श्योपुर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गौ कैबिनेट का गठन कर दिया है, एक ओर गायों की रक्षा के लिए गौ-कैबिनेट का गठन किया जा रहा है. लेकिन प्रदेश के श्योपुर जिले की गौशालाओं के हालात बद से बदतर हैं. जिले में संचालित हो रही नागेश्वर गौशाला का जब ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक किया, तो वहां के हालात चौकाने वाले थे.
'30 गायों की हुई मौत'
जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर नागदा ग्राम पंचायत में बनी नागेश्वर गौशाला में मौजूदा समय में 65 गाय रह रही हैं. जबकि गौशाला की क्षमता 100 गाय की है. हालांकि इस साल गायों की मौत की बात की जाए तो तकरीबन 30 गायों की मौत हो चुकी है. जबकि 5 गौवंश की हालत गंभीर बनी हुए हैं. गौशाला में 2 डॉक्टर पदस्थ हैं लेकिन फिर भी सही तरीके प्रकार से गायों को उपचार नहीं मिल पा रहा है.
गायों के नाम पर हो रही राजनीति
गायों के नाम पर हो रही राजनीति को लेकर राजनेताओं के द्वारा कई दावे और वादे किए जाते हैं, लेकिन अभी तक जिस तरीके से गायों की हालत देखी जा रही है, तो सुविधाओं के अभाव के कारण कई गाय दम तोड़ चुकी है, लेकिन अब मध्य प्रदेश सरकार को गौ-कैबिनेट बनाकर गायों की सुरक्षा एवं गौशालाओं की स्थिति सुधारने की बात कर रही है. लिहाजा इसका अंदाजा तो आने वाले वक्त ही लगाया जा सकेगा.
गौशाला की जमीन पर दबंगों का कब्जा
बताया जा रहा है कि गौशाला की जमीन की अगर बात की जाए तो सरकार के द्वारा जो सरकारी जमीन गायों के लिए हरा चारा उपज करने के लिए जो भूमि दी गई थी. उस पर भी कुछ दबंगों ने कब्जा कर लिया है जिसकी सूचना गौशाला संचालक द्वारा कलेक्टर को दी जा चुकी है, लेकिन अभी तक किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
20 रूपये में कैसे बचेंगी गाय ?
गौशाला संचालक फौरनती बाई मीणा की मानें तो उनका कहना है कि हमारी गौशाला में 65 गाय हैं, इन गायों की सेवा करने के लिए 4 चौकीदार रखे गए हैं. जोकि दो दिन में ड्यूटी करते हैं और दो नाइट ड्यूटी करते हैं. सरकार के द्वारा एक गाय पर 20 रूपये प्रतिदिन दिया जाता है. इस राशि से गौशाला का ठीक तरीके से संचालन नहीं हो पा रहा है. जबकि कुछ गौसेवक भी मदद कर देते हैं लेकिन फिर भी सरकार के द्वारा इतना कम बजट दिया जा रहा है. जिसके चलते गौशाला चलाने में काफी परेशानी हो रही है.
इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन ?
एक ओर सरकार के दावे और दूसरी ओर इन तस्वीरों से गौशाला के हालातों का आंकलन किया जा सकता है कि सरकार के दावे के साथ जिम्मेदार कितने संजीदा हैं. रिहायशी क्षेत्र में संचालित इस गौशाला का अगर ये हाल है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में बनी गौशालों की क्या हालत होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.