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अजमेरः परोपकारिणी सभा की ओर से ऋषि मेले का आयोजन

अजमेर के ऋषि उद्यान में परोपकारिणी सभा की ओर से महर्षि दयानंद सरस्वती के 137 वें बलिदान दिवस के अवसर पर ऋषि मेले का आयोजन किया गया है. यह मेला 3 नवंबर तक चलेगा. मेले में विभिन्न राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग सन्यासी विद्वानों को सुनने आ रहे हैं.

अजमेर न्यूज, ajmer news
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Published : Nov 1, 2019, 11:00 PM IST

अजमेर. जिले के ऋषि उद्यान में परोपकारिणी सभा की ओर से शुक्रवार को महर्षि दयानंद सरस्वती के 137 वें बलिदान दिवस के अवसर पर ऋषि मेले का आगाज हुआ है. कृषि मेला 3 नवंबर तक होगा, इसमें आर्य समाज की परंपराओं के अनुसार कई कार्यक्रम आयोजित होंगे.

परोपकारिणी सभा की ओर से ऋषि मेले का हुआ आगाज

ऋषि उद्यान में ऋषि मेले के पहले दिन आधुनिक शिक्षा और राष्ट्रवाद विषय पर गोष्ठी का आयोजन हुआ. इसमें दिल्ली गौतम नगर के अधिष्ठाता स्वामी प्रणवानंद सरस्वती के सानिध्य में सन्यासी, विद्वान, विदुषी, उपदेशक और प्रतिष्ठित महानुभाव ने अपने विचार व्यक्त किए.

यह भी पढ़ें- टोल पर टकराव : भाजपा नेताओं के विरोध पर राज्य सरकार का बयान, कहा - केंद्र में निजी वाहनों को टोल शुल्क में छूट नहीं तो स्टेट में क्यों?

गोष्ठी में राष्ट्रवाद को आर्य समाज ने सर्व भूमिक राष्ट्रवाद की संज्ञा दी है. स्वामी प्रणवानंद सरस्वती ने बताया कि विधाता ने सभी को समान रूप से बनाया है, आर्य समाज का उद्देश्य सबके लिए हितकारी और उपकार करना है. जिसमें शारीरिक आत्मिक एवं सामाजिक उन्नति करना है.

उन्होंने कहा कि हम दुनिया का हित चाहते हैं शिक्षा आधुनिकता और वैभव के उत्थान की दृष्टि से सब बराबर होना चाहिए. आधुनिक शिक्षा राष्ट्रवाद में बाधक नहीं है लेकिन, उसके प्रयोग का नजरिया हमारा होना चाहिए। शिक्षा में चरित्र और ईमानदारी को प्रोत्साहन मिलना चाहिए.

यह भी पढ़ें- विश्व की सबसे बड़ी गौशाला में 53वीं शक्तिपीठ की स्थापना आज, विश्व की पहली कामधेनु शक्तिपीठ जालोर में

वहीं जिला परोपकारिणी सभा के मंत्री कन्हैयालाल आर्य ने बताया कि ऋषि मेला 3 नवंबर तक रहेगा, जिसमें मानव निर्माण, नारी शिक्षा, गुरुकुल शिक्षा, चरित्र निर्माण एवं राष्ट्रवाद संबंधी सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती की विरासत से वेद का प्रचार करना आर्य राष्ट्र बनाना लोगों में चरित्र निर्माण करना संस्कारों की बात करना है.

उन्होंने कहा कि आधुनिक शिक्षा संस्कारों की बात नहीं करती, वह धन अर्जन की बात करती है. जबकि, वैदिक शिक्षा संस्कारों की बात करती है. इसलिए हर वर्ष ऋषि मेले का आयोजन किया जाता है ताकि लोगों में चरित्र निर्माण किया जा सके.

अजमेर में आयोजित इस मेले में विभिन्न राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग मेले में होने वाले कार्यक्रमों में सन्यासी विद्वान जन को सुनने के लिए उपस्थित हुए हैं.

अजमेर. जिले के ऋषि उद्यान में परोपकारिणी सभा की ओर से शुक्रवार को महर्षि दयानंद सरस्वती के 137 वें बलिदान दिवस के अवसर पर ऋषि मेले का आगाज हुआ है. कृषि मेला 3 नवंबर तक होगा, इसमें आर्य समाज की परंपराओं के अनुसार कई कार्यक्रम आयोजित होंगे.

परोपकारिणी सभा की ओर से ऋषि मेले का हुआ आगाज

ऋषि उद्यान में ऋषि मेले के पहले दिन आधुनिक शिक्षा और राष्ट्रवाद विषय पर गोष्ठी का आयोजन हुआ. इसमें दिल्ली गौतम नगर के अधिष्ठाता स्वामी प्रणवानंद सरस्वती के सानिध्य में सन्यासी, विद्वान, विदुषी, उपदेशक और प्रतिष्ठित महानुभाव ने अपने विचार व्यक्त किए.

