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बुलेट खरीदने के लिए जोड़े थे पैसे, गौशाला बनाकर बेसहारा जानवरों का बनते हैं सहारा

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Published : Jan 30, 2020, 2:20 PM IST

शहडोल में एक युवा ने पहल करते हुए अपनी बुलेट खरीदने के लिए जोड़े हुए पैसों से गौशाला का निर्माण कराया है. जिसमें वो बेसहारा जानवरों को सहारा देते हैं.

youth built a cowshed in Shahdol
बेसहारा जानवरों के बनते हैं हमदर्द

शहडोल। जिले के एक युवा ने समाजसेवा की एक अनूठी मिसाल कायम की है. जिन्होंने अपने बुलेट खरीदने के लिए जोड़े हुए पैसों से कल्याणपुर गांव में एक गौशाला का निर्माण करवाया है. जो बेसहारा जानवरों के लिए आश्रय बना हुआ है. इस गौशाला के संचालक गौरव राही उड़ीसा में एक प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर हैं, लेकिन उनके द्वारा बनाई हुई युवाओं की टीम बेसहारा जानवरों के लिए फरिश्ता बनी हुई है.

बुलेट खरीदने के पैसे से बनाई गौशाला

बुलेट के पैसे से शुरु की गौशाला

गौरव राही ने बताया कि कुछ साल पहले जब वो नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे थे.उस दौरान उन्होंने बुलेट खरीदने के लिए पैसे जोड़कर रखे थे लेकिन उन्हें लगा कि उनके इस सामाजिक काम में गौशाला की ज्यादा जरूरत है. फिर क्या, उन्होंने इन पैसों से कुछ समाजसेवी, सहयोगी और उनके युवा टीम के सहयोग से कामधेनु गौसेवा संस्थान के नाम से एक गौशाला बना डाली.

24 घंटे बजती है रामधुन

इस गौशाला में एक और खास बात है कि इस गौशाला में 24 घंटे रामधुन बजती रहती है. इस संस्थान में काम करने वाले युवाओं का मानना है कि यहां जब जानवर आते हैं तो उनकी स्थिति बहुत खराब रहती है, जिससे ये धुन उनके लिए जरूरी हो जाती है.

क्राउड फंडिंग से होती है मदद

उन्होंने कहा कि समाज में आज भी कई ऐसे लोग हैं, जो मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, उन्हीं के सहयोग से गौशाला के लिए फंड इकठ्ठा होता है. वहीं पशुओं के इलाज का डॉक्टरों द्वारा फ्री में किया जाता है. इसके साथ ही यदि किसी महीने पैसे घट जाते हैं तो उनकी टीम अपने जेब खर्च और सैलेरी से पैसे का इंतजाम करती है. इस तरह से ये गौशाला कई सालों से चल रही है.कामधेनु गौसेवा संस्थान की टीम ने अब तक 2314 जानवरों का उपचार कर चुकी है. जिसमें 2269 गौवंश, 5 भैंस, 31 घोड़े, तीन बंदर, 3 बिल्ली, एक चिड़िया सहित 1 लोमड़ी का भी इलाज किया जा चुका है.

ऐसे करते हैं काम

गौरव राही ने बताया कि इस काम को सोशल मीडिया के जरिये लोगों तक पहुंचाने के साथ ही अपना नंबर भी देते हैं. जिसके बाद अब कहीं भी कोई असहाय या दुर्घटनाग्रस्त जानवर किसी को भी दिखता है तो उन्हे जानकारी मिल जाती है.

सरकार ने नहीं की मदद

इस संस्थान में काम करने वाले युवाओं ने कई बार जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई लेकिन किसी ने उनका कोई सहयोग नहीं किया. गौरव ने बताया कि कहते हैं कि कमलनाथ सरकार के 5 मंत्रियों से मदद की गुहार लगा चुके हैं लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं की.

गाय को लेकर सरकारे हमेंशा राजनीति करती रही हैं. वर्तमान सरकार भी गौशाला के नाम पर बड़ी वाहवाही लूट रही है. लेकिन दुख की बात ये है कि युवाओं के इस सकारात्मक प्रयास के लिए सरकार कोई सहयोग नहीं कर रही है.

शहडोल। जिले के एक युवा ने समाजसेवा की एक अनूठी मिसाल कायम की है. जिन्होंने अपने बुलेट खरीदने के लिए जोड़े हुए पैसों से कल्याणपुर गांव में एक गौशाला का निर्माण करवाया है. जो बेसहारा जानवरों के लिए आश्रय बना हुआ है. इस गौशाला के संचालक गौरव राही उड़ीसा में एक प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर हैं, लेकिन उनके द्वारा बनाई हुई युवाओं की टीम बेसहारा जानवरों के लिए फरिश्ता बनी हुई है.

बुलेट खरीदने के पैसे से बनाई गौशाला

बुलेट के पैसे से शुरु की गौशाला

गौरव राही ने बताया कि कुछ साल पहले जब वो नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे थे.उस दौरान उन्होंने बुलेट खरीदने के लिए पैसे जोड़कर रखे थे लेकिन उन्हें लगा कि उनके इस सामाजिक काम में गौशाला की ज्यादा जरूरत है. फिर क्या, उन्होंने इन पैसों से कुछ समाजसेवी, सहयोगी और उनके युवा टीम के सहयोग से कामधेनु गौसेवा संस्थान के नाम से एक गौशाला बना डाली.

24 घंटे बजती है रामधुन

इस गौशाला में एक और खास बात है कि इस गौशाला में 24 घंटे रामधुन बजती रहती है. इस संस्थान में काम करने वाले युवाओं का मानना है कि यहां जब जानवर आते हैं तो उनकी स्थिति बहुत खराब रहती है, जिससे ये धुन उनके लिए जरूरी हो जाती है.

क्राउड फंडिंग से होती है मदद

उन्होंने कहा कि समाज में आज भी कई ऐसे लोग हैं, जो मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, उन्हीं के सहयोग से गौशाला के लिए फंड इकठ्ठा होता है. वहीं पशुओं के इलाज का डॉक्टरों द्वारा फ्री में किया जाता है. इसके साथ ही यदि किसी महीने पैसे घट जाते हैं तो उनकी टीम अपने जेब खर्च और सैलेरी से पैसे का इंतजाम करती है. इस तरह से ये गौशाला कई सालों से चल रही है.कामधेनु गौसेवा संस्थान की टीम ने अब तक 2314 जानवरों का उपचार कर चुकी है. जिसमें 2269 गौवंश, 5 भैंस, 31 घोड़े, तीन बंदर, 3 बिल्ली, एक चिड़िया सहित 1 लोमड़ी का भी इलाज किया जा चुका है.

ऐसे करते हैं काम

गौरव राही ने बताया कि इस काम को सोशल मीडिया के जरिये लोगों तक पहुंचाने के साथ ही अपना नंबर भी देते हैं. जिसके बाद अब कहीं भी कोई असहाय या दुर्घटनाग्रस्त जानवर किसी को भी दिखता है तो उन्हे जानकारी मिल जाती है.

सरकार ने नहीं की मदद

इस संस्थान में काम करने वाले युवाओं ने कई बार जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई लेकिन किसी ने उनका कोई सहयोग नहीं किया. गौरव ने बताया कि कहते हैं कि कमलनाथ सरकार के 5 मंत्रियों से मदद की गुहार लगा चुके हैं लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं की.

गाय को लेकर सरकारे हमेंशा राजनीति करती रही हैं. वर्तमान सरकार भी गौशाला के नाम पर बड़ी वाहवाही लूट रही है. लेकिन दुख की बात ये है कि युवाओं के इस सकारात्मक प्रयास के लिए सरकार कोई सहयोग नहीं कर रही है.

Intro:बुलेट खरीदने के लिए जोड़े थे पैसे, गौशाला बनवाने में कर दिया खर्च, लावारिस, घायल, बेसहारा जानवरों के बनते हैं हमदर्द

शहडोल- इन युवाओं के समर्पण भाव, सहयोगी नेचर, समाज में कुछ अलग करने की चाहत, और सबसे बड़ी बात निस्वार्थ भाव से जीवों की मदद करने की तमन्ना ने इन्हें स्पेशल बना दिया है।

हम हमारे समाज के बीच में रह रहे एक ऐसे ही युवाओं की कहानी बताने जा रहे हैं जो मौज़ूदा समय में लावारिस, बेसहारा, घायल, गाय,बैल, घोड़ा कुत्ता कोई भी जानवर अगर उन्हें मिलता है और जिसको मदद की दरकार रहती है युवाओं की ये टीम पहुंचकर उसकी मदद करती है अपने आधुनिक और स्पेशल गौशाला में लेकर उपचार करते हैं और फिर उसके ठीक होने तक उसकी सेवा करते हैं और और ये सब पूरी तरह से निस्वार्थ भाव से करते हैं।


Body:बुलेट खरीदने को जोड़े थे पैसे, गौशाला बनवाने में लगा दिया

जिले के युवा गौरव राही मिश्रा जो इन दिनों उड़ीसा में एक प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर हैं, और अपने गृह नगर छुट्टियों में आये हुए है और जब आते हैं तो अपने गौशाला और अपनी टीम के साथ जानवरों की मदद में लगे रहते हैं लोगों से सहयोग की अपील करते रहते हैं।

