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3 साल से मान्यता और NOC प्राप्त बीएड कॉलेजों को करें एडमिशन आवंटित : HC

राजस्थान हाईकोर्ट ने आरयू को बीएड कॉलेजों में विद्यार्थियों के एडमिशन आवंटित करने को कहा है. अदालत ने राजस्थान विश्वविद्यालय की अपील पर सुनवाई करते हुए दिए.

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Published : Jun 21, 2019, 9:46 PM IST

हाईकोर्ट ने दिए आदेश

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय को कहा है कि वह उन बीएड कॉलेजों में विद्यार्थियों के एडमिशन आवंटित करे, जिनके पास राज्य सरकार की एनओसी सहित पिछले तीन साल से शैक्षणिक सत्र चलाने की मंजूरी हो. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि छात्रों का प्रवेश एकलपीठ में लंबित याचिका के निर्णय के अधीन रहेगा.

न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह की अवकाशकालीन खंडपीठ ने यह आदेश राजस्थान विश्वविद्यालय की अपील पर सुनवाई करते हुए. अपील में कहा गया कि विश्वविद्यालय में गत 3 अप्रैल को अधिसूचना जारी कर B.Ed और M.Ed कॉलेजों को निरीक्षण के बाद संबद्धता देने का प्रावधान किया. जिसे राजस्थान प्रदेश निजी कॉलेज संघ की ओर से हाईकोर्ट की एकलपीठ में चुनौती देते हुए कहा गया कि एनसीटीई उनकी कॉलेजों का निरीक्षण कर उन्हें विद्यार्थियों की एडमिशन के लिए मंजूरी दे चुका है. ऐसे में विश्वविद्यालय को कॉलेजो के निरीक्षण का अधिकार नहीं है.

याचिका पर एकलपीठ ने गत 15 अप्रैल को सुनवाई करते हुए विश्वविद्यालय की अधिसूचना पर रोक लगा दी. वहीं, 27 मई को विश्वविद्यालय की ओर से रोक हटाने के प्रार्थना पत्र को भी खारिज कर दिया. विश्वविद्यालय की ओर से इसे खंडपीठ में चुनौती देते हुए कहा गया कि एकलपीठ ने उन्हें सुनवाई का मौका दिए बिना ही आदेश पारित किया है.

विश्वविद्यालय ने कॉलेज संघ के 161 में से 35 कॉलेजों को ही मान्यता दी है. इनमें से कई कॉलेज विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त नहीं है. ऐसे में एकलपीठ सभी कॉलेजों के लिए एक समान आदेश जारी नहीं कर सकती. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय को कहा है कि वह उन बीएड कॉलेजों में विद्यार्थियों के एडमिशन आवंटित करे, जिनके पास राज्य सरकार की एनओसी सहित पिछले तीन साल से शैक्षणिक सत्र चलाने की मंजूरी हो. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि छात्रों का प्रवेश एकलपीठ में लंबित याचिका के निर्णय के अधीन रहेगा.

न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह की अवकाशकालीन खंडपीठ ने यह आदेश राजस्थान विश्वविद्यालय की अपील पर सुनवाई करते हुए. अपील में कहा गया कि विश्वविद्यालय में गत 3 अप्रैल को अधिसूचना जारी कर B.Ed और M.Ed कॉलेजों को निरीक्षण के बाद संबद्धता देने का प्रावधान किया. जिसे राजस्थान प्रदेश निजी कॉलेज संघ की ओर से हाईकोर्ट की एकलपीठ में चुनौती देते हुए कहा गया कि एनसीटीई उनकी कॉलेजों का निरीक्षण कर उन्हें विद्यार्थियों की एडमिशन के लिए मंजूरी दे चुका है. ऐसे में विश्वविद्यालय को कॉलेजो के निरीक्षण का अधिकार नहीं है.

याचिका पर एकलपीठ ने गत 15 अप्रैल को सुनवाई करते हुए विश्वविद्यालय की अधिसूचना पर रोक लगा दी. वहीं, 27 मई को विश्वविद्यालय की ओर से रोक हटाने के प्रार्थना पत्र को भी खारिज कर दिया. विश्वविद्यालय की ओर से इसे खंडपीठ में चुनौती देते हुए कहा गया कि एकलपीठ ने उन्हें सुनवाई का मौका दिए बिना ही आदेश पारित किया है.

विश्वविद्यालय ने कॉलेज संघ के 161 में से 35 कॉलेजों को ही मान्यता दी है. इनमें से कई कॉलेज विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त नहीं है. ऐसे में एकलपीठ सभी कॉलेजों के लिए एक समान आदेश जारी नहीं कर सकती. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय को कहा है कि वह उन बीएड कॉलेजों में विद्यार्थियों के एडमिशन आवंटित करें, जिनके पास राज्य सरकार की एनओसी सहित पिछले 3 साल से शैक्षणिक सत्र चलाने की मंजूरी हो। अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि छात्रों का प्रवेश एकलपीठ में लंबित याचिका के निर्णय के अधीन रहेगा। न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह की अवकाशकालीन खंडपीठ ने यह आदेश राजस्थान विश्वविद्यालय की अपील पर सुनवाई करते हुए।


Body:अपील में कहा गया कि विश्वविद्यालय में गत 3 अप्रैल को अधिसूचना जारी कर B.Ed और M.Ed कॉलेजो को निरीक्षण के बाद संबद्धता देने का प्रावधान किया। जिसे राजस्थान प्रदेश निजी कॉलेज संघ की ओर से हाईकोर्ट की एकलपीठ में चुनौती देते हुए कहा गया कि एनसीटीई उनकी कॉलेजों का निरीक्षण कर उन्हें विद्यार्थियों की एडमिशन के लिए मंजूरी दे चुका है। ऐसे में विश्वविद्यालय को कॉलेजो के निरीक्षण का अधिकार नहीं है। याचिका पर एकलपीठ ने गत 15 अप्रैल को सुनवाई करते हुए विश्वविद्यालय की अधिसूचना पर रोक लगा दी। वहीं 27 मई को विश्वविद्यालय की ओर से रोक हटाने के प्रार्थना पत्र को भी खारिज कर दिया। विश्वविद्यालय की ओर से इसे खंडपीठ में चुनौती देते हुए कहा गया कि एकलपीठ ने उन्हें सुनवाई का मौका दिए बिना ही आदेश पारित किया है। विश्वविद्यालय ने कॉलेज संघ के 161 में से 35 कॉलेजों को ही मान्यता दी है। इनमें से कई कॉलेज विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त नहीं है। ऐसे में एकलपीठ सभी कॉलेजों के लिए एक समान आदेश जारी नहीं कर सकती। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं।


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