टीकमगढ़। पूरे देश में लोगों को राहत देने वाले मजदूर आज खुद राहत पाने के लिए दूसरों पर आश्रित हैं. लॉकडाउन ने मजदूरों की गाड़ी को ऐसे पटरी से उतारा है कि न जाने अब उन्हें अपनी गाड़ी वापस पटरी पर लाने के लिए कितने महीनों तक कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. हालांकि ये तो लॉकडाउन के बाद की बात होगी, लेकिन लॉकडाउन के दौरान मजदूरों के हाल खस्ता हाल हो चुके हैं. दानें-दानें को मोहताज मजदूरों के क्या हैं लॉकडाउन के दौरान हाल, पढ़िए इस रिपोर्ट में-
लॉकडाउन से अगर सबसे ज्यादा कोई परेशान है तो वो है मजदूर वर्ग. ना कोई काम है और ना कोई जमा पूंजी. ऐसे में इनके सामने परिवार पालने का संकट है. लॉकडाउन कब खत्म होगा ये तो मालूम नहीं. लेकिन इनकी परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं. टीकमगढ़ के मजदूर भी बेहद परेशान हैं, रोजाना दिहाड़ी कर अपना गुजारा करनेवाले मजदूर आज दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं.
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चतुरकारी के आदिवासियों का कहना हैं कि हमें सिर्फ काम चाहिए, हम लोग घरों में बंद होकर रह गए हैं. बाहर पुलिस नहीं निकलने देती और गांव में मजदूरी नहीं मिलती. लॉकडाउन के कारण मेहनत-मजदूरी करने अब दिल्ली भी नहीं जा सकते.
इस बारे में जब जतारा SDM सौरभ सोनबड़े से बात की गई तो उन्होंने बताया कि शासन इन मजदूरों के लिए रोजगार की व्यवस्था कर रही है. मनरेगा के अलावा दूसरी योजनाओं के तहत इन्हें रोजगार जल्द ही मुहैया कराया जाएगा.
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आज मजदूर दिवस भी है लेकिन इस दिन भी ये मजदूर बेबस और बेसहारा हैं. दूसरों की मुश्किलों को हमेशा आसान बनाने वाले ये आज खुद मुश्किल में हैं. ऐसे में प्रशासन और सरकार को इनकी सुध लेनी चाहिए ताकि इनकी जिंदगी बच सके.