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ताजे भस्म से होता है महाकाल का पहला श्रृंगार, जानिए महिलाएं क्यों करती हैं यहां घूंघट

विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल की भस्म आरती का एक गहरा रहस्य है, इसका जिक्र शिवपुराण में भी मिलता है.

ujjain
ताजे भस्म से होता है महाकाल का पहला श्रृंगार
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Published : Oct 10, 2020, 12:59 PM IST

Updated : Oct 10, 2020, 1:04 PM IST

उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर दक्षिण मुखी होने की वजह से दुनिया भर में प्रसिद्ध है. वहीं बाबा महाकाल को कालों का काल भी कहा जाता है. महाकाल की 5 तरह से आरती की जाती है. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण 'भस्म आरती' होती है. उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में हर रोज भस्म आरती की जाती है. भस्म से ही शिव का हर रोज श्रृंगार किया जाता है. ऐसा भी कहा जाता है कि भस्म आरती भगवान शिव को जगाने के लिए की जाती है, और ये भस्म आरती चिता की ताजी भस्म से होती है.

कहा जाता है कि महाकाल की भस्म आरती को महिलाएं नहीं देख सकती हैं, उन्हें भस्म आरती के वक्त घूंघट डालकर रहना पड़ता है. ऐसा माना जाता है कि भस्म आरती के वक्त शिव निराकार रूप में रहते हैं, जिन्हें महिलाएं नहीं देखतीं.

ताजे भस्म से होता है महाकाल का पहला श्रृंगार

भस्म आरती का रहस्य-

भस्म आरती का जिक्र सबसे पहले शिवपुराण में मिलता है. कहा जाता है कि माता सती ने जब अपने आप को जला लिया था, उस वक्त भगवान शिव ने अपने देह पर भस्म रमी थी. जिसके कारण भगवान शिव की भस्म अति प्रिय मानी गयी है. महाकाल मंदिर को लेकर ये भी की किवदंतियां हैं की अति प्राचीन समय में भगवान महाकाल को शव की ताजा राख भस्म के रूप में चढ़ाई जाती थी, लेकिन इस तरह की मान्यताओं को फिलहाल उज्जैन के पुजारी सिरे से नकारते हैं और वो बताते हैं की फिलहाल कई वर्षों से उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के अंदर गाय के गोबर से बने कंडों को जलाया जाता है, जहां पर सुबह महानिर्वाणी अखाड़े के संत कंडे की राख से बाबा महाकाल की भस्म आरती करते हैं.

भस्म आरती के इस मनोरम दृश्य को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से उज्जैन पहुंचते हैं. देर रात से ही मंदिर में लंबी-लंबी लाइनें लगती हैं और भगवान के इस स्वरूप को देखकर अपने आप को धन्य मानते हैं. शिव पर भस्म चढ़ने से पहले महाकाल पर जल अर्पित होता है. उसके बाद पंचामृत पूजन अभिषेक किया जाता है और आरती के दौरान भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की जाती है. फिलहाल मंदिर समिति की ओर से भस्म आरती देखने के लिए 1 दिन पहले इसकी परमिशन लेनी पड़ती है. मंदिर समिति एक दिन में कुल 1850 लोगों को भस्म आरती के लिए अनुमति प्रदान करती है.

17 मार्च से कोरोना वायरस के चलते आम श्रद्धालुओं के लिए भस्म आरती में प्रवेश प्रतिबंधित है. अभी जो भस्म आरती का नियम है, उसमें सिर्फ पांच पुजारी मिलकर भस्म आरती कर रहे हैं.
महाकाल मंदिर में रोजाना पांच आरती होती हैं. जिसमें अलग-अलग प्रकार का श्रृंगार होता है. साथ ही पंचामृत अभिषेक पूजन के साथ साल में अलग-अलग दिन पर्जन्य अनुष्ठान, रुद्रा अभिषेक, महा रुद्रा अभिषेक, महामृत्युंजय जाप भी किया जाता है.

उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर दक्षिण मुखी होने की वजह से दुनिया भर में प्रसिद्ध है. वहीं बाबा महाकाल को कालों का काल भी कहा जाता है. महाकाल की 5 तरह से आरती की जाती है. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण 'भस्म आरती' होती है. उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में हर रोज भस्म आरती की जाती है. भस्म से ही शिव का हर रोज श्रृंगार किया जाता है. ऐसा भी कहा जाता है कि भस्म आरती भगवान शिव को जगाने के लिए की जाती है, और ये भस्म आरती चिता की ताजी भस्म से होती है.

कहा जाता है कि महाकाल की भस्म आरती को महिलाएं नहीं देख सकती हैं, उन्हें भस्म आरती के वक्त घूंघट डालकर रहना पड़ता है. ऐसा माना जाता है कि भस्म आरती के वक्त शिव निराकार रूप में रहते हैं, जिन्हें महिलाएं नहीं देखतीं.

ताजे भस्म से होता है महाकाल का पहला श्रृंगार

भस्म आरती का रहस्य-

भस्म आरती का जिक्र सबसे पहले शिवपुराण में मिलता है. कहा जाता है कि माता सती ने जब अपने आप को जला लिया था, उस वक्त भगवान शिव ने अपने देह पर भस्म रमी थी. जिसके कारण भगवान शिव की भस्म अति प्रिय मानी गयी है. महाकाल मंदिर को लेकर ये भी की किवदंतियां हैं की अति प्राचीन समय में भगवान महाकाल को शव की ताजा राख भस्म के रूप में चढ़ाई जाती थी, लेकिन इस तरह की मान्यताओं को फिलहाल उज्जैन के पुजारी सिरे से नकारते हैं और वो बताते हैं की फिलहाल कई वर्षों से उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के अंदर गाय के गोबर से बने कंडों को जलाया जाता है, जहां पर सुबह महानिर्वाणी अखाड़े के संत कंडे की राख से बाबा महाकाल की भस्म आरती करते हैं.

भस्म आरती के इस मनोरम दृश्य को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से उज्जैन पहुंचते हैं. देर रात से ही मंदिर में लंबी-लंबी लाइनें लगती हैं और भगवान के इस स्वरूप को देखकर अपने आप को धन्य मानते हैं. शिव पर भस्म चढ़ने से पहले महाकाल पर जल अर्पित होता है. उसके बाद पंचामृत पूजन अभिषेक किया जाता है और आरती के दौरान भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की जाती है. फिलहाल मंदिर समिति की ओर से भस्म आरती देखने के लिए 1 दिन पहले इसकी परमिशन लेनी पड़ती है. मंदिर समिति एक दिन में कुल 1850 लोगों को भस्म आरती के लिए अनुमति प्रदान करती है.

17 मार्च से कोरोना वायरस के चलते आम श्रद्धालुओं के लिए भस्म आरती में प्रवेश प्रतिबंधित है. अभी जो भस्म आरती का नियम है, उसमें सिर्फ पांच पुजारी मिलकर भस्म आरती कर रहे हैं.
महाकाल मंदिर में रोजाना पांच आरती होती हैं. जिसमें अलग-अलग प्रकार का श्रृंगार होता है. साथ ही पंचामृत अभिषेक पूजन के साथ साल में अलग-अलग दिन पर्जन्य अनुष्ठान, रुद्रा अभिषेक, महा रुद्रा अभिषेक, महामृत्युंजय जाप भी किया जाता है.

Last Updated : Oct 10, 2020, 1:04 PM IST
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