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मानसिक परेशानी से जूझ रहे मरीजों की संख्या में इजाफा, दूसरी लहर के बाद तीन गुना केस बढ़े

कोरोना की दूसरी लहर के बाद मेंटल हेल्थ से जूझ रहे लोगों की संख्या में तीन गुना इजाफा. उज्जैन में हर रोज 60 से 70 केस मिल रहे हैं. जिला अस्पताल में पदस्थ मनोचिकित्सक डॉ.विनीत अग्रवाल ने पुष्टि की.

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Published : Jul 21, 2021, 7:55 PM IST

उज्जैन। कोरोना महामारी का असर लोगों के मेंटल हेल्थ पर काफी पड़ा है. यही वजह है कि मानसिक परेशानी से जूझ रहे मरीजों की संख्या में एकदम से इजाफा हुआ. कोरोना की दूसरी लहर के बाद तो मरीजों की संख्या तीन गुना ज्यादा तेजी से बढ़ने लगी. उज्जैन में पहले जहां एक दिन में 25 से 30 मरीज सामने आते थे, वहीं दूसरी लहर के बाद मानसिक परेशानी से जूझ रहे मरीजों की संख्या 60 से 70 तक पहुंच गई. इस बात की पुष्टि जिला अस्पताल में पदस्थ मनोचिकित्सक डॉक्टर विनीत अग्रवाल ने की है.

कोरोना की दूसरी लहर के वक्त प्रदेश में जिस तरह के हालात बने हुए थे, उससे हर कोई डरा हुआ था. अस्पतालों में जगह नहीं थी, ऑक्सीजन की कमी से लोग मर रहे थे. यही कारणों से स्वस्थ और कोरोना से ठीक हुए मरीजों में मानसिक परेशानी देखने को मिल रही थी. जिला अस्पताल में पदस्थ मनोचिकित्सक डॉक्टर विनीत अग्रवाल ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के बाद अचानक से मनोरोगी की संख्या बढ़ी है. अप्रैल-मई के बाद से रोजाना करीब 60 नए केस मिल रहे हैं. वहीं 70 के लगभग मरीज फॉलोअप वाले होते हैं, जिनका इलाज पहले से चल रहा है.

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डॉक्टर ने बताया कि पहले रोजाना 25 से 30 मरीज सरकारी अस्पताल में इलाज कराने आते थे. रोजाना मिलने वाले मरीजों में बड़ी संख्या उनकी है, जिनमें अन्य बीमारी का भी डर बना रहता है. इसके अलावा डिप्रेशन, फोबिया, डर, एंजायटी के भी कई केस सामने आए हैं. डॉक्टर विनीत अग्रवाल ने बताया कि छिपे हुए मानसिक रोग भी कोरोना की दूसरी लहर के बाद उभरकर सामने आ रहे हैं.

उज्जैन। कोरोना महामारी का असर लोगों के मेंटल हेल्थ पर काफी पड़ा है. यही वजह है कि मानसिक परेशानी से जूझ रहे मरीजों की संख्या में एकदम से इजाफा हुआ. कोरोना की दूसरी लहर के बाद तो मरीजों की संख्या तीन गुना ज्यादा तेजी से बढ़ने लगी. उज्जैन में पहले जहां एक दिन में 25 से 30 मरीज सामने आते थे, वहीं दूसरी लहर के बाद मानसिक परेशानी से जूझ रहे मरीजों की संख्या 60 से 70 तक पहुंच गई. इस बात की पुष्टि जिला अस्पताल में पदस्थ मनोचिकित्सक डॉक्टर विनीत अग्रवाल ने की है.

कोरोना की दूसरी लहर के वक्त प्रदेश में जिस तरह के हालात बने हुए थे, उससे हर कोई डरा हुआ था. अस्पतालों में जगह नहीं थी, ऑक्सीजन की कमी से लोग मर रहे थे. यही कारणों से स्वस्थ और कोरोना से ठीक हुए मरीजों में मानसिक परेशानी देखने को मिल रही थी. जिला अस्पताल में पदस्थ मनोचिकित्सक डॉक्टर विनीत अग्रवाल ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के बाद अचानक से मनोरोगी की संख्या बढ़ी है. अप्रैल-मई के बाद से रोजाना करीब 60 नए केस मिल रहे हैं. वहीं 70 के लगभग मरीज फॉलोअप वाले होते हैं, जिनका इलाज पहले से चल रहा है.

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डॉक्टर ने बताया कि पहले रोजाना 25 से 30 मरीज सरकारी अस्पताल में इलाज कराने आते थे. रोजाना मिलने वाले मरीजों में बड़ी संख्या उनकी है, जिनमें अन्य बीमारी का भी डर बना रहता है. इसके अलावा डिप्रेशन, फोबिया, डर, एंजायटी के भी कई केस सामने आए हैं. डॉक्टर विनीत अग्रवाल ने बताया कि छिपे हुए मानसिक रोग भी कोरोना की दूसरी लहर के बाद उभरकर सामने आ रहे हैं.

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