अलवर. सरिस्का में लगातार हो रही बाघों की मौत के बाद सरिस्का प्रशासन पर अब सवाल उठने लगे हैं. बाघ ST-16 की मौत के पीछे सरिस्का प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. बाघ के पैर में एक गांठ का इलाज करने के लिए सरिस्का के अधिकारियों ने उसे ट्रेंकुलाइज किया था. बाघ विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ की मौत बेहोशी की दवा के ओवरडोज से हुई, जबकि सरिस्का के अधिकारियों का दावा है कि हीट स्ट्रोक से बाघ ST-16 की मौत हुई है.
रणथंभौर से 2 महीने पहले बाग ST-16 को सरिस्का के जंगलों में शिफ्ट किया गया था. बाघ विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के लिए तैयार किए गए बेहोशी की दवा तय मात्रा से अधिक होगी. विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले पैरों से ऊपर लगने की बजाए उसकी पूछ के आसपास जा लगी. इसलिए डार्ट में दवा की मात्रा अधिक होने से उसका हार्ट फेल हो गया.
बहरहाल, सरिस्का में वन विभाग के सभी आला अधिकारी पहुंच चुके हैं. रविवार रात तक बाघ की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आएगी. उसके बाद बाकी मौत के कारणों का पता चल सकेगा. दरअसल, गर्मियों में बहुत जरूरी होता है कि ट्रेंकुलाइज के दौरान छाया और पानी की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए. सरिस्का में अभी 11 बाघ हैं, इसमें 3 नर और 8 मादा बाघ हैं.
ST-16 का वजन करीब 200 किलो से ज्यादा और लंबाई 296 सेंटीमीटर और ऊंचाई 122 सेंटीमीटर थी. ST-16 बाघ रणथंभौर की सुंदरी की संतान था. बाघ विशेषज्ञों ने बताया बाघ की मौत का प्रारंभिक कारण ओवरडोज ट्रेंकुलाइज हो सकता है। गर्मी में बाघ को ट्रेंकुलाइज किया गया था. संभव है कि ओवरडोज हो गया हो. बाघ की मौत मामले की जांच होनी चाहिए. जिससे सच सामने आ सके. बाघ के बिसरा की बरेली में हैदराबाद की लैब में जांच होना जरूरी है.