन के बाद बहुत कुछ बदल चुका है. फाइनेंस कंपनियों से लोन लेने वाले या गरीब लॉकडाउन से पहले तक अपनी किस्तें जैसे तैसे चुका रहे थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद इनकी आर्थिक हालत खराब हो गई. लॉकडाउन के दरमियान सरकारी तौर पर मिलने वाले भोजन से इन्होंने अपना और अपने परिवार का गुजारा किया.
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कोरोना महामारी के चलते घर के पुरुष बेरोजगार हो गए हैं. वहीं, घरों में काम करने वाली महिलाएं हाथ पर हाथ धरे बैठी है. घर में कमाई का कोई अन्य जरिया नहीं होने की वजह से फाइनेंस कंपनियों की लिस्ट नहीं चुका पा रही है जिस कारण ब्याज के साथ चक्रवृद्धि ब्याज भी उन्हें भुगतना पड़ रहा है. फाइनेंस कंपनियों के एजेंट घर में आकर उन्हें बेइज्जत करते हैं और डराते धमकाते हैं. यही वजह है कि महिलाओं ने आज जिला मुख्यालय पहुंचकर कलेक्टर से गुहार लगाई है महिलाओं ने मांग की है कि उन्हें लोन की किस्त अदा करने के लिए समय दिया जाए.