ETV Bharat / state

गरीबों के आशियाने पर सरकारी सिस्टम की मार ! महज सपना बनकर रह गई पीएम आवास योजना - गरीबों को नहीं मिली राशि

विदिशा नगर पालिका ने बड़े धूमधाम से गरीबों को आशियाना देने के लाख दावे किए, सियासी जुमलों के बीच भूमिपूजन भी हुआ. फाइलों में गरीबों को घर देने के तमाम आंकड़े भी दर्ज हुए, लेकिन इन गरीबों के लिए ये दावे महज अब एक कल्पना बनकर रह गई है.

pm awas yojana
पीएम आवास योजना
author img

By

Published : Jul 22, 2020, 6:03 PM IST

Updated : Jul 22, 2020, 6:47 PM IST

विदिशा। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबी में जीवन यापन करने वाले लोगों को घर दिलाने का सपना देखा है, ताकि देश का हर एक गरीब को अपना आशियाना मिल सके, हर गरीब के सर पर अपनी छत हो. इसको लेकर प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की गई, लेकिन जमीनी स्तर पर इस योजना और प्रधानमंत्री के सपनों को कैसे पलीता लगाया जा रहा है इसका जीता जागता नमूना मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में देखने को मिल रहा है.

गरीबों के आशियाने पर सिस्टम की मार !

फाइलों में कैद आवास योजना

विदिशा नगर पालिका का जतरा पूरा इलाके में अधिकतर लोग गरीबी में जीवन यापन करते हैं, ये गरीब करीब 8 से 10 साल से इस इलाके में रह रहे हैं, ये तमाम लोग मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं. विदिशा नगर पालिका में बड़े धूमधाम से गरीबों को आशियाना देने के लाख दाबे किए, सियासी जुमलों के बीच भूमि पूजन भी हुआ. फाइलों में गरीबों को घर देने के तमाम आंकड़े भी दर्ज हुए, लेकिन इन गरीबों के लिए ये दावे महज अब एक कल्पना बन गई है, और अब कई गरीब उम्मीद जताकर सालों से प्रधानमंत्री आवास के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं.

कच्चे मकान में रहने को मजबूर गरीब मजदूर

इस इलाके में आलम ये है कि लोग कच्चे मकान बनाकर रहने को मजबूर हैं. लकड़ी के सहारे टिकी छ्त पर सरकारी जनगणना के निशान तो नजर आते है पर सरकारी योजना इस इलाके में नहीं पहुंच पाती है. मिट्टी से बनी दीवार, पत्तों की छत, रोशनी के लिए एक तार के सहारे डला बल्व इन गरीबों की दास्तां बयां करने के लिए काफी है.

सिस्टम से गुहार

ये गरीब लोग सरकार और सिस्टम से गुहार लगाते-लगाते थक गए तो इन गरीबों ने मानसून से बचने के लिए अपने हाथों से ईंट गारे का मकान बनाना शुरू कर दिया है. इन मकानों को बनाने में बाहरी व्यक्ति नहीं बल्कि घर का बच्चा भी अपनी मेहनत से घर की हर एक ईंट लगाने में अपना योगदान दे रहे हैं.

सपना बनकर रह गया आशियाना
स्थानीय निवासियों की अगर माने तो इनका कहना है कि सरकार की योजना मानो इस इलाके के लिए एक सपना बन कर रह गई है. इस इलाके में ये लोग सालों से रह रहे हैं न पट्टे मिले न ही आवास मिला है.बारिश में इनके घरों में पानी भर जाता है, जिससे इन्हें कई तरह का डर भी सताता है.

जिम्मेदार महज दे रहे आश्वासन

वहीं जब यह पूरा मामला मुख्य नगर पालिका अधिकारी के संज्ञान में लाया गया तो अधिकारी मोहदय लॉकडाउन का हवाला देकर जिम्मेदारी से अपना पल्ला झाड़ रहे हैं. अगर इन महोदय की मानें तो इनका कहना है कि सभी विभाग बंद थे, राशि आ नहीं रही है अब राशि आना शुरू हुई है.

कब मिलेगा इन गरीबों को न्याय

खैर ये सरकारी दावे हैं दावों का क्या. वास्तविकता यही है कि इन गरीबों को न्याय मिलेगा या नहीं ये तो इन्हें भी नहीं पता, लेकिन इन गरीबों के सपनों का आशियाना महज सपना ही बनकर रहेगा या फिर जमीन पर उतरेगा, ये आने वाला वक्त ही बताएगा.

विदिशा। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबी में जीवन यापन करने वाले लोगों को घर दिलाने का सपना देखा है, ताकि देश का हर एक गरीब को अपना आशियाना मिल सके, हर गरीब के सर पर अपनी छत हो. इसको लेकर प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की गई, लेकिन जमीनी स्तर पर इस योजना और प्रधानमंत्री के सपनों को कैसे पलीता लगाया जा रहा है इसका जीता जागता नमूना मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में देखने को मिल रहा है.

गरीबों के आशियाने पर सिस्टम की मार !

फाइलों में कैद आवास योजना

विदिशा नगर पालिका का जतरा पूरा इलाके में अधिकतर लोग गरीबी में जीवन यापन करते हैं, ये गरीब करीब 8 से 10 साल से इस इलाके में रह रहे हैं, ये तमाम लोग मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं. विदिशा नगर पालिका में बड़े धूमधाम से गरीबों को आशियाना देने के लाख दाबे किए, सियासी जुमलों के बीच भूमि पूजन भी हुआ. फाइलों में गरीबों को घर देने के तमाम आंकड़े भी दर्ज हुए, लेकिन इन गरीबों के लिए ये दावे महज अब एक कल्पना बन गई है, और अब कई गरीब उम्मीद जताकर सालों से प्रधानमंत्री आवास के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं.

कच्चे मकान में रहने को मजबूर गरीब मजदूर

इस इलाके में आलम ये है कि लोग कच्चे मकान बनाकर रहने को मजबूर हैं. लकड़ी के सहारे टिकी छ्त पर सरकारी जनगणना के निशान तो नजर आते है पर सरकारी योजना इस इलाके में नहीं पहुंच पाती है. मिट्टी से बनी दीवार, पत्तों की छत, रोशनी के लिए एक तार के सहारे डला बल्व इन गरीबों की दास्तां बयां करने के लिए काफी है.

सिस्टम से गुहार

ये गरीब लोग सरकार और सिस्टम से गुहार लगाते-लगाते थक गए तो इन गरीबों ने मानसून से बचने के लिए अपने हाथों से ईंट गारे का मकान बनाना शुरू कर दिया है. इन मकानों को बनाने में बाहरी व्यक्ति नहीं बल्कि घर का बच्चा भी अपनी मेहनत से घर की हर एक ईंट लगाने में अपना योगदान दे रहे हैं.

सपना बनकर रह गया आशियाना
स्थानीय निवासियों की अगर माने तो इनका कहना है कि सरकार की योजना मानो इस इलाके के लिए एक सपना बन कर रह गई है. इस इलाके में ये लोग सालों से रह रहे हैं न पट्टे मिले न ही आवास मिला है.बारिश में इनके घरों में पानी भर जाता है, जिससे इन्हें कई तरह का डर भी सताता है.

जिम्मेदार महज दे रहे आश्वासन

वहीं जब यह पूरा मामला मुख्य नगर पालिका अधिकारी के संज्ञान में लाया गया तो अधिकारी मोहदय लॉकडाउन का हवाला देकर जिम्मेदारी से अपना पल्ला झाड़ रहे हैं. अगर इन महोदय की मानें तो इनका कहना है कि सभी विभाग बंद थे, राशि आ नहीं रही है अब राशि आना शुरू हुई है.

कब मिलेगा इन गरीबों को न्याय

खैर ये सरकारी दावे हैं दावों का क्या. वास्तविकता यही है कि इन गरीबों को न्याय मिलेगा या नहीं ये तो इन्हें भी नहीं पता, लेकिन इन गरीबों के सपनों का आशियाना महज सपना ही बनकर रहेगा या फिर जमीन पर उतरेगा, ये आने वाला वक्त ही बताएगा.

Last Updated : Jul 22, 2020, 6:47 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.