अजमेर. देश में लॉकडाउन 3.0 में उन राज्यों में शराब की दुकानें खोल दी गई हैं, जहां शराब पर प्रतिबंध नही लगाया था. शराब की बिक्री से सरकार को बड़ा राजस्व मिलता है. यही वजह है कि खाली खजाना भरने के लिए के लिए शराब की दुकानों को खोलने का निर्णय लिया गया. लेकिन तम्बाकू उत्पाद की बिक्री पर रोक जारी है. वहीं इस बीच लॉकडाउन के दौरान नशे की सामग्री ना मिल पाने से लोगों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है. ऐसे में क्या उनकी नशे की लत छूट जाएगी या फिर कोई विपरीत प्रभाव उन पर हो सकता है.
लोगों में बढ़ती है बेचैनी
ईटीवी भारत ने लॉकडाउन के दौरान अलग-अलग नशे के आदी लोगों को लेकर अजमेर जेएलएन अस्पताल के मनोरोग विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ. महेंद्र जैन से बातचीत की. डॉ. जैन ने बताया कि शराब या तंबाकू उत्पादों की लत के शिकार कई लोगों के सामने बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है. लॉकडाउन की वजह से नशा नहीं मिलने से आदतन लोगों में बेचैनी बढ़ी है. इसके अलावा लोगों में कोरोना का डर भी उनकी मानसिक दशा को बिगाड़ रहा है. ऐसे सभी लोगों में एक कॉमन बीमारी नींद नहीं आने की है. अन्य दिनों की अपेक्षा ओपीडी में सभी मरीज नींद नहीं आने से परेशान हैं.
दृढ़ शक्ति मजबूत हो तो नहीं होगी मुश्किल
डॉ. जैन के मुताबिक जिन लोगों ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से नशा नहीं करने की ठान ली है, वह लोग 15 दिन तक बेचैनी रहते हैं और इसके बाद वह सामान्य व्यक्ति की तरह हो जाते हैं. लेकिन अभी कोरोना महामारी के चलते जो अनिश्चितता आई है. इस कारण लोगों में भय व्याप्त हो गया है. वहीं नशा नहीं मिलने से उनकी हालत और भी ज्यादा खराब हो रही है.
उन्होंने बताया कि कोविड-19 के कार्य में उनकी ड्यूटी लगी हुई है. शेल्टर होम रहने वाले अधिकांश लोग गुटखा बीड़ी सिगरेट या शराब की लत के शिकार हैं. ऐसे में शेल्टर होम में उनको शुरुआत में संभालना मुश्किल हो रहा था. काउंसलिंग और दवा के जरिए शेल्टर होम में ही उनकी देखभाल की जा रही है.
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डॉ. महेंद्र जैन ने बताया कि जो लोग शराब पीते हैं. लॉकडाउन में उन्हें शराब नही मिली. लेकिन जिस तरह की अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है और अब शराब की दुकानें भी खुल गई है. ऐसे में खुद को राहत देने के चक्कर में शराब का लोग सेवन करेंगे. लेकिन उन्हें इस बात का ध्यान रखना पड़ेगा कि वह शराब का अधिक सेवन ना करें. इससे उनकी लत और बढ़ने के साथ मुसीबत भी बढ़ जाएगी.