नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने कहा है कि म्यांमार में सभी भारतीय परियोजनाएं पूरी की जाएंगी. विदेश मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान राजनीतिक उथल-पुथल और सुरक्षा स्थिति ने म्यांमार में चल रही प्रमुख भारतीय परियोजनाओं की प्रगति की गति पर नकारात्मक प्रभाव डाला है. सबसे अधिक प्रभावित भारतीय परियोजना कलादान मल्टी मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट है, केवल 10 प्रतिशत काम हुआ है. बता दें कि म्यांमार में चीन की घुसपैठ से मौजूदा राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति प्रभावित हो रही है.
सहयोग के लिए भारत का दृष्टिकोणः विकास सहयोग भारत की विदेश नीति का एक प्रमुख साधन है. पिछले कुछ वर्षों में भारत के विकास सहयोग के दायरे और पहुंच में काफी विस्तार हुआ है. जिसमें अनुदान सहायता, ऋण, तकनीकी परामर्श, आपदा राहत, मानवीय सहायता, शैक्षिक छात्रवृत्ति और सैन्य प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों सहित क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की एक श्रृंखला है. भागीदार देशों के साथ विकास सहयोग मुख्य रूप से अनुदान सहायता, एलओसी और रियायती वित्तपोषण योजना जैसे साधनों के माध्यम से निष्पादित किया जाता रहा है.
म्यांमार को सहायताः बजट अनुमान 2023-24 के दौरान इस मद में 400 सौ करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. हालांकि, संशोधित अनुमान 2023-24 और बजट अनुमान 2024-25 के चरण में आवंटन को घटाकर क्रमश: 370 और 250 करोड़ रुपये कर दिया गया. इस मद में 37.50 प्रतिशत की गिरावट आई है. मंत्रालय ने कहा, "परियोजना कार्य रुके नहीं हैं और जारी हैं. 2025 में चुनावों की घोषणा और जीओएम और प्रतिरोध बलों दोनों से समर्थन प्राप्त होने के साथ, परियोजना कार्य जारी रहेगा."
परियोजनाओं पर क्या होगा प्रभावः मंत्रालय ने कहा कि मौजूदा राजनीतिक उथल-पुथल ने म्यांमार में विकास परियोजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. "हमारा मिशन म्यांमार सरकार के मंत्रालयों और कार्यान्वयन एजेंसियों के साथ-साथ स्थानीय समूहों सहित सभी हितधारकों के साथ घनिष्ठ समन्वय में काम कर रहा है, ताकि म्यांमार में परियोजनाओं के कार्यान्वयन में निरंतर प्रगति सुनिश्चित की जा सके. वर्तमान में सुरक्षा चुनौतियों के बावजूद चल रही परियोजनाओं के निष्पादन को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं."
सड़क मार्ग सबसे अधिक प्रभावित: कलादान मल्टी मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट (केएमएमटीटी) म्यांमार के पश्चिमी तट पर सित्तवे में एक बंदरगाह विकसित करके और सित्तवे बंदरगाह को कलादान नदी चैनल और भारत के मिजोरम राज्य से सड़क मार्ग से जोड़कर भारत के पूर्वी बंदरगाहों को म्यांमार से जोड़ने के लिए एक रणनीतिक संपर्क परियोजना है. भारत और म्यांमार सरकार द्वारा संयुक्त रूप से 9 मई, 2023 को सित्तवे बंदरगाह का उद्घाटन किया गया था. लेकिन केएमएमटीटी के सड़क घटक को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. 10 प्रतिशत ही काम हुआ है, जबकि म्यांमार में वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य के कारण कार्य प्रगति प्रभावित हो रही है.
त्रिपक्षीय राजमार्ग सड़क संपर्क परियोजनाः भारत ने म्यांमार सरकार के अनुरोध पर म्यांमार में त्रिपक्षीय राजमार्ग के तहत दो परियोजनाएं शुरू की हैं, जो भारत में मोरेह से शुरू होकर म्यांमार के माध्यम से थाईलैंड में माई सोत तक जाती हैं. इसकी कुल लंबाई 1360 किलोमीटर है. कलेवा-यागयी सड़क खंड के 112 किलोमीटर हिस्से का निर्माण राजमार्ग मानक के अनुसार किया जा रहा है. इस परियोजना में निर्माण कार्य मई 2018 से चल रहा है. परियोजना के पहले चरण में 55 किलोमीटर का काम हो चुका है. जल्दी ही सौंप दिया जाएगा.
भारत-म्यांमार आईटी कौशल संवर्धन केंद्रः भारत सरकार 2008 से यांगून में भारत-म्यांमार आईटी कौशल संवर्धन केंद्र की स्थापना और संचालन के लिए म्यांमार सरकार की सहायता कर रही है. यह परियोजना चार चरणों से गुजर चुकी है. 2008 में सीडैक द्वारा भारत की वित्तीय सहायता से आईएमसीईआईटीएस की स्थापना की गई थी. प्रभाग को यांगून में मिशन द्वारा परियोजना के चरण V को आगे तीन वर्षों के लिए विस्तारित करने के लिए म्यांमार का अनुरोध प्राप्त हुआ है. मंत्रालय में प्रस्ताव प्रक्रियाधीन है.
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