सिंगरौली। भैसाबुड़ा गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल में छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल की सफाई के साथ मिड डे मील के बर्तन भी धोने पड़ते हैं. स्कूल के बच्चों का कहना है कि बर्तन धोने और झाड़ू लगाने का काम कोई और नहीं करता. इसलिए टीचर के कहने पर बच्चों को ही करना पड़ता है. शिक्षा विभाग के नियमों के मुताबिक स्कूल में बच्चों से पढ़ाई के अलावा किसी भी और तरह का श्रम कराना पूरी तरह अनुचित है. लेकिन जब सरकारी व्यवस्था ही बदहाल हो तो ऐसे में सब कुछ जायज हो जाता है.
टीचर्स को पानी भी पिलाते हैं बच्चे : भैसाबुड़ा गांव के सरकारी स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र- छात्राएं आत्मनिर्भर बनने की दिशा में पढ़ाई के साथ ही स्कूल की साफ सफाई, शिक्षकों एवं अतिथियों को पानी पिलाते हैं. कहने को तो सफाई करना और लोगों को पानी पिलाना अच्छे संस्कार हैं, लेकिन ये संस्कार बच्चों को पढ़ाई छोड़कर सीखने पड़ रहे हैं, जो शिक्षा और स्कूलों की व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा रहे हैं.
MP Singrauli : सरकारी स्कूल में प्यून नहीं, झाड़ू लगाते हैं बच्चे, मिडडे मील की थाली भी साफ करते हैं
न चपरासी और न सफाई कर्मी : इस दौरान स्कूल में बच्चों से काम कराने के सवाल पर स्कूल के हेडमास्टर प्रभु सिंह ने बताया कि वे कई वर्षों से इसी स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहे हैं, लेकिन आज तक ना तो यहां कोई सफाईकर्मी नियुक्त हुआ और ना ही किसी चपरासी की व्यवस्था ही की गई है. (Singrauli Government School) (Children Wash Plate in school) (Bhaisabuda School Singrauli District)