उमरिया। 83 साल की उम्र में जोधइया बाई को बैगा चित्रकारी ने राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा दिया है. उन्हें 22 मार्च को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है. इससे पहले भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने जब बैगा जनजातीय कलाकार जोधइया बाई को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की थी तो उन्हें इस पर विश्वास ही नहीं हुआ था.
गुरू का सपना साकार: जोधइया बाई ने उम्र के आखिरी पड़ाव यानी कि 60 वर्ष की होने के बाद हाथों में ब्रश, स्याही थामकर चित्रकारी करना प्रारंभ किया था. उन्हें ख्याति प्राप्त चित्रकार स्वर्गीय आशीष स्वामी ने पेंटिंग करना सिखाया था. इसके बाद जोधइया बाई की पेंटिंग को देश-विदेश में सराहा जाने लगा. स्वामी का सपना था कि जोधइया बाई को इस लगन और मेहनत के लिए राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा जाए.
विंध्य भी गौरवान्वित: चित्रकार जोधइया बाई आज किसी भी पहचान की मोहताज नहीं हैं. उन्होंने अपनी लगन और मेहनत से वह मुकाम हासिल कर लिया है, जिसकी वे हकदार थीं. जोधइया बाई को पद्मश्री अवार्ड मिलने से विंध्य इलाके के लोग भी गौरवान्वित हुए हैं. उन्होंने अपनी मेहनत से यह संदेश भी दिया है कि कोई काम करने में उम्र बाधा नहीं बनती. सच्ची मेहनत और ईमानदारी से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है.
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पीएम के साथ भोजन: जोधइया बाई अभी दिल्ली प्रवास पर हैं. वे कई कार्यक्रम में शिरकत करने के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ भोज में भी शामिल होंगी. इसके बाद वे 27 मार्च को उमरिया पहुंचेंगी.