अजमेर. जिले के बीचोंबीच खूबसूरत आनासागर झील सर्दियों में पर्यटकों को आकर्षित कर रही है. लोगों को प्रकृति के अद्भुत नजारे भी झील में देखने को मिल रहे हैं. झील की सुंदरता केवल इंसानों को ही नहीं, देशी-विदेशी पक्षियों को भी आकर्षित कर रहे है. सर्द मौसम में प्रवासी पक्षियों का आना लगा रहता है. कुछ वर्षों पहले तक प्रशासनिक उदासीनता की वजह से झील के हालात खराब हो गए थे जिस कारण प्रवासी पक्षियों का आना कम हो गया था.
लेकिन केंद्र एवं राज्य सरकार के प्रयासों से झील का स्वरूप फिर से निखर गया है. यहां पर्यटकों की भीड़ के साथ 53 प्रजातियों के हजारों पक्षी भी आए हुए हैं जिससे झील का सौंदर्य और बढ़ गया है. अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से शनिवार को जॉय ऑफ बर्ड वॉचिंग का कार्यक्रम रखा गया जिसमें यूनिवर्सिटी और कॉलेज के विद्यार्थियों को भी आमंत्रित किया गया था.
विश्व पटल पर अजमेर की पहचान धार्मिक एवं पर्यटन नगरी के रूप में है, लेकिन अब अजमेर में वह खूबियां भी विकसित हो रहीं हैं जिनसे न केवल लोगों का प्रकृति से जुड़ाव हो रहा है बल्कि सेहत के प्रति भी लोग जागरूक हो रहे हैं. अजमेर दरगाह और पुष्कर आने वाले देशी विदेशी पर्यटकों को कुछ दिन और रोकने के प्रयास कारगर साबित हो रहे हैं. सर्द मौसम में आनासागर झील में आने वाले प्रवासी पक्षियों को उनके अनुकूल वातावरण देने के लिए किए गए प्रयास सफल हो रहे हैं.
अजमेर में वैशाली नगर स्थित सागर विहार कॉलोनी से लेकर महावीर कॉलोनी तक झील में प्रवासी पक्षियों के विचरण के लिए अनुकूल माहौल बन गया है. झील में प्रवासी पक्षियों के लिए भोजन की कोई कमी नहीं है. महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर प्रवीण माथुर बताते हैं कि झील में 53 प्रकार की प्रजातियों के हजारों प्रवासी पक्षी आए हुए हैं और इनकी संख्या बढ़ भी रही है.
प्रोफेसर माथुर ने बताया कि आनासागर झील के चारों तरफ जिस तरह विकास कार्य किए जा रहे थे उससे ऐसा लग रहा था कि आने वाले वक्त में प्रवासी पक्षी का आना लगभग बंद हो जाएगा, लेकिन पुरानी विश्राम स्थली की इमारतों और झील में पुराने पेड़ों के ठूठ को छोड़ देने से पक्षियों को बैठने की जगह मिली है. प्रवासी पक्षियों को झील में अपने अनुकूल वातावरण मिल रहा है. लेकिन अब अजमेर वासियों की जिम्मेदारी और बढ़ गई है. झील में गंदगी न करने के अलावा लोगों को समझना होगा कि ऐसी कोई खाद्य वस्तु न फेंकें जिससे झील की मछलियों को नुकसान हो, या जिसे खाने से प्रवासी पक्षियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़े.
अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह और पुष्कर में जगतपिता ब्रह्मा का इकलौता ब्रह्मा मंदिर के अलावा पर्यटकों को नाग पहाड़ और आना सागर झील प्राकृतिक अनुभव दे रहे हैं. झील में खासकर सुबह के वक्त विभिन्न प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों का नजारा अद्भुत होता है. आनासागर झील का एक हिस्सा मिनी बर्ड सेंचुरी के रूप में विकसित हो रहा है. अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से शनिवार को जॉय ऑफ बर्ड वॉचिंग का कार्यक्रम रखा गया जिसमें यूनिवर्सिटी और कॉलेज के विद्यार्थियों को भी आमंत्रित किया गया था.
आनासागर झील की मेजबानी में यह आए मेहमान पक्षी
ग्रेट व्हाइट पेलिकन, डालमेशन पेलिकन, इंडियन शग, लिटिल ग्रिल, ग्रेट ग्रेट, पर्पल हेरोन, इंडियन पॉन्ड हेरोन, मोल्लार्ड, ब्राउन हेडेड गर्ल, ब्लैक हेडेड गर्ल, रूफ, कॉमन सेंड पाइप्स, वाइट वैगटेल, हाउस स्पैरो, ब्लैक काइट, बैंक मायना सहित विभिन्न प्रजातियों के पक्षी शामिल हैं.