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कारगिल युद्ध में शहीद का परिवार बदहाल, सरकार से लगाई मदद की गुहार

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Published : Jul 10, 2020, 9:49 AM IST

Updated : Jul 10, 2020, 1:18 PM IST

कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद बृजभूषण तिवारी का परिवार आज बदहाली में जीवन यापन करने को मजबूर है. सरकार की तरफ से पेंशन के बाद कोई सुविधा नहीं मिली. शहीद की पत्नी ने सरकार से बेरोजगार बेटों को नौकरी देने की गुहार लगाई है.

Martyr Brij Bhushan
शहीद बृजभूषण तिवारी का परिवार

सीधी। कारगिल युद्ध में शहीद बृजभूषण तिवारी का परिवार आज बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर है. 8 जुलाई 1999 में सीधी के लकोडा गांव के रहने वाले हवलदार बृजभूषण ने बहादुरी के साथ लड़ते हुए पाकिस्तानी सेना के दांत खट्टे कर दिए थे और आखिर में लड़ते-लड़ते शहीद हो गए. देश के लिए अपने प्राण की आहुति देने वाले शहिद के परिवार को सरकार की तरफ से पेंशन के अलावा और कोई सुविधा नहीं मिली. शहीद बृजभूषण के तीन बेटे आज बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं.

पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ाने वाले शहीद की पत्नी रामकली बाई एक छोटी सी बस्ती में अपने तीन बेटों के साथ पेंशन के पैसों से गुजर- बसर कर रही हैं. रामकली तिवारी का कहना है कि, सरकार ने उस वक्त पेट्रोल पंप और पांच एकड़ भूमि देने की बात कही थी. लेकिन विभाग से पेंशन के अलावा कोई सुविधा नहीं दी गई, तीन बच्चे हैं, जो बेरोजगार घूम रहे हैं, उनके लिए रोजगार सरकार दे देती, तो पति की आत्मा को शांति मिलेगी.

शहीद बृजभूषण तिवारी के परिवार की गुहार

शहीद के बेटे विपिन तिवारी का कहना है कि, सारे कागजात पूरे कराने के बाद भी जिम्मेदार विभाग नियमों का हवाला देकर वापस भेज देते हैं. इस मामले में सैनिक कल्याण बोर्ड के अधिकारी का कहना है कि, जितना नियम में होता है, वो सारी सुविधाएं दी गई हैं, अभी ऐसा कोई नियम नहीं निकला है,अगर सरकार कोई नियम लागू करेगी, तो निश्चित रूप से शहीद परिवार को दी जाएगी.

Martyr Brij Bhushan
शहीद बृजभूषण तिवारी

सीधी। कारगिल युद्ध में शहीद बृजभूषण तिवारी का परिवार आज बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर है. 8 जुलाई 1999 में सीधी के लकोडा गांव के रहने वाले हवलदार बृजभूषण ने बहादुरी के साथ लड़ते हुए पाकिस्तानी सेना के दांत खट्टे कर दिए थे और आखिर में लड़ते-लड़ते शहीद हो गए. देश के लिए अपने प्राण की आहुति देने वाले शहिद के परिवार को सरकार की तरफ से पेंशन के अलावा और कोई सुविधा नहीं मिली. शहीद बृजभूषण के तीन बेटे आज बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं.

पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ाने वाले शहीद की पत्नी रामकली बाई एक छोटी सी बस्ती में अपने तीन बेटों के साथ पेंशन के पैसों से गुजर- बसर कर रही हैं. रामकली तिवारी का कहना है कि, सरकार ने उस वक्त पेट्रोल पंप और पांच एकड़ भूमि देने की बात कही थी. लेकिन विभाग से पेंशन के अलावा कोई सुविधा नहीं दी गई, तीन बच्चे हैं, जो बेरोजगार घूम रहे हैं, उनके लिए रोजगार सरकार दे देती, तो पति की आत्मा को शांति मिलेगी.

शहीद बृजभूषण तिवारी के परिवार की गुहार

शहीद के बेटे विपिन तिवारी का कहना है कि, सारे कागजात पूरे कराने के बाद भी जिम्मेदार विभाग नियमों का हवाला देकर वापस भेज देते हैं. इस मामले में सैनिक कल्याण बोर्ड के अधिकारी का कहना है कि, जितना नियम में होता है, वो सारी सुविधाएं दी गई हैं, अभी ऐसा कोई नियम नहीं निकला है,अगर सरकार कोई नियम लागू करेगी, तो निश्चित रूप से शहीद परिवार को दी जाएगी.

Martyr Brij Bhushan
शहीद बृजभूषण तिवारी
Last Updated : Jul 10, 2020, 1:18 PM IST
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