ETV Bharat / state

MP Nag Mela: प्राचीन मंदिर में नाग पंचमी पर लगता है नागों का मेला, रायसेन गेट पर नाग देवता रहते हैं विराजमान

विदिशा किले की रक्षा करने के लिए 200 साल से रायसेन गेट पर नाग देवता विराजमान हैं. हजारों साल पहले से नाग देवता किले के दरवाजे पर विराजमान हैं. वहीं नागपंचमी से यहां एक मेला शुरु होता है जो काफी पॉपुलर है. यहां नागों का मेला लगता है और लोग नाग देवता की पूजा के साथ ही अनूठे किस्म के मेले में शिरकत करने आते हैं. (Nag Panchami 2022) (fair of serpents in Vidisha ancient temple)

Nag Panchami 2022
नाग पंचमी 2022
author img

By

Published : Aug 11, 2022, 12:00 PM IST

विदिशा। रायसेन गेट पर विराजमान नाग देवता विदिशा किले की रक्षा करते हैं. हजारों साल पहले से ये नाग देवता किले के दरवाजे पर विराजमान हैं. यहां नाग पंचमी के मौके पर नागों का मेला लगता है. साथ ही इन्हें देखने के लिए भक्तों का भी तांता लगा रहता है. हजारों की संख्या में भक्त सर्प का दर्शन करने और उनपर दूध चढ़ाने आते हैं. भक्तों की भीड़ बढ़ता देख बड़ा बाजार से रास्ता बदल दिया जाता है. इससे हजारों की संख्या में आने वाले भक्त आसानी से दर्शन कर सकते हैं. (Nag Panchami 2022)

नाग पंचमी 2022

मंदिर के हैं चार मुख्य द्वार: गिरधर शास्त्री ने बताया कि हजारों साल पहले जब किले का निर्माण किया गया था. उसी समय इस नाग मंदिर का भी निर्माण किया गया था. विदिशा में राजा के द्वारा इस किले का निर्माण कई हजार वर्षों पहले किया गया था. इसके चार द्वार हैं. एक से रायसेन जाने का द्वार था, इसलिए इसका नाम रायसेन द्वार रखा गया. यह बड़ा दिव्य द्वार है, और मुख्य दरवाजा, रानी दरवाजा ऐसे चार द्वार यहां पर बनाए गए हैं. विदिशा किले के और संपूर्ण नर नारी की रक्षा करने के लिए इस नाग मंदिर का निर्माण किया गया.(fair of serpents in Vidisha ancient temple)

इस मंदिर में होता है अनेकों नागों का दर्शन: यह मंदिर कई हजार साल पुराना है. सावन शुक्ल नाग पंचमी के दिन यहां पर विदिशा के जन जन के द्वारा भगवान नाग का पूजन किया जाता है. जिन लोगों के जन्म पत्रिकाओं में काल सर्प योग होता है, वह भी यहां आकर पूजन करते हैं. नाग पंचमी के दिन साईं काल 4:00 बजे शुरू है. यहां सुबह से ही सपेरे आकर बैठते हैं और अनेक नागों का दर्शन इस मंदिर में होता है. भक्त लाइन लगाकर दर्शन करने यहां आते हैं. श्रद्धा पूर्वक नाग भगवान को दूध चढ़ाते हैं और मावे का मिष्ठान का भोग लगाते हैं. बेलपत्र और फूल चढ़ाकर यंत्र बोलकर परिवार की कुशलता की कामना भगवान नाग देव से करते हैं. अपार जन समुदाय सभी यहां आते हैं, इसलिए यातायात के मार्गों को बदला जाता है. इस मार्ग से कोई भी यातायात बाहर नहीं निकलता और पैदल निकलना भी बड़ा कठिन होता है. यहां पर नागों का मेला लगता है. सपेरों को यहां पर लोग आकर वस्त्र, दक्षिणा देते हैं भोजन भी प्रदान करते हैं.(snake resides at Raisen Gate)

Nag Panchami 2022
नाग पंचमी 2022

Nagpanchami 2022: नाग पंचमी पर देखें नागलोक की रहस्मयी दुनिया और गुफा मंदिर! यहां जाने के लिए गुजरना होता है पाताल से! जानें नागचंद्रेश्वर कैसे होते हैं खुश

कैसे निकली थी नाग की प्रतिमा: गिरधर शास्त्री ने बताया कि महल घाट मार्ग पर एक बगीचे में यह मंदिर अत्यंत प्राचीन मंदिर है. लगभग 200 वर्ष पूर्व यह नाग की प्रतिमा कुएं में से निकाली गई थी. तभी पीतल या परिवार ने यह प्रतिमा को प्रतिष्ठित करके और यह मंदिर का निर्माण कराया गया था. यह नित्य प्रति नाग देवता का पूजन होता है और दूध का भोग लगाया जाता है. नाग पंचमी के दिन श्रद्धा भाव के साथ लोग यहां पूजन करते हैं. इस क्षेत्र में किसी को भी नाग के द्वारा पीड़ित नहीं किया गया है, और नाग देवता सब की रक्षा करते हैं. तरुण पीतालिया का कहना है कि यह हमारे पूर्वजों के द्वारा स्थापित किया गया मंदिर है. यहां कुंए के लिए खुदाई की गई थी जिसके बाद यह प्रतिमा निकली थी. आज भी यहां पर पूजा अर्चना की जाती है. लगभग 160 के करीब गौ माता यहां पर है.

