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लॉकडाउन में गरीबों को नहीं मिल रहा अनाज, कलेक्टर से लगाई गुहार

लॉकडाउन की वजह से गरीब मजदूरों की रोजी-रोटी के साधन बंद हैं. इस हालात में वे दो जून की रोटी के लिए तरस रहे हैं, पर सरकारी योजनाएं भी उनकी मदद नहीं कर पा रही हैं.

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Published : Apr 28, 2020, 7:18 PM IST

Updated : Apr 28, 2020, 7:32 PM IST

Grain is not being given to the poor in lockdown
लॉकडाउन में गरीबों को नहीं दिया जा रहा अनाज

सीधी। कोरोना वायरस की वजह से पूरे देश में पिछले एक माह से लॉकडाउन है. ऐसे हालात में मजदूरी करने वाले या खेतों में काम करने वाले लोग राशन के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं, ग्रामीण जनता जब शासकीय दुकानों पर राशन लेने जाती है तो उन्हें ये कहकर भगा दिया जाता है कि तुम्हारा नाम कटा हुआ है. अंत में वे आज कलेक्टर के पास गुहार लगाने पहुंचे तो उन्हें वहां भी निराशा हाथ लगी.

लॉकडाउन में गरीबों को नहीं दिया जा रहा अनाज

लॉकडाउन की वजह से गरीब मजदूर दो जून की रोटी का जुगाड़ नहीं कर पा रहे हैं, शासन के भरोसे बैठे मजदूरों को शासकीय उचित मूल्य की दुकानों से निराशा हाथ लग रही है. जिला मुख्यालय से सटे जोगीपुर गांव की महिलाएं कलेक्टर के पास मदद की गुहार लगाने पहुंची, जहां घंटों इंतजार के बाद भी कलेक्टर से नहीं मिल पाई. ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि कूपन होने के बाद भी कोटेदार अनाज नहीं दे रहा है. सरपंच सचिव की मिलीभगत से उनका नाम गरीबी रेखा से काट दिया गया है.

लॉकडाउन के चलते उनके घर में अनाज का एक दाना भी नहीं बचा है. सरकार दावा कर रही है कि हर किसी को अनाज मुहैया कराया जाएगा. सरकार के सारे वादे खोखले नजर आ रहे हैं. ऐसे में हम कोरोना से बाद में मरेंगे. उससे पहले भूख से जरूर मर जाएंगे. जिला खाद्य अधिकारी का कहना है कि जिनका नाम काट दिया गया है, उन्हें राशन नहीं दिया जाता. हर एक गांव में उचित मूल्य की दुकान में दो बोरा चावल और दो बोरा गेहूं रखवा दिया गया है. जिसको जरूरत होगी, ले सकते हैं.

सीधी। कोरोना वायरस की वजह से पूरे देश में पिछले एक माह से लॉकडाउन है. ऐसे हालात में मजदूरी करने वाले या खेतों में काम करने वाले लोग राशन के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं, ग्रामीण जनता जब शासकीय दुकानों पर राशन लेने जाती है तो उन्हें ये कहकर भगा दिया जाता है कि तुम्हारा नाम कटा हुआ है. अंत में वे आज कलेक्टर के पास गुहार लगाने पहुंचे तो उन्हें वहां भी निराशा हाथ लगी.

लॉकडाउन में गरीबों को नहीं दिया जा रहा अनाज

लॉकडाउन की वजह से गरीब मजदूर दो जून की रोटी का जुगाड़ नहीं कर पा रहे हैं, शासन के भरोसे बैठे मजदूरों को शासकीय उचित मूल्य की दुकानों से निराशा हाथ लग रही है. जिला मुख्यालय से सटे जोगीपुर गांव की महिलाएं कलेक्टर के पास मदद की गुहार लगाने पहुंची, जहां घंटों इंतजार के बाद भी कलेक्टर से नहीं मिल पाई. ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि कूपन होने के बाद भी कोटेदार अनाज नहीं दे रहा है. सरपंच सचिव की मिलीभगत से उनका नाम गरीबी रेखा से काट दिया गया है.

लॉकडाउन के चलते उनके घर में अनाज का एक दाना भी नहीं बचा है. सरकार दावा कर रही है कि हर किसी को अनाज मुहैया कराया जाएगा. सरकार के सारे वादे खोखले नजर आ रहे हैं. ऐसे में हम कोरोना से बाद में मरेंगे. उससे पहले भूख से जरूर मर जाएंगे. जिला खाद्य अधिकारी का कहना है कि जिनका नाम काट दिया गया है, उन्हें राशन नहीं दिया जाता. हर एक गांव में उचित मूल्य की दुकान में दो बोरा चावल और दो बोरा गेहूं रखवा दिया गया है. जिसको जरूरत होगी, ले सकते हैं.

Last Updated : Apr 28, 2020, 7:32 PM IST
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