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Special: अजमेर में शिशाखान की ठंडी गुफा बनी रहस्य, नहीं मिलता गुफा का दूसरा छोर

अजमेर के शिशाखान इलाके स्थित एक पुरानी गुफा आज भी लोगों के लिए रहस्य बनी हुई है. बताया जाता है कि इस गुफा के अंदर सात कुएं हैं. इसके बाद कई रास्ते भी निकले हैं लेकिन गुफा का दूसरा छोर किधर है यह आज तक कोई नहीं जान सका. कहने वाले यह भी कहते हैं कि इसका एक रास्ता आगरा तो दूसरा दिल्ली में निकलता है.

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Published : Oct 8, 2020, 8:37 PM IST

Shishakan's cave became puzzle
शिशाकान की गुफा बनी पहेली

अजमेर. अजमेर में शिशाखान इलाके में स्थित एक गुफा सदियों बाद भी पहेली बनी हुई है. आज तक इसको कोई हल नहीं कर सका है. गुफा को लोग शिशाखान गुफा या ठंडी गुफा के नाम से जानते हैं. मगर यह कोई नहीं जानता कि गुफा का दूसरा छोर कहां खुलता है. क्षेत्र के कुछ लोगों ने गुफा में जाने की कोशिश भी की लेकिन कुछ दूर जाने के बाद उनके हौसले पस्त हो गए. गुफा के बारे में कई तरह की किंवदंतियां भी प्रचलित हैं जिन पर विश्वास करना वर्तमान दौर में मुमकिन नहीं है.

शिशाकान की गुफा बनी पहेली

शिशाखान क्षेत्र में ठंडी गुफा के रहस्य या यूं कहें तिलिस्म को कोई तोड़ नहीं पाया है. बताया जाता है कि अजमेर के चौहान वंश की तीसरी पीढ़ी के राजा अजयपाल ने तारागढ़ का निर्माण करवाया था. शिशाखान गुफा भी उस वक्त की ही बताई जाती है, लेकिन इसके मुहाने पर स्थित द्वार बाद में बना है. गुफा के ठीक पीछे तारागढ़ पहाड़ी है, जहां कभी तारागढ़ किला हुआ करता था. अमूमन जो गढ़ होते हैं वह किलों से बाहर निकलने के लिए एक गुप्त मार्ग के रूप में बनाए जाते हैं. संभवतः शिशाखान की गुफा भी तारागढ़ से जुड़ी हो.

There is curiosity among people regarding the cave
गुफा को लेकर है लोगों में कौतहूल

यह भी पढ़ें: Special: सरकार पर्यटन विकास भूली सरकार तो, अब युवाओं ने संभाली इन झीलों को सवारने की जिम्मेदारी..

क्षेत्र के लोग शिशाखान गुफा के बारे में ऐसा भी बताते हैं कि विश्वास करना भी मुश्किल होता है. बताते हैं कि गुफा इतनी लंबी है कि इसके अगले छोर तक कोई व्यक्ति नहीं पहुंच पाया. कुछ लोगों ने प्रयास किया लेकिन गुफा के भीतर कुओं तक ही पहुंच पाए. गुफा के भीतर 7 कुएं बताए जाते हैं. इसके आगे का मार्ग इतना संकरा है कि लेट कर आगे जाना होता है. इसके बाद एक बड़ा चौक आता है, जहां से कई रास्ते निकलते हैं. लोगों का कहना है कि इनमें एक रास्ता दिल्ली और दूसरा आगरा तक जाता है.

many years old cold cave situated in ajmer
अजमेर में है सालों पुरानी ठंडी गुफा

वहीं एक रास्ता पहाड़ी के ऊपर तारागढ़ को जाता है. इस प्रकार की किवदंतियां काफी प्रचलित हैं लेकिन गुफा के रहस्य को लेकर कोई पुख्ता सबूत नहीं है. क्षेत्र के लोग यह भी बताते हैं कि गुफा के मुहाने पर भीषण गर्मी में भी ठंडी हवा आती है. यह बात तो काफी हद तक सही भी है लेकिन मगर हवा कहां से आ रही है यह भी गुफा के तिलिस्म का हिस्सा है.

यह भी पढ़ें: Special : गुजरात में मेवाड़ की शान बढ़ाएगी महाराणा प्रताप की विशालकाय प्रतिमा

चौहान वंश के शासन में बनी यह गुफा परकोटे के भीतर है, जहां इसके आसपास कोई मकान नहीं थे. वक्त के साथ गुफा के चारों और बस्ती बस गई है. वहीं गुफा का मुख्य द्वार नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है. शिशाखान गुफा के बारे में प्रामाणिक तथ्य नहीं है. यही वजह है कि इतिहासकार भी इसके बारे में कुछ नहीं बताते हैं. इस कारण प्राचीन गुफा का पुरातत्व महत्व रिकॉर्ड में शामिल नहीं हो सका.

ठंडी गुफा की बदहाली का यह भी प्रमुख कारण है. शासन और प्रशासन ने इस रहस्मयी गुफा की कभी सुध नहीं ली. इस कारण दिनों दिन गुफा की स्थिति बदहाल होती जा रही है. अब वो दिन भी दूर नहीं जब शीशाखान की प्रचीन गुफा अपने रहस्य के साथ ही अपना अस्तित्व भी खो देगी.

अजमेर. अजमेर में शिशाखान इलाके में स्थित एक गुफा सदियों बाद भी पहेली बनी हुई है. आज तक इसको कोई हल नहीं कर सका है. गुफा को लोग शिशाखान गुफा या ठंडी गुफा के नाम से जानते हैं. मगर यह कोई नहीं जानता कि गुफा का दूसरा छोर कहां खुलता है. क्षेत्र के कुछ लोगों ने गुफा में जाने की कोशिश भी की लेकिन कुछ दूर जाने के बाद उनके हौसले पस्त हो गए. गुफा के बारे में कई तरह की किंवदंतियां भी प्रचलित हैं जिन पर विश्वास करना वर्तमान दौर में मुमकिन नहीं है.

शिशाकान की गुफा बनी पहेली

शिशाखान क्षेत्र में ठंडी गुफा के रहस्य या यूं कहें तिलिस्म को कोई तोड़ नहीं पाया है. बताया जाता है कि अजमेर के चौहान वंश की तीसरी पीढ़ी के राजा अजयपाल ने तारागढ़ का निर्माण करवाया था. शिशाखान गुफा भी उस वक्त की ही बताई जाती है, लेकिन इसके मुहाने पर स्थित द्वार बाद में बना है. गुफा के ठीक पीछे तारागढ़ पहाड़ी है, जहां कभी तारागढ़ किला हुआ करता था. अमूमन जो गढ़ होते हैं वह किलों से बाहर निकलने के लिए एक गुप्त मार्ग के रूप में बनाए जाते हैं. संभवतः शिशाखान की गुफा भी तारागढ़ से जुड़ी हो.

There is curiosity among people regarding the cave
गुफा को लेकर है लोगों में कौतहूल

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क्षेत्र के लोग शिशाखान गुफा के बारे में ऐसा भी बताते हैं कि विश्वास करना भी मुश्किल होता है. बताते हैं कि गुफा इतनी लंबी है कि इसके अगले छोर तक कोई व्यक्ति नहीं पहुंच पाया. कुछ लोगों ने प्रयास किया लेकिन गुफा के भीतर कुओं तक ही पहुंच पाए. गुफा के भीतर 7 कुएं बताए जाते हैं. इसके आगे का मार्ग इतना संकरा है कि लेट कर आगे जाना होता है. इसके बाद एक बड़ा चौक आता है, जहां से कई रास्ते निकलते हैं. लोगों का कहना है कि इनमें एक रास्ता दिल्ली और दूसरा आगरा तक जाता है.

many years old cold cave situated in ajmer
अजमेर में है सालों पुरानी ठंडी गुफा

वहीं एक रास्ता पहाड़ी के ऊपर तारागढ़ को जाता है. इस प्रकार की किवदंतियां काफी प्रचलित हैं लेकिन गुफा के रहस्य को लेकर कोई पुख्ता सबूत नहीं है. क्षेत्र के लोग यह भी बताते हैं कि गुफा के मुहाने पर भीषण गर्मी में भी ठंडी हवा आती है. यह बात तो काफी हद तक सही भी है लेकिन मगर हवा कहां से आ रही है यह भी गुफा के तिलिस्म का हिस्सा है.

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चौहान वंश के शासन में बनी यह गुफा परकोटे के भीतर है, जहां इसके आसपास कोई मकान नहीं थे. वक्त के साथ गुफा के चारों और बस्ती बस गई है. वहीं गुफा का मुख्य द्वार नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है. शिशाखान गुफा के बारे में प्रामाणिक तथ्य नहीं है. यही वजह है कि इतिहासकार भी इसके बारे में कुछ नहीं बताते हैं. इस कारण प्राचीन गुफा का पुरातत्व महत्व रिकॉर्ड में शामिल नहीं हो सका.

ठंडी गुफा की बदहाली का यह भी प्रमुख कारण है. शासन और प्रशासन ने इस रहस्मयी गुफा की कभी सुध नहीं ली. इस कारण दिनों दिन गुफा की स्थिति बदहाल होती जा रही है. अब वो दिन भी दूर नहीं जब शीशाखान की प्रचीन गुफा अपने रहस्य के साथ ही अपना अस्तित्व भी खो देगी.

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