अजमेर. भारतीय रेल दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्कों में एक है. 1837 में पहली बार भारत में रेल चली थी. जिसके बाद से बाढ़, तूफान, युद्ध ना जाने कितने संकट आए लेकिन भारतीय रेल ना कभी रूकी ना कभी थमी. लेकिन कोरोना वायरस ने भारतीय रेल नेटवर्क के पहिए रोक दिए. पूरा रेल नेटवर्क एक वायरस के आगे पस्त हो गया. कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए देशभर में लॉकडाउन लागू कर दिया गया. जिसके साथ ही भारतीय रेल अपने इतिहास में पहली बार बंद हुई.
रेलों के संचालन बंद होने का सबसे पहला असर रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले कुलियों पर पड़ा. भारत में लगभग 20 हजार कुली अलग-अलग रेलवे स्टेशनों पर काम करते हैं. ट्रेनों का संचालन बंद होते ही इन कुलियों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया. शुरुआत में लगा कि कुछ दिन बाद स्थिति नॉर्मल हो जाएगी. लेकिन पिछले 4 महीनों से कुली बेरोजगार बैठे हैं.
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राजस्थान के अजमेर रेलवे स्टेशन के कुलियों का हाल भी देश के बाकि कुलियों की तरह बेहाल है. अजमेर रेलवे स्टेशन पर 92 कुली लॉकडाउन से पहले काम करते थे. लेकिन बेरोजगारी का बोझ कुलियों पर ऐसा पड़ा कि घर परिवार चलाने के लाले पड़ गए. ईटीवी भारत से बात करते हुए अजमेर कुलियों के अध्यक्ष गोविंद राम ने बताया कि पिछले 4 महीनों से हालात बहुत खराब हो गए हैं. आर्थिक स्थिति ऐसी हो गई है कि कर्जा लेकर घर चलाना पड़ रहा है. गोविंद राम बताते हैं कि शुरुआत में कुछ संस्थाओं ने मदद की थी. राशन की कीट वितरित की गई थी, लेकिन अब कोई भी मदद नहीं कर रहा है. ना सरकार ना ही कोई एनजीओ.
कुलियों की कमाई पर कोरोना का असर
कोरोना ने कुलियों की आर्थिक कमर कैसे तोड़ी. इसके बारे में गोविंद राम बताते हैं कि पहले एक कुली महीने में 15 से 20 हजार रुपए की कमाई कर लेता था. लेकिन लॉकडाउन के बाद से कमाई बिल्कुल बंद हो गई है. अब मुश्किल से महीने भर में हजार से 1500 रुपए की कमाई हो रही है. वो भी तीन, चार कुलियों की. बाकि के तो बेरोजगार ही बैठे हैं. कुली यात्रियों का सामान ढोह कर कमाई करते हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद ना ट्रेनें चली और अनलॉक के बाद कुछ ट्रेनें चली हैं तो यात्री अपना सामान कुलियों को देने में कतरा रहे हैं.
ट्रेनों के संचालन को कोरोना ने कैसे प्रभावित किया
कोरोना के बाद लगे लॉकडाउन ने ट्रेनों के संचालन को कैसे प्रभावित किया. इसके बारे में कुली बताते हैं कि अजमेर रेलवे स्टेशन पर लॉकडाउन से पहले 130 ट्रेनों का स्टॉप था. लेकिन अभी केवल 2 से 4 ट्रेनें दिन की चल रही हैं. जिसके कारण 15 से 20 पैसेंजर दिन के आते जाते हैं. जिनसे कमाई ना के बराबर होती है. फिलहाल अजमेर रेलवे स्टेशन से जनशताब्दी एक्सप्रेस और आश्रम एक्सप्रेस का ही संचालन हो रहा है. कोरोना संक्रमण को देखते हुए काफी कम पैसेंजर ट्रैवल कर रहे हैं.
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कुलियों ने सुनाई आपबीती
ईटीवी भारत से बात करते हुए कुली श्रवण कुमार बताते हैं कि जब से लॉकडाउन लगा है घर बैठने की नौबत आ गई है. मकान का किराया भी कर्जा लेकर दे रहे हैं. उन्हें कोई मजदूरी के लिए भी लेकर नहीं जाता है. कुली के काम के अलावा उनके पास कमाई का कोई जरिया भी नहीं है. वहीं 1980 से अजमेर रेलवे स्टेशन पर काम कर रहे कुली कुंदनदास कहते हैं कि 40 साल हो गए हमें कुली का काम करते हुए. ऐसे दिन कभी नहीं देखे. इस उम्र में कोई दूसरा काम आता भी नहीं है. एक ही सहारा था वो भी अब खत्म हो गया है.
बच्चों का पेट पालना हो गया है मुश्किल
नासिर अजमेर रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करते हैं. अपने हालात बयां करते हुए कहते हैं कि घर में चार बच्चे हैं. उनका पेट भरना भी मुश्किल हो गया है. हालात दयनीय हो गए हैं. सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है. अगर ऐसे ही चलता रहा तो हम कब तक सर्वाइव कर पाएंगे. कुली भारतीय रेल का एक अहम हिस्सा हैं. लेकिन फिर भी ना तो राज्य सरकार इनकी मदद कर रही है और ना ही केंद्र सरकार.
राज्य सरकारों का कहना है कि रेलवे केंद्र के अधीन आता है तो कुलियों की मदद के लिए केंद्र को पहल करनी चाहिए. वहीं केंद्र इसे राज्यों का मसला बताकर मदद के नाम पर पल्ला झाड़ लेता है. पूरी दुनिया के भार उठाने वाले इन कुलियों के कंधे कभी नहीं थके, लेकिन कोरोना के बाद की बेरोजगारी का भार कुलियों से उठाया नहीं जा रहा है.