अजमेर. जिले में केकड़ी कस्बे के सांपला गांव में दिवाली के दूसरे दिन अन्नकूट पर गाय मेले का आयोजन किया गया. यह मेला 598 वर्षों से लग रहा है. मेले में कई जिलों के श्रद्धालु शामिल हुए. इस दिन गांव में भगवान की सवारी निकाली जाती है. मान्यता है कि भगवान की सवारी (डोल) के नीचे से अगर गाय निकलती है तो अच्छे दिन आते हैं, अच्छी बरसात होती है, खेती-बाड़ी को फायदा होता है. अगर गाय सवारी के नीचे से नहीं निलकती को खराब दौर आता है, अकाल और बीमारियां आती हैं. पिछले 5 साल से सवारी के नीचे से गाय नहीं निकली है.
इस बार भी अन्नकूट मेले के दौरान विमान के नीचे से गाय नहीं निकली तो मेले में शामिल श्रद्धालु मायूस हो गए. ये श्रद्धालु कई जिलों से यहां पहुंचे हैं. सांपला का गाय मेला 598 वर्षों से भर रहा है, द्वारिकाधीश गोपाल महाराज का यह गाय मेला ऐतिहासिक है. कहा जाता है कि दामोदर दास महाराज भगवान कृष्ण के भक्त थे. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर संवत 1474 में द्वारका से गोपाल महाराज गांव के बाहर से निकलने वाले रेवड़ में बैल की पैठ पर सवार होकर आए और मूर्तियों के रूप में सांपला गांव में आकर दर्शन दिए. तभी से यह मेला भर रहा है.
सवारी के नीचे से गाय नहीं निकलने से निराशा
अन्नकूट के दिन मंदिर के पुजारियों को विधि विधान से हवन कराकर पंचामृत देकर यज्ञोपवीत धारण कराई गई. हवन के बाद मंदिर के सभी पुजारी भगवान द्वारिकाधीश गोपाल महाराज की सवारी के साथ मंदिर से रवाना हुए. सवारी गांव के मुख्य बाजार से होती हुई रावला चौक पहुंची, जहां राजपूत समाज के भक्तों ने झांकी के दर्शन किए. इसके बाद कीर्ति स्तंभ पर श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन किए. मेला ग्राउंड में सैकड़ों गायों के झुंड के बीच चांदी के ठिकरे को गायों के बीच घुमाया गया. लेकिन गाय सवारी के नीचे से नहीं निकली.
सवारी के नीचे से निकले श्रद्धालु
शाम को मंदिर के महंत ओमप्रकाश शर्मा ने कीर्ति स्तंभ पर ही गोपाल महाराज, केशवरायजी, राधिकाजी की आरती की. ढोल नगाड़ों के साथ विभिन्न मार्गों से होती हुई यह सवारी भक्त हरका लाखा स्थल गोपालबाड़ी पहुंची. जहां जाट भक्तों ने पुजारियों को जलपान करवाया. इस दौरान श्रद्धालु सवारी के नीचे से निकलकर भगवान का आशीर्वाद लेते रहे. सवारी के मुख्य मंदिर पहुंचने पर पुजारी ने आरती की और अन्नकूट का भोग लगाया.
पुजारियों के हाथ बांधकर सजा
गाय जब इस बार भी भगवान द्वारिकाधीश गोपाल महाराज की सवारी के नीचे से नहीं निकली तो माना गया कि पुजारी भगवान की सेवा और पूजा-अर्चना में लापरवाही कर रहे हैं. सभी पुजारियों ने हाथ बंधवाकर द्वारिकाधीश गोपाल महाराज के भक्त दामोदर दास के पद स्थल पर जाकर क्षमा अर्चना की. फिर गांव की ओर से पुजारियों पर चांदी के सवा रुपए का दंड लगाया गया.