गौरव राही मिश्रा बताते हैं कि कुछ साल पहले जब उनकी नौकरी भी नहीं लगी थी स्ट्रगल कर रहे थे तो वो बुलेट खरीदने के लिए पैसे जोड़कर रखे थे, लेकिन उन्हें लगा कि उनके इस सामाजिक काम में गौशाला की ज्यादा जरूरत है तो उन्होंने वो पैसे उसमें लगा दिए और फिर कुछ समाजसेवी, सहयोगी और उनके युवा टीम के सहयोग से गौशाला बनकर तैयार हो गया। जिसका नाम है कामधेनु गौसेवा संस्थान। ये कामधेनु गौसेवा संस्थान जिला मुख्यालय से सटे कल्याणपुर ग्राम पंचायत में बनाया गया है। और ये युवा टीम पिछले कई साल से ये काम कर रही है।

ऐसे चलाते हैं खर्च

गौशाला में अभी कई घायल, बीमार, एक्सीडेंटल गाय, बैल, बछड़े, और असहाय जानवर हैं एक कुत्ता भी है जिसके पैर का एक्सीडेंट हो गया था, सभी का इलाज चल रहा है किसी का पैर टूट गया है तो कोई एक्सीडेंट में बुरी तरह से घायल हो गया है, इन सबके इलाज में इनके खान पान में खर्च आता है।
कामधेनु गौसेवा संस्थान को लीड करने वाले गौरव बताते हैं कि वो क्राउड फंडिंग करते हैं, समाज में आज भी कई ऐसे लोग हैं जो मदद को तैयार रहते हैं उन्हीं का सहयोग मिलते रहता है और फिर जब कुछ पैसे किसी महीने में घट जाता है तो उनकी टीम अपने जेब खर्च अपनी सैलेरी से इकट्ठा करती है। और इस तरह से ये गौशाला चलता है।

40 से 50 हज़ार है महीने का खर्च

गौरव बताते हैं कि इस कामधेनु गौसेवा संस्थान का मासिक खर्च 40 से 50 हज़ार के करीब है क्योंकी जानवरों के लिए खाना भूंसी, चुनी, दवाई का खर्च डॉक्टर तो फ्री इलाज कर देते हैं लेकिन दवाई का खर्च उठाना पड़ता है।

अबतक इतनों का इलाज

कामधेनु गौसेवा संस्थान की टीम अपने गौशाला में एक बोर्ड भी लगाकर रखी है जिसमें रिकॉर्ड मेंटेन किया जा रहा है, कामधेनु गौसेवा संस्थान की टीम ने रेस्क्यू के माध्यम से अबतक 2314 गाय और दूसरे जानवरों का उपचार कर चुकी है। जिसमें 2269 मवेशी, 31 घोड़े, 3 बिल्ली, 1 लोमड़ी एक चिड़िया तीन बंदर, 5 भैंस का इलाज किया जा चुका है या यूं कहें कि उनकी मदद की जा चुकी है।

24 घंटे बजती है रामध्वनी

इस गौशाला में एक और खास बात है कि इस गौशाला में 24 घंटे रामध्वनी बजती रहती है इस कामधेनु गौसेवा संस्थान का मानना है कि यहां जब जानवर आते हैं तो उनकी स्थिति बहुत खराब रहती है और भगवान का नाम भी उनके लिए जरूरी होता है।

ऐसे करते हैं काम

गौसेवा कामधेनु संस्थान के युवा पहले जब गौशाला नहीं था तब उन्हें जहां भी जानकारी लगती घायल जानवरों के इलाज के लिए पहुच जाती थी, टीम को लीड करने वाले गौरव बताते हैं कि वो इस काम को सोशल मीडिया के जरिये लोगों तक पहुंचाते थे साथ ही अपना नंबर भी देते थे जिसके बाद अब कहीं भी कभी भी इस तरह की घटना होती है या जानवर होते हैं तो उन्हें कॉल आ जाता है और अब तो उनकी टीम भी बड़ी हो गई है साथ ही मदद के लिए कुछ सामाजिक लोग भी जुड़ चुके हैं। वो और उनकी टीम मदद के लिए स्पॉट पर पहुंचती है।







Conclusion:अबतक शासन, प्रशासन, नेता, मंत्री किसी ने नही की मदद

कामधेनु गौसेवा संस्थान की युवा टीम ये बताते हुए थोड़ी मायूश हो जाती है, की उन्होंने मदद के लिए कई बार जिला प्रसाशन से गुहार लगाई कई अधिकारियो से मिल चुके, खुद गौरव कहते हैं कि कमलनाथ सरकार के 5 मंत्रियों से मदद की गुहार लगा चुके हैं लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं कि।

गौरतलब है कि जहां एक ओर अपने देश में अपने प्रदेश में सभी राजनीतिक पार्टियां गाय और गौशाल के नाम पर राजनीति कर रही हैं वहीं दूसरी ओर इस तरह से निस्वार्थ भाव से चलने वाले गौशाला और इस युवा टीम की मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा।
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