शहडोल। आम बजट आने को है और आम बजट से इस बार हर किसी को बहुत ज्यादा उम्मीदें रहेंगी. पूरे साल सुर्खियों में रहने वाले किसानों को भी आम बजट से बहुत सारी उम्मीदें हैं. ईटीवी भारत ने हर वर्ग के किसानों से बात की. किसान नेता से लेकर युवा किसान, खेतों में काम कर रहे किसानों से ईटीवी भारत ने जाना कि आख़िर उनको बजट से क्या उम्मीद हैं तो जानें किसानों ने क्या कहा ?
बजट को लेकर बोले किसान नेता
आम बजट को लेकर भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने कहा केंद्र सरकार का ये जो बजट आने वाला है, उसमें किसानों को ये उम्मीद है, की जो प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि है, उसमें बढ़ोत्तरी होनी चाहिए. हम ये अनुमान लगा रहे हैं कि अभी तो सम्मान निधि में कोई आधार नहीं है. रकबे का, अभी देखिये 6 हज़ार रुपये केंद्र से आ रहे हैं, 4 हज़ार रुपये मुख्यमंत्री दे रहे हैं. ये फ्लैट है. इसमें रकबे का कोई आधार नहीं है. रकबे के आधार पर अगर ये 10 हज़ार रुपये प्रति हेक्टेयर हो जाता है तो किसानों को बहुत आसानी होगी. हम उम्मीद करते हैं कि इस बार के बजट में उसको स्थान दिया जाए. दूसरीं बात ये है कि जो छोटी सिंचाई परियोजनाएं हैं, जिन परियोजनायों से 100, 120 150 इन सब के आसपास वाले किसान लाभान्वित हों 200, 300, 400 हेक्टेयर वाले परियोजनाओं को स्थान इस बजट में मिलना चाहिए. क्योंकि बहुत बड़ी परियोजनाओं को लागू करने में समय भी लगता है. इस छोटी परियोजनाओं को एक सीजन में एक वर्षाकार में इनको बनाया जा सकता है. इस बजट में हम उम्मीद करते हैं कि ऐसी योजनाओं को भी बजट में जगह दी जाएगी.
योजनाओं का हो सरलीकरण
जरवाही के किसान आशुतोष मिश्रा जिनका जीवन यापन खेती किसानी से ही चलता है. वह खेती करके अपना परिवार चलाते हैं, वो कहते हैं कि इस बार के बजट में किसानों के लिए बेहतर तो होना ही चाहिए. साथ ही सरकार जो भी चीजें बनाती है. बजट में यह चीजें भी शामिल होकर उनका सरलीकरण हो क्योंकि कोई भी योजना लागू होती है, कोई भी किसानों को फायदा मिलता है तो वो इतना क्रिटिकल होता है कि एक छोटा किसान उसका फायदा नहीं उठा पाता. आम किसान के लिए बहुत टेढ़ी खीर होती है और उस योजना का फायदा पाने के लिए ही वह परेशान रहता है. तो फिर खेती पर ध्यान दें कि उन योजनाओं के फायदे पर ध्यान दें.
आशुतोष मिश्रा एक उदाहरण देते हुए कहते हैं कि वह खुद पशुपालन करना चाहते हैं और एक योