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7 साल के बाद अपनों ने फेरा सिर पर हाथ, तो होठों पर तैर गई मुस्कान और भर गई आंखें - मानव तस्करी

बीकानेर से 7 साल पहले एक बच्ची का अपहरण हो गया था. अपहरणकर्ताओं से छुड़ाकर पुलिस ने बच्ची को अजमेर के बाल गृह में रखा. अब जाकर बच्ची अपने माता-पिता से मिल पाई है.

अजमेर बाल गृह, ajmer children home
7 साल पहले अपहरण हुई बच्ची मिली अजमेर बाल गृह से
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Published : Aug 9, 2021, 7:13 PM IST

Updated : Aug 9, 2021, 9:02 PM IST

अजमेर. बीकानेर में सात साल पहले यानी 2015 में 10 साल की उम्र में बच्ची का एक शादी समारोह से अपहरण हो गया था. पुलिस ने किसी तरह बच्ची को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ाया. जिसके बाद बच्ची को अजमेर के बाल गृह में भेज दिया गया. करीब 7 साल बाद बच्ची के माता-पिता मिले. जिसके बाद समिति ने बच्ची को उनके सुपुर्द कर दिया.

पढ़ेंः #Jeene Do डूंगरपुर : नाबालिग लड़की को बाइक पर बैठाकर जबरन ले गए, कमरे में बंधक बनाकर युवक ने किया दुष्कर्म

नागौर बाल कल्याण समिति की बच्ची को माता पिता से मिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है. समिति ने बच्ची को सोमवार को उसके माता पिता के सुपुर्द कर दिया है. 7 साल पहले बिछड़ी बालिका को नागौर बाल कल्याण समिति के प्रयास से माता पिता मिल गए है.

7 साल पहले अपहरण हुई बच्ची मिली अजमेर बाल गृह से

नागौर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष मनोज सोनी ने बताया कि सन 2015 में बालिका अपने माता पिता के साथ बीकानेर शादी समारोह में शामिल होने के लिए आई थी. यहां से सलीम नाम के एक युवक ने उसका अपहरण कर लिया था. आरोपी सलीम पहले भी 4-5 बच्चों का अपहरण कर चुका था. इन बच्चों को वह भिक्षावृत्ति और बाल श्रम के कार्य में लगाए हुए था.

बालिका के अपहरण के कुछ दिनों बाद ही वे उसे और अन्य बच्चों को लेकर गोटन आया हुआ था. जहां मुखबिर की सूचना पर नागौर पुलिस ने उसे मानव तस्करी के मामले में गिरफ्तार कर लिया. चार नाबालिग बच्चे आरोपी के पास से बरामद किए गए थे. इनमें से 3 बच्चों के माता-पिता मिल गए थे, लेकिन एक बच्ची के माता-पिता उसे नहीं मिले थे.

पुलिस की मानव तस्करी यूनिट ने मुकदमा दर्ज किया और सक्षम न्यायालय ने आरोपी सलीम को 10 साल की सजा सुनाई थी. सोनी ने बताया कि नागौर बाल कल्याण समिति बच्चे की देखभाल के उद्देश्य से उसे अजमेर राजकीय बालिका गृह में रखवाया था. इस बीच बच्ची के माता-पिता एक बार अजमेर राजकीय बालिका गृह में आए थे, लेकिन बच्ची ने अन्य बच्चों के कहने पर अपने माता-पिता को पहचानने से इंकार कर दिया था.

अप्रैल 2021 में नागौर बाल कल्याण समिति ने अजमेर राजकीय बाल गृह का निरीक्षण किया था. इस दौरान बच्ची ने समिति के सदस्यों को बताया था कि जो पहले उससे मिलने बालिका सुधार गृह आए थे वही उसके असली माता-पिता हैं.

समिति ने नागौर एसपी को मामले की जानकारी दी, साथ ही नागौर एसपी ने मामले में गंभीरता दिखाते हुए बच्ची को तलाशने के लिए 5 सदस्य टीम गठित की. उन्होंने बताया कि बच्ची बिहार के सिवाना जिले की रहने वाली है. उसके माता-पिता मेहसाणा जिले में एक निजी कंपनी में कार्य करते हैं. सोनी ने बताया कि बच्ची के माता-पिता को खोजने के लिए काफी मशक्कत नागौर पुलिस ने भी की है.

