अजमेर. कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों की भूमिका काफी अहम हो गई है. कई ग्राम पंचायत सरकारी मदद के लिए देखती रहती हैं. लेकिन कई ग्राम पंचायतें ऐसी भी हैं जहां सरपंचों की संक्रियता और जागरूकता की बदौलत बिना सरकारी सहायता के इतने बेहतरीन कार्य हो रहे है कि उनके कामों की प्रशंसा जिला स्तर तक हो रही है.
सरपंच पंच चुनाव के दौरान गांव की सरकार का जिक्र होता है. मगर गांव की सरकार के वास्तविक कार्य की परख विपत्ति काल में ही देखी जा सकती है. पंचायती राज की ओर से शुरुआत में सभी ग्राम पंचायतों को राज्य सरकार की ओर से 50-50 हजार रुपये कोरोना बचाव के लिए दिए गए थे.
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कई ग्राम पंचायतें इन पैसे का उपयोग करने के बाद अब और सरकारी मदद की राह ताक रही हैं. वहीं, कई ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने लॉकडाउन के दौरान भी अपनी ग्राम पंचायतों में ऐसे काम किए हैं, जो नजीर बन गए है. ईटीवी भारत ने रुपनगढ़ पंचायत समिति की खातौली ग्राम पंचायत पहुंचकर यहां कोरोना संक्रमण को लेकर किए जा रहे बचाव के कार्य का जायजा लिया.
खातौली ग्राम पंचायत कार्यालय में हर कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी को निभा रहा है. इसकी वजह है खातौली ग्राम पंचायत के सरपंच हरिराम बाना की सक्रियता और जागरूकता. खतौली ग्राम पंचायत से 5 गांव जुड़े हुए हैं. यहां 15 हजार लोगों की आबादी है. लॉकडाउन शुरू होते ही सरपंच ने गांव को सेनेटाइज करना शुरू किया. वहीं हर गांव में कई कमेटियां बनाई गई जिनकी अनुशंसा पर गांव में गरीब वर्ग के लोगों को चिन्हित किया गया.
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गरीब वर्ग के 230 लोगों को सरपंच हरिराम बाना खाद्य सामग्री पहुंचा रहे हैं. इसमें सरकार की ओर से कोई सहयोग नहीं है बल्कि उन्होंने अपने व्यक्तिगत स्तर पर भामाशाह को सहयोग के लिए राजी किया. इतना ही नहीं खातौली ग्राम पंचायत ने सभी लोगों को मास्क लगाने की अनिवार्यता ना केवल शुरू की बल्कि सरपंच हरिराम बाना ने अपने स्तर पर लोगों को कपड़े के मास्क भी मुहैया करवाएं.
इसके अलावा पशुओं के लिए चारा और पक्षियों के लिए दाना और परिंडे गांव में लगवाए. खातौली ग्राम पंचायत के कार्यों की प्रशंसा जिला स्तर तक होने लगी, तो जिले के प्रभारी सचिव भवानी सिंह देथा भी गांव का जायजा लिए बिना नहीं रह सके. सरपंच की जागरूकता और संक्रियता का ही परिणाम है कि लॉकडाउन के दौरान खातौली ग्राम पंचायत में किसी व्यक्ति को परेशान नहीं होना पड़ा.
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कहते हैं जहां चाह है वहां राह है मुश्किल वक्त में भी खातोली ग्राम पंचायत सरपंच हरिराम बाना ने कोरोना से ग्रामीणों को बचाने और गांव में गरीब तबके के लोगों को दो जून का भोजन उपलब्ध करवाने के लिए सरकार की ओर नहीं देखा. यह उनके क्षेत्र के लोगों के प्रति उनकी चाह थी, जिससे उनकी राह भी आसान हो गई.