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खजांची मंदिर में इन देशों की करंसी से साज-सज्जा कर मनाई गई कृष्ण जन्माष्टमी

शाजापुर जिले स्थित प्रसिद्ध खजांची मंदिर में विशेष साज-सज्जा कर कृष्ण जन्माष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया गया. इसके अलावा पुष्टिमार्गीय हवेलियों पर भी भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया गया.

Khazanchi temple decorated with currency
करेंसी से सजाया गया खजांची मंदिर
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Published : Aug 12, 2020, 10:23 PM IST

शाजापुर। त्योहारों पर मंदिरों में साज-सज्जा तो देखी जाती है, लेकिन किसी मंदिर को नोटों से सजा हुआ पहली बार देखने को मिला. जिले में एक ऐसा ही मंदिर मौजूद है, जहां जन्माष्टमी पर्व पर मंदिर में विराजमान भगवान को नोटों की करेंसी से सजाया जाता है. प्रसिद्ध खजांची मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है. यह मंदिर राजस्थान स्थित झालरिया मठ डीडवाना के खजांची मंदिर की तर्ज पर बना है, जो 200 साल पुराना है.

जन्माष्टमी त्योहार पर मंदिर में नोटों से विशेष सजावट की गई, जिसमें भारतीय मुद्रा सहित कई विदेशी मुद्राएं शामिल है. इसकी खास बात यह है कि मंदिर वैसे तो भगवान राम-सीता का है, लेकिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान राम की प्रतिमा को प्रभु कृष्ण का स्वरूप दिया जाता है. साथ ही मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि मंदिर की जब आरती होती है, तो यहां अचानक लोगों का जमावड़ा भारी संख्या में देखने को मिलता है.

खजांची मंदिर की विशेष सजावट को देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं, लेकिन इस बार कोरोना वायरस जैसी महामारी के चलते मंदिर में कोई खास आयोजन नहीं किया गया. मंदिर के पुजारी सीताराम तिवारी ने बताया कि भगवान कृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर मंदिर को नोटों से सजाया जाता है, जिसमें भारतीय भारतीय के साथ-साथ अमेरिका, भूटान, मालदीव और सऊदी अरब की करंसी भी शामिल होती है. उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर को नोटों से सजाने की परंपरा 50 सालों से लगातार चली आ रही है, जिसको लेकर सालभर की मेहनत जन्माष्टमी पर्व पर लगाई जाती है.

पुजारी द्वारा बताया गया कि उनके पिता पंडित दुर्गाशंकर तिवारी 68 साल तक इस मंदिर के पुजारी रहे. करीब 50 साल पहले उनके पिता ने एक रुपए के नोट से मंदिर के श्रृंगार की शुरुआत की थी. बढ़ती करंसी के साथ मंदिर को सजाने के लिए भारतीय मुद्रा के तीन लाख रुपये सहित अमेरिका, भूटान, नेपाल और सउदी अरब जैसे देशों की करंसी का उपयोग किया जाता है.

जिले के गोवर्धन नाथ हवेली और द्वारिकाधीश हवेली पर भी भक्तों द्वारा भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव धूमधाम से मनाया गया. यहां पर प्रभु कृष्ण की प्राचीन मूर्तियों को पंचामृत से स्नान कराया गया, जिसके बाद उन्हें रत्न जड़ित कपड़े पहनाए गए. रात को जैसे ही पुष्टिमार्गीय हवेलियों के पट खोले गए, तो वहां पर श्री कृष्ण के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. इन हवेलियों पर रात 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया गया.

शाजापुर। त्योहारों पर मंदिरों में साज-सज्जा तो देखी जाती है, लेकिन किसी मंदिर को नोटों से सजा हुआ पहली बार देखने को मिला. जिले में एक ऐसा ही मंदिर मौजूद है, जहां जन्माष्टमी पर्व पर मंदिर में विराजमान भगवान को नोटों की करेंसी से सजाया जाता है. प्रसिद्ध खजांची मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है. यह मंदिर राजस्थान स्थित झालरिया मठ डीडवाना के खजांची मंदिर की तर्ज पर बना है, जो 200 साल पुराना है.

जन्माष्टमी त्योहार पर मंदिर में नोटों से विशेष सजावट की गई, जिसमें भारतीय मुद्रा सहित कई विदेशी मुद्राएं शामिल है. इसकी खास बात यह है कि मंदिर वैसे तो भगवान राम-सीता का है, लेकिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान राम की प्रतिमा को प्रभु कृष्ण का स्वरूप दिया जाता है. साथ ही मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि मंदिर की जब आरती होती है, तो यहां अचानक लोगों का जमावड़ा भारी संख्या में देखने को मिलता है.

खजांची मंदिर की विशेष सजावट को देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं, लेकिन इस बार कोरोना वायरस जैसी महामारी के चलते मंदिर में कोई खास आयोजन नहीं किया गया. मंदिर के पुजारी सीताराम तिवारी ने बताया कि भगवान कृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर मंदिर को नोटों से सजाया जाता है, जिसमें भारतीय भारतीय के साथ-साथ अमेरिका, भूटान, मालदीव और सऊदी अरब की करंसी भी शामिल होती है. उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर को नोटों से सजाने की परंपरा 50 सालों से लगातार चली आ रही है, जिसको लेकर सालभर की मेहनत जन्माष्टमी पर्व पर लगाई जाती है.

पुजारी द्वारा बताया गया कि उनके पिता पंडित दुर्गाशंकर तिवारी 68 साल तक इस मंदिर के पुजारी रहे. करीब 50 साल पहले उनके पिता ने एक रुपए के नोट से मंदिर के श्रृंगार की शुरुआत की थी. बढ़ती करंसी के साथ मंदिर को सजाने के लिए भारतीय मुद्रा के तीन लाख रुपये सहित अमेरिका, भूटान, नेपाल और सउदी अरब जैसे देशों की करंसी का उपयोग किया जाता है.

जिले के गोवर्धन नाथ हवेली और द्वारिकाधीश हवेली पर भी भक्तों द्वारा भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव धूमधाम से मनाया गया. यहां पर प्रभु कृष्ण की प्राचीन मूर्तियों को पंचामृत से स्नान कराया गया, जिसके बाद उन्हें रत्न जड़ित कपड़े पहनाए गए. रात को जैसे ही पुष्टिमार्गीय हवेलियों के पट खोले गए, तो वहां पर श्री कृष्ण के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. इन हवेलियों पर रात 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया गया.

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