पढ़ेंः डूंगरपुरः शराब के नशे में राहगीरों को परेशान कर रहे थे बदमाश, रोकने गई पुलिस पर हमला...एक घायल

बच्ची के बिहार स्थित गांव सिवाना में सोशल मीडिया पर बच्ची के मिलने की सूचना को प्रसारित किया गया. सोशल मीडिया पर बच्ची के मिलने की सूचना देखकर उसके एक रिश्तेदार ने बच्ची के माता-पिता से संपर्क किया. सोमवार को बच्छी के माता-पिता उसे लेने अजमेर राजकीय बाल गृह पहुंचे. जहां समिति के सदस्यों ने आवश्यक दस्तावेज देखने के बाद बच्ची को उसके असली माता पिता के हवाले कर दिया.

अजमेर. बीकानेर में सात साल पहले यानी 2015 में 10 साल की उम्र में बच्ची का एक शादी समारोह से अपहरण हो गया था. पुलिस ने किसी तरह बच्ची को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ाया. जिसके बाद बच्ची को अजमेर के बाल गृह में भेज दिया गया. करीब 7 साल बाद बच्ची के माता-पिता मिले. जिसके बाद समिति ने बच्ची को उनके सुपुर्द कर दिया.

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नागौर बाल कल्याण समिति की बच्ची को माता पिता से मिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है. समिति ने बच्ची को सोमवार को उसके माता पिता के सुपुर्द कर दिया है. 7 साल पहले बिछड़ी बालिका को नागौर बाल कल्याण समिति के प्रयास से माता पिता मिल गए है.

7 साल पहले अपहरण हुई बच्ची मिली अजमेर बाल गृह से

नागौर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष मनोज सोनी ने बताया कि सन 2015 में बालिका अपने माता पिता के साथ बीकानेर शादी समारोह में शामिल होने के लिए आई थी. यहां से सलीम नाम के एक युवक ने उसका अपहरण कर लिया था. आरोपी सलीम पहले भी 4-5 बच्चों का अपहरण कर चुका था. इन बच्चों को वह भिक्षावृत्ति और बाल श्रम के कार्य में लगाए हुए था.

बालिका के अपहरण के कुछ दिनों बाद ही वे उसे और अन्य बच्चों को लेकर गोटन आया हुआ था. जहां मुखबिर की सूचना पर नागौर पुलिस ने उसे मानव तस्करी के मामले में गिरफ्तार कर लिया. चार नाबालिग बच्चे आरोपी के पास से बरामद किए गए थे. इनमें से 3 बच्चों के माता-पिता मिल गए थे, लेकिन एक बच्ची के माता-पिता उसे नहीं मिले थे.

पुलिस की मानव तस्करी यूनिट ने मुकदमा दर्ज किया और सक्षम न्यायालय ने आरोपी सलीम को 10 साल की सजा सुनाई थी. सोनी ने बताया कि नागौर बाल कल्याण समिति बच्चे की देखभाल के उद्देश्य से उसे अजमेर राजकीय बालिका गृह में रखवाया था. इस बीच बच्ची के माता-पिता एक बार अजमेर राजकीय बालिका गृह में आए थे, लेकिन बच्ची ने अन्य बच्चों के कहने पर अपने माता-पिता को पहचानने से इंकार कर दिया था.

अप्रैल 2021 में नागौर बाल कल्याण समिति ने अजमेर राजकीय बाल गृह का निरीक्षण किया था. इस दौरान बच्ची ने समिति के सदस्यों को बताया था कि जो पहले उससे मिलने बालिका सुधार गृह आए थे वही उसके असली माता-पिता हैं.

समिति ने नागौर एसपी को मामले की जानकारी दी, साथ ही नागौर एसपी ने मामले में गंभीरता दिखाते हुए बच्ची को तलाशने के लिए 5 सदस्य टीम गठित की. उन्होंने बताया कि बच्ची बिहार के सिवाना जिले की रहने वाली है. उसके माता-पिता मेहसाणा जिले में एक निजी कंपनी में कार्य करते हैं. सोनी ने बताया कि बच्ची के माता-पिता को खोजने के लिए काफी मशक्कत नागौर पुलिस ने भी की है.

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बच्ची के बिहार स्थित गांव सिवाना में सोशल मीडिया पर बच्ची के मिलने की सूचना को प्रसारित किया गया. सोशल मीडिया पर बच्ची के मिलने की सूचना देखकर उसके एक रिश्तेदार ने बच्ची के माता-पिता से संपर्क किया. सोमवार को बच्छी के माता-पिता उसे लेने अजमेर राजकीय बाल गृह पहुंचे. जहां समिति के सदस्यों ने आवश्यक दस्तावेज देखने के बाद बच्ची को उसके असली माता पिता के हवाले कर दिया.

Last Updated : Aug 9, 2021, 9:02 PM IST
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