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MP Assembly Election 2023: राजसी माहौल से अलग सत्ता की सड़क पर आए राजनीति के ये राजकुंवर, पढ़िए इंडेप्थ स्टोरी

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 6, 2023, 8:28 PM IST

एमपी की राजनीति में नेताओं के साथ-साथ राजपरिवार के सदस्य भी अपनी किस्मत आजमाते रहे हैं. चाहे रामपुर बघेलाना से बाघेला परिवार हो या सिंधिया परिवार हो या फिर राघोगढ़ के राजा दिग्विजय सिंह से लेकर जयवर्धन सिंह हों. कई राजकुमार और राजकुमारी सत्ता की सड़क पर दौड़ रहे हैं. वहीं इस बार 30 से ज्यादा राजपरिवार हैं, जो चुनाव लड़ने को तैयार हैं. पढ़िए ईटीवी भारत से शेफाली पांडेय की ये रिपोर्ट

MP Assembly Election 2023
राजनीति के राजकुंवर

भोपाल। चांदी की चम्मच मुंह में लेकर पैदा हुए राजदुलारे जो सियासत में भी राजकुमार की तरह ही एंट्री लेते रहे हैं. कभी कांग्रेस में महाराज की हैसियत में रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर विंध्य बुंदेलखंड मालवा निमाड़ तक राजघरानों के सुकुमार राजनीति की जमीन पकड़ने में लगे हैं. राजसी माहौल में पले बढ़े इन युवराजों को राजनीति कितनी रास आई...क्या ये जनता से सीधे जुड़ाव वाले इस जमीनी काम में फिट बैठ पाए. लोकतंत्र में आने के बाद क्या कम हो पाई राजपरिवारों की ठसक...2023 के विधानसभा चुनाव में राजपरिवारों के कितने राजकुंवर सियासत की दौड़ में हैं और हैं कितने मजबूत...30 से ज्यादा राजघराने एमपी में हैं. जिनमें से बीस के करीब राजपरिवार हैं. जिनके सदस्य राजनीति में पैर जमाए हुए हैं. इनमें 12 बीजेपी के साथ खड़े हैं. करीब सात कांग्रेस का हाथ थामे हैं. राजनीति में क्या खास कर रहे हैं कुछ खास राजपरिवार.

विंध्य में राजपरिवारों की ही सियासत हावी: विंध्य क्षेत्र में राजपरिवारों का दखल राजनीति में जो शुरु हुआ तो बना रहा. क्या वजह रही कि ये राजनीति में आए तो सफल भी हुए. असल में राजपरिवारों के पास पर्याप्त धन संपदा थी. जिसके जरिए जनता की मदद करते हुए इनकी कड़ी बनी रही. फिर सत्ता में सीधे आ जाने के बाद भी ये कनेक्शन और गहरा हुआ. रामपुर बघेलान का बाघेला राजपरिवार जहां तीन पीढ़ियों से राजपरिवार के सदस्य राजनीति में पैर जमाए हुए है. राजे रजवाड़ों का दौर चला गया, लेकिन हुकूमत में इस राजपरिवार की भागीदारी बनी रही.

MP Assembly Election 2023
विक्रम सिंह

60 के दशक में मुख्यमंत्री बने गोविंद नारायण सिंह इस परिवार के महाराज. इनके बेटे हर्ष सिंह रामपुर बघेलान से विधायक रहे. 2018 तक उन्होंने कमान संभाली. उनके बाद इन्हीं के बेटे विक्रम सिंह अब विधायक हैं. यानि पीढ़ी दर पीढ़ी लोकतंत्र में भी राजपरिवार का प्रभाव बना हुआ है. इसी तरह रीवा रियासत की गिनती एमपी की सबसे पुरानी रियासतों में होती है. इस रियासत के आखिरी राजा हुए मार्तण्ड सिंह. जिनके बेटे पुष्पराज सिंह ने राजनीतिक पारी की शुरुआत कांग्रेस से की, लेकिन अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. चुरहट राजघराने से जो शख्स राजनीति में मजबूत पारी खेले वो पूर्व सीएम अर्जुन सिंह है. जो केन्द्रीय मंत्री तक पहुंचे. अब उनके बेटे अजय सिंह राजनीति में अपने पिता की विरासत को संभाल रहे हैं.

ग्वालियर में सिंधिया राजपरिवार...पीढियों से सियासत: ग्वालियर की राजनीति में किस दिशा में चलेगी, ये एक अर्से तक सिंधिया राजपरिवार ही तय करता रहा है. महारानी विजयाराजे सिंधिया ने यहां बीजेपी की जड़ें मजबूत की और फिर माधवराव सिंधिया से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया..वसुंधरा यशोधरा राजे तक इस परिवार की शाखाएं कांग्रेस और बीजेपी में बढ़ती रहीं. 2018 के विधानसभा चुनाव तक सिंधिया का असर ये था कि ग्वालियर चंबल से ही कांग्रेस की सबसे ज्यादा सीटें आई और कांग्रेस सरकार बना पाई. हालांकि अब ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में हैं. पार्टी बदल जाने के साथ ही उनकी राजनीति का अंदाज भी बदल रहा है. अब सिंधिया जमीनी भी हैं और जनता के करीब भी. जानकार कहते हैं कि इसके पहले सिंधिया जनता से इतने करीब कभी नहीं हुए.

MP Assembly Election 2023
सीएम शिवराज के साथ केंद्रीय मंत्री सिंधिया

यहां पढ़ें...

MP Assembly Election 2023
मां विजयाराजे के साथ यशोधरा राजे सिंधिया

दिग्गी राजा का राघोगढ राजघराना: राघोगढ़ राजघराने के 12 वे राजा हैं दिग्विजय सिंह. और ऐसे राजा जिन्होने गुलाम और आजाद भारत दोनो करीब से देखे थे. आजाद भारत में राजनीति के मैदान में उतरे दिग्विजय सिंह 70 के दशक में पहली बार चनाव जीकर विधायक बने थे. राजघराने के अकेले ऐसे सदस्य जिन्होने पूरे दस साल एमपी की सत्ता पर राज किया मुख्यमंत्री के रुप में. हांलाकि इस राजघराने में हर पीढ़ी राजनीति में रही. दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह भी पांच बाद के सांसद हैं. दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह भी दस साल से विधायक हैं.

MP Assembly Election 2023
जयवर्धन सिंह

बुंदेलखंड के राजघराने...राजुंकवर राजनीति में: छतरपुर से जुड़े राजघराने से ताल्लुक रखते हैं विक्रम सिंह नाती राजा. लेकिन नाती राजा की जनता से कनेक्टिविटी इतनी तेज है कि 2003 से लगातार विधायक हैं. पहली बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते. इसके बाद लगातार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत रहे हैं. इनकी विधानसभा में अब भी इन्हें नातीराजा ही कहते हैं और राजा की तरह इनसे अपने दुख दर्द बताती है.

भोपाल। चांदी की चम्मच मुंह में लेकर पैदा हुए राजदुलारे जो सियासत में भी राजकुमार की तरह ही एंट्री लेते रहे हैं. कभी कांग्रेस में महाराज की हैसियत में रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर विंध्य बुंदेलखंड मालवा निमाड़ तक राजघरानों के सुकुमार राजनीति की जमीन पकड़ने में लगे हैं. राजसी माहौल में पले बढ़े इन युवराजों को राजनीति कितनी रास आई...क्या ये जनता से सीधे जुड़ाव वाले इस जमीनी काम में फिट बैठ पाए. लोकतंत्र में आने के बाद क्या कम हो पाई राजपरिवारों की ठसक...2023 के विधानसभा चुनाव में राजपरिवारों के कितने राजकुंवर सियासत की दौड़ में हैं और हैं कितने मजबूत...30 से ज्यादा राजघराने एमपी में हैं. जिनमें से बीस के करीब राजपरिवार हैं. जिनके सदस्य राजनीति में पैर जमाए हुए हैं. इनमें 12 बीजेपी के साथ खड़े हैं. करीब सात कांग्रेस का हाथ थामे हैं. राजनीति में क्या खास कर रहे हैं कुछ खास राजपरिवार.

