उज्जैन। जिले में मकर संक्रांति का पर्व शनि नवग्रह मंदिर में बड़े ही अलग अंदाज में मनाया गया. इस पर्व को शनि नवग्रह मंदिर में पिता पुत्र दिवस नाम दिया गया. यहां सूर्य देव महाराज को पालकी में बैठा कर सवारी कराते हुए मंदिर से त्रिवेणि घाट तक ले जाया गया. यहां पूजन अभिषेक के बाद पालकी कुछ ही देर में मंदिर लौटी और इस दौरान बटुक हाथ में ध्वज लिए ढोल ताशे कि थाप पर चलते हुए नजर आए. बाह्मणों ने अपने पिता के पैर धोकर उनका आशीर्वाद लिया.
पिता पुत्र दिवस का आयोजन: मंदिर के कृष्णा गुरुजी ने बताया कि, शनि नवग्रह मंदिर से खास संदेश हर साल मकर संक्रांति पर दिया जाता है. जहां एक तरफ लोग फादर्स डे, मदर्स डे के नाम पर इंजॉय करते हैं, तो वहीं इस मंदिर के ब्राह्मणों द्वारा अलग संदेश दिया जाता है. बात अगर हमारे शास्त्रों की करें तो उसमें एक बेटे का क्या कर्तव्य है, उसको हर एक नागरिक तक पहुंचाने का ये मंदिर के लोग प्रयास कर रहे हैं. पिता पुत्र दिवस के प्रेम का संदेश देने के लिए सूर्य देव की सवारी निकाली गई. इस साल भी मीठी बोली के साथ पिता पुत्र के संबंधों की मधुरता के लिए शनि नवग्रह मंदिर त्रिवेणी से सूर्य भूगर्भ से सवारी पालकी में 51 ब्राह्मणों के साथ अलग अलग ग्रहों के ध्वज के साथ शनि भूगर्भ में विराजित की गईं.
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ब्राह्मणों ने पिता का किया पूजन: सूर्य देव और शनि देव पिता पुत्र होते हुए भी आपस में दोनों की एक दूसरे से बनती नहीं थी. इसके बावजूद एक दूसरे के घर जाना बंद नहीं करते थे, और एक दूसरे का सम्मान करते थे. यह संदेश ये पूरे समाज को दे दिए हैं की बोली के साथ रिश्तों में भी मधुरता होनी चाहिए. ये आज समाज का चिंतनीय विषय है. ब्राह्मणों ने अपने अपने पिता का पाद पूजन किया. सूर्य देव की सवारी धूमधाम से शंख ताशे की ध्वनि के साथ एक गूंज में आदित्य ह्रदय स्त्रोत का जाप किया. सवारी में बटुक ब्राह्मणों के साथ साथ उज्जैन शहर के गणमान्य नागरिक पदाधिकारी जो किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं सम्मलित हुए.