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गोष्ठी में राष्ट्रवाद को आर्य समाज ने सर्व भूमिक राष्ट्रवाद की संज्ञा दी है. स्वामी प्रणवानंद सरस्वती ने बताया कि विधाता ने सभी को समान रूप से बनाया है, आर्य समाज का उद्देश्य सबके लिए हितकारी और उपकार करना है. जिसमें शारीरिक आत्मिक एवं सामाजिक उन्नति करना है.

उन्होंने कहा कि हम दुनिया का हित चाहते हैं शिक्षा आधुनिकता और वैभव के उत्थान की दृष्टि से सब बराबर होना चाहिए. आधुनिक शिक्षा राष्ट्रवाद में बाधक नहीं है लेकिन, उसके प्रयोग का नजरिया हमारा होना चाहिए। शिक्षा में चरित्र और ईमानदारी को प्रोत्साहन मिलना चाहिए.

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वहीं जिला परोपकारिणी सभा के मंत्री कन्हैयालाल आर्य ने बताया कि ऋषि मेला 3 नवंबर तक रहेगा, जिसमें मानव निर्माण, नारी शिक्षा, गुरुकुल शिक्षा, चरित्र निर्माण एवं राष्ट्रवाद संबंधी सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती की विरासत से वेद का प्रचार करना आर्य राष्ट्र बनाना लोगों में चरित्र निर्माण करना संस्कारों की बात करना है.

उन्होंने कहा कि आधुनिक शिक्षा संस्कारों की बात नहीं करती, वह धन अर्जन की बात करती है. जबकि, वैदिक शिक्षा संस्कारों की बात करती है. इसलिए हर वर्ष ऋषि मेले का आयोजन किया जाता है ताकि लोगों में चरित्र निर्माण किया जा सके.

अजमेर में आयोजित इस मेले में विभिन्न राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग मेले में होने वाले कार्यक्रमों में सन्यासी विद्वान जन को सुनने के लिए उपस्थित हुए हैं.

Intro:अजमेर। अजमेर में ऋषि उद्यान में परोपकारिणी सभा की ओर से आज महर्षि दयानंद सरस्वती के 137 वे बलिदान दिवस के अवसर पर ऋषि मेले का आज से आगाज हुआ है कृषि मेला 3 नवंबर तक होगा इसमें आर्य समाज की परंपराओं के अनुसार कई कार्यक्रम आयोजित होंगे।

ऋषि उद्यान में ऋषि मेले के पहले दिन आधुनिक शिक्षा और राष्ट्रवाद विषय पर गोष्ठी का आयोजन हुआ इसमें दिल्ली गौतम नगर के अधिष्ठाता स्वामी प्रणवानंद सरस्वती के सानिध्य में सन्यासी विद्वान विदुषी उपदेशक और प्रतिष्ठित महानुभाव ने अपने विचार व्यक्त किए गोष्ठी में राष्ट्रवाद को आर्य समाज ने सर्व भूमिक राष्ट्रवाद की संज्ञा दी है। स्वामी प्रणवानंद सरस्वती ने बताया कि विधाता ने सभी को समान रूप से बनाया है आर्य समाज का उद्देश्य सबके लिए हितकारी और उपकार करना है जिसमें शारीरिक आत्मिक एवं सामाजिक उन्नति करना है यही राष्ट्रवाद है उन्होंने कहा कि हम दुनिया का हित चाहते हैं शिक्षा आधुनिकता और वैभव के उत्थान की दृष्टि से सब बराबर होना चाहिए आधुनिक शिक्षा राष्ट्रवाद में बाधक नहीं है लेकिन उसके प्रयोग का नजरिया हमारा होना चाहिए। शिक्षा में चरित्र और ईमानदारी को प्रोत्साहन मिलना चाहिए.....
बाइट स्वामी प्रणवानंद सरस्वती अधिष्ठाता गौतम नगर दिल्ली

अजमेर परोपकारिणी सभा के मंत्री कन्हैयालाल आर्य ने बताया कि ऋषि मेला 3 नवंबर तक रहेगा जिसमें मानव निर्माण नारी शिक्षा गुरुकुल शिक्षा चरित्र निर्माण एवं राष्ट्रवाद संबंधी सम्मेलन ऋषि मेले के दौरान आयोजित किए जाएंगे उन्होंने बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती की विरासत से वेद का प्रचार करना आर्य राष्ट्र बनाना लोगों में चरित्र निर्माण करना संस्कारों की बात करना है उन्होंने कहा कि आधुनिक शिक्षा संस्कारों की बात नहीं करती वह धन वैभव संपत्ति अर्जुन की बात करती है। जबकि वैदिक शिक्षा संस्कारों की बात करती है इसलिए हर वर्ष ऋषि मेले का आयोजन किया जाता है ताकि लोगों में चरित्र निर्माण किया जा सके....
बाइट कन्हैया लाल आर्य मंत्री परोपकारिणी सभा अजमेर

विभिन्न राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग ऋषि मेले में होने वाले कार्यक्रमों में सन्यासी विद्वान जन को सुनने के लिए उपस्थित हुए हैं।


Body:प्रियांक शर्मा
अजमेर


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