विंध्य में राजपरिवारों की ही सियासत हावी: विंध्य क्षेत्र में राजपरिवारों का दखल राजनीति में जो शुरु हुआ तो बना रहा. क्या वजह रही कि ये राजनीति में आए तो सफल भी हुए. असल में राजपरिवारों के पास पर्याप्त धन संपदा थी. जिसके जरिए जनता की मदद करते हुए इनकी कड़ी बनी रही. फिर सत्ता में सीधे आ जाने के बाद भी ये कनेक्शन और गहरा हुआ. रामपुर बघेलान का बाघेला राजपरिवार जहां तीन पीढ़ियों से राजपरिवार के सदस्य राजनीति में पैर जमाए हुए है. राजे रजवाड़ों का दौर चला गया, लेकिन हुकूमत में इस राजपरिवार की भागीदारी बनी रही.

MP Assembly Election 2023
विक्रम सिंह

60 के दशक में मुख्यमंत्री बने गोविंद नारायण सिंह इस परिवार के महाराज. इनके बेटे हर्ष सिंह रामपुर बघेलान से विधायक रहे. 2018 तक उन्होंने कमान संभाली. उनके बाद इन्हीं के बेटे विक्रम सिंह अब विधायक हैं. यानि पीढ़ी दर पीढ़ी लोकतंत्र में भी राजपरिवार का प्रभाव बना हुआ है. इसी तरह रीवा रियासत की गिनती एमपी की सबसे पुरानी रियासतों में होती है. इस रियासत के आखिरी राजा हुए मार्तण्ड सिंह. जिनके बेटे पुष्पराज सिंह ने राजनीतिक पारी की शुरुआत कांग्रेस से की, लेकिन अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. चुरहट राजघराने से जो शख्स राजनीति में मजबूत पारी खेले वो पूर्व सीएम अर्जुन सिंह है. जो केन्द्रीय मंत्री तक पहुंचे. अब उनके बेटे अजय सिंह राजनीति में अपने पिता की विरासत को संभाल रहे हैं.

ग्वालियर में सिंधिया राजपरिवार...पीढियों से सियासत: ग्वालियर की राजनीति में किस दिशा में चलेगी, ये एक अर्से तक सिंधिया राजपरिवार ही तय करता रहा है. महारानी विजयाराजे सिंधिया ने यहां बीजेपी की जड़ें मजबूत की और फिर माधवराव सिंधिया से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया..वसुंधरा यशोधरा राजे तक इस परिवार की शाखाएं कांग्रेस और बीजेपी में बढ़ती रहीं. 2018 के विधानसभा चुनाव तक सिंधिया का असर ये था कि ग्वालियर चंबल से ही कांग्रेस की सबसे ज्यादा सीटें आई और कांग्रेस सरकार बना पाई. हालांकि अब ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में हैं. पार्टी बदल जाने के साथ ही उनकी राजनीति का अंदाज भी बदल रहा है. अब सिंधिया जमीनी भी हैं और जनता के करीब भी. जानकार कहते हैं कि इसके पहले सिंधिया जनता से इतने करीब कभी नहीं हुए.

MP Assembly Election 2023
सीएम शिवराज के साथ केंद्रीय मंत्री सिंधिया

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MP Assembly Election 2023
मां विजयाराजे के साथ यशोधरा राजे सिंधिया

दिग्गी राजा का राघोगढ राजघराना: राघोगढ़ राजघराने के 12 वे राजा हैं दिग्विजय सिंह. और ऐसे राजा जिन्होने गुलाम और आजाद भारत दोनो करीब से देखे थे. आजाद भारत में राजनीति के मैदान में उतरे दिग्विजय सिंह 70 के दशक में पहली बार चनाव जीकर विधायक बने थे. राजघराने के अकेले ऐसे सदस्य जिन्होने पूरे दस साल एमपी की सत्ता पर राज किया मुख्यमंत्री के रुप में. हांलाकि इस राजघराने में हर पीढ़ी राजनीति में रही. दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह भी पांच बाद के सांसद हैं. दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह भी दस साल से विधायक हैं.

MP Assembly Election 2023
जयवर्धन सिंह

बुंदेलखंड के राजघराने...राजुंकवर राजनीति में: छतरपुर से जुड़े राजघराने से ताल्लुक रखते हैं विक्रम सिंह नाती राजा. लेकिन नाती राजा की जनता से कनेक्टिविटी इतनी तेज है कि 2003 से लगातार विधायक हैं. पहली बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते. इसके बाद लगातार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत रहे हैं. इनकी विधानसभा में अब भी इन्हें नातीराजा ही कहते हैं और राजा की तरह इनसे अपने दुख दर्द बताती है.

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