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रोजगार का टोटा, कहां से जुटेगा दाना-पानी, मजदूर दिवस पर मजबूर सैकड़ों मजदूर

लॉकडाउन ने मजदूरों की कमर तोड़ दी है. पहले रोजगार गया और फिर जमा पूंजी में भी गुजर-बसर कर लिया. लेकिन लॉकडाउन बढ़ने के कारण मजदूरों के सामने परिवार पालने का संकट सामने आ गया है.

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Published : May 1, 2020, 4:28 PM IST

laborers are helpless
मजबूर हैं सैकड़ों मजदूर

टीकमगढ़। पूरे देश में लोगों को राहत देने वाले मजदूर आज खुद राहत पाने के लिए दूसरों पर आश्रित हैं. लॉकडाउन ने मजदूरों की गाड़ी को ऐसे पटरी से उतारा है कि न जाने अब उन्हें अपनी गाड़ी वापस पटरी पर लाने के लिए कितने महीनों तक कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. हालांकि ये तो लॉकडाउन के बाद की बात होगी, लेकिन लॉकडाउन के दौरान मजदूरों के हाल खस्ता हाल हो चुके हैं. दानें-दानें को मोहताज मजदूरों के क्या हैं लॉकडाउन के दौरान हाल, पढ़िए इस रिपोर्ट में-

मजबूर हैं सैकड़ों मजदूर

लॉकडाउन से अगर सबसे ज्यादा कोई परेशान है तो वो है मजदूर वर्ग. ना कोई काम है और ना कोई जमा पूंजी. ऐसे में इनके सामने परिवार पालने का संकट है. लॉकडाउन कब खत्म होगा ये तो मालूम नहीं. लेकिन इनकी परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं. टीकमगढ़ के मजदूर भी बेहद परेशान हैं, रोजाना दिहाड़ी कर अपना गुजारा करनेवाले मजदूर आज दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं.

ये भी पढ़ें- मजदूरों की आंखों से छलका लॉकडाउन का दर्द, अब घर चलाना हो रहा है मुश्किल

चतुरकारी के आदिवासियों का कहना हैं कि हमें सिर्फ काम चाहिए, हम लोग घरों में बंद होकर रह गए हैं. बाहर पुलिस नहीं निकलने देती और गांव में मजदूरी नहीं मिलती. लॉकडाउन के कारण मेहनत-मजदूरी करने अब दिल्ली भी नहीं जा सकते.

इस बारे में जब जतारा SDM सौरभ सोनबड़े से बात की गई तो उन्होंने बताया कि शासन इन मजदूरों के लिए रोजगार की व्यवस्था कर रही है. मनरेगा के अलावा दूसरी योजनाओं के तहत इन्हें रोजगार जल्द ही मुहैया कराया जाएगा.

ये भी पढ़ें- कौन सुनेगा? किसको दिखाएं गरीबी का बोझ ढोते घिसती एड़ियों का जख्म, प्रवासी मजदूरों का छलका दर्द

आज मजदूर दिवस भी है लेकिन इस दिन भी ये मजदूर बेबस और बेसहारा हैं. दूसरों की मुश्किलों को हमेशा आसान बनाने वाले ये आज खुद मुश्किल में हैं. ऐसे में प्रशासन और सरकार को इनकी सुध लेनी चाहिए ताकि इनकी जिंदगी बच सके.

टीकमगढ़। पूरे देश में लोगों को राहत देने वाले मजदूर आज खुद राहत पाने के लिए दूसरों पर आश्रित हैं. लॉकडाउन ने मजदूरों की गाड़ी को ऐसे पटरी से उतारा है कि न जाने अब उन्हें अपनी गाड़ी वापस पटरी पर लाने के लिए कितने महीनों तक कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. हालांकि ये तो लॉकडाउन के बाद की बात होगी, लेकिन लॉकडाउन के दौरान मजदूरों के हाल खस्ता हाल हो चुके हैं. दानें-दानें को मोहताज मजदूरों के क्या हैं लॉकडाउन के दौरान हाल, पढ़िए इस रिपोर्ट में-

मजबूर हैं सैकड़ों मजदूर

लॉकडाउन से अगर सबसे ज्यादा कोई परेशान है तो वो है मजदूर वर्ग. ना कोई काम है और ना कोई जमा पूंजी. ऐसे में इनके सामने परिवार पालने का संकट है. लॉकडाउन कब खत्म होगा ये तो मालूम नहीं. लेकिन इनकी परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं. टीकमगढ़ के मजदूर भी बेहद परेशान हैं, रोजाना दिहाड़ी कर अपना गुजारा करनेवाले मजदूर आज दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं.

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चतुरकारी के आदिवासियों का कहना हैं कि हमें सिर्फ काम चाहिए, हम लोग घरों में बंद होकर रह गए हैं. बाहर पुलिस नहीं निकलने देती और गांव में मजदूरी नहीं मिलती. लॉकडाउन के कारण मेहनत-मजदूरी करने अब दिल्ली भी नहीं जा सकते.

इस बारे में जब जतारा SDM सौरभ सोनबड़े से बात की गई तो उन्होंने बताया कि शासन इन मजदूरों के लिए रोजगार की व्यवस्था कर रही है. मनरेगा के अलावा दूसरी योजनाओं के तहत इन्हें रोजगार जल्द ही मुहैया कराया जाएगा.

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आज मजदूर दिवस भी है लेकिन इस दिन भी ये मजदूर बेबस और बेसहारा हैं. दूसरों की मुश्किलों को हमेशा आसान बनाने वाले ये आज खुद मुश्किल में हैं. ऐसे में प्रशासन और सरकार को इनकी सुध लेनी चाहिए ताकि इनकी जिंदगी बच सके.

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