विदिशा। रायसेन गेट पर विराजमान नाग देवता विदिशा किले की रक्षा करते हैं. हजारों साल पहले से ये नाग देवता किले के दरवाजे पर विराजमान हैं. यहां नाग पंचमी के मौके पर नागों का मेला लगता है. साथ ही इन्हें देखने के लिए भक्तों का भी तांता लगा रहता है. हजारों की संख्या में भक्त सर्प का दर्शन करने और उनपर दूध चढ़ाने आते हैं. भक्तों की भीड़ बढ़ता देख बड़ा बाजार से रास्ता बदल दिया जाता है. इससे हजारों की संख्या में आने वाले भक्त आसानी से दर्शन कर सकते हैं. (Nag Panchami 2022)

नाग पंचमी 2022

मंदिर के हैं चार मुख्य द्वार: गिरधर शास्त्री ने बताया कि हजारों साल पहले जब किले का निर्माण किया गया था. उसी समय इस नाग मंदिर का भी निर्माण किया गया था. विदिशा में राजा के द्वारा इस किले का निर्माण कई हजार वर्षों पहले किया गया था. इसके चार द्वार हैं. एक से रायसेन जाने का द्वार था, इसलिए इसका नाम रायसेन द्वार रखा गया. यह बड़ा दिव्य द्वार है, और मुख्य दरवाजा, रानी दरवाजा ऐसे चार द्वार यहां पर बनाए गए हैं. विदिशा किले के और संपूर्ण नर नारी की रक्षा करने के लिए इस नाग मंदिर का निर्माण किया गया.(fair of serpents in Vidisha ancient temple)

इस मंदिर में होता है अनेकों नागों का दर्शन: यह मंदिर कई हजार साल पुराना है. सावन शुक्ल नाग पंचमी के दिन यहां पर विदिशा के जन जन के द्वारा भगवान नाग का पूजन किया जाता है. जिन लोगों के जन्म पत्रिकाओं में काल सर्प योग होता है, वह भी यहां आकर पूजन करते हैं. नाग पंचमी के दिन साईं काल 4:00 बजे शुरू है. यहां सुबह से ही सपेरे आकर बैठते हैं और अनेक नागों का दर्शन इस मंदिर में होता है. भक्त लाइन लगाकर दर्शन करने यहां आते हैं. श्रद्धा पूर्वक नाग भगवान को दूध चढ़ाते हैं और मावे का मिष्ठान का भोग लगाते हैं. बेलपत्र और फूल चढ़ाकर यंत्र बोलकर परिवार की कुशलता की कामना भगवान नाग देव से करते हैं. अपार जन समुदाय सभी यहां आते हैं, इसलिए यातायात के मार्गों को बदला जाता है. इस मार्ग से कोई भी यातायात बाहर नहीं निकलता और पैदल निकलना भी बड़ा कठिन होता है. यहां पर नागों का मेला लगता है. सपेरों को यहां पर लोग आकर वस्त्र, दक्षिणा देते हैं भोजन भी प्रदान करते हैं.(snake resides at Raisen Gate)

Nag Panchami 2022
नाग पंचमी 2022

Nagpanchami 2022: नाग पंचमी पर देखें नागलोक की रहस्मयी दुनिया और गुफा मंदिर! यहां जाने के लिए गुजरना होता है पाताल से! जानें नागचंद्रेश्वर कैसे होते हैं खुश

कैसे निकली थी नाग की प्रतिमा: गिरधर शास्त्री ने बताया कि महल घाट मार्ग पर एक बगीचे में यह मंदिर अत्यंत प्राचीन मंदिर है. लगभग 200 वर्ष पूर्व यह नाग की प्रतिमा कुएं में से निकाली गई थी. तभी पीतल या परिवार ने यह प्रतिमा को प्रतिष्ठित करके और यह मंदिर का निर्माण कराया गया था. यह नित्य प्रति नाग देवता का पूजन होता है और दूध का भोग लगाया जाता है. नाग पंचमी के दिन श्रद्धा भाव के साथ लोग यहां पूजन करते हैं. इस क्षेत्र में किसी को भी नाग के द्वारा पीड़ित नहीं किया गया है, और नाग देवता सब की रक्षा करते हैं. तरुण पीतालिया का कहना है कि यह हमारे पूर्वजों के द्वारा स्थापित किया गया मंदिर है. यहां कुंए के लिए खुदाई की गई थी जिसके बाद यह प्रतिमा निकली थी. आज भी यहां पर पूजा अर्चना की जाती है. लगभग 160 के करीब गौ माता यहां पर है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.