सीधी। रीवा संभाग के कमिश्नर अनिल सुचारी ने कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार संबंधी व्यवस्थाओं की समीक्षा की. बैठक में कमिश्नर ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि शासन द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुरूप कोविड संक्रमित रोगियों का तत्परता से उपचार करें. उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग करते हुए हर रोगी को समय पर इलाज उपलब्ध कराए. इस दौरान बैठक में कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी, पुलिस अधीक्षक पंकज कुमावत, अपर कलेक्टर हर्षल पंचोली, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. बीएल मिश्रा, उपखण्ड अधिकारी गोपद बनास नीलाम्बर मिश्रा उपस्थित रहे.
कमिश्नर ने कहा कि कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. इसे ध्यान में रखते हुए बड़ी संख्या में अगर गंभीर रोगी सामने आते हैं, तो उनके लिए अतिरिक्त ऑक्सीजन बेड और आईसीयू बेड की व्यवस्था की जाए. उन्होंने कहा कि जो भी मरीज ठीक होकर घर जा रहें है और जो भी मरीज अस्पताल में भर्ती है, उन सभी का प्रतिदिन डाटा तैयार कर संधारित किया जाए, जिससे आवश्यकता पड़ने पर यह पता चल सकें कि हमारे पास कितने बेड उपलब्ध है. इन सभी की जानकारी प्रतिदिन तैयार करने से अन्य रोगियों के लिए भी तैयारी रखी जा सकेगी. उन्होंने कहा कि हर रोगी को हरहाल में समुचित उपचार मिलना चाहिए.
स्वास्थ्य मंत्री की कोरोना को लेकर कोरोना की समीक्षा बैठक, संभव मदद देने का दिया भरोसा
कमिश्नर ने निर्देशित किया कि कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में कोई भी कमी न हों. हर संभव प्रयास किए जाए. उन्होंने कहा कि कोरोना से संक्रमित मरोजों को किसी भी प्रकार की कठिनाई नहीं हों, उन्हें समय पर नास्ता और भोजन सहित आवश्यक सुविधाएं मिले. सभी फीवर क्लीनिक में आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें.
होम आइसोलेशन मरीजों से रखे सीधा संपर्क
कमिश्नर अनिल सुचारी ने निर्देशित किया कि कोविड कमांड सेंटर से होम आइसोलेशन में जो भी मरीज है, उनसे दिन में 2 से 3 बार बात जरूर करें. किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर या थोड़ा सा भी स्वास्थ्य खराब होने पर, उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती करें. कमिश्नर ने कहा कि जो भी मरीज होम आइसोलेशन में है, उन्हें आवश्यक दवाइयां उनके घर पर ही पहुंचाना सुनिश्चित करें.
इस दौरान कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी ने कहा कि कोरोना वैक्सीन और रेमडेसिविर इंजेक्शन सहित सभी दवाइयां शासन द्वारा निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है. इसका पर्याप्त स्टॉक अभी उपलब्ध है. ऐसे में किसी भी मरीज को बाहर से दवाइयां लेने की आवश्यकता नहीं पड़े. अगर कोई कर्मचारी या डाॅक्टर मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगवाने के लिए पैसा मांगता है, तो इसकी शिकायत तत्काल कलेक्टर से करें. इसके साथ ही कलेक्टर ने कहा कि अगर मेडिकल संचालकों द्वारा दवाइयों की कालाबाजारी की जाती है, तो उनके विरुद्ध कड़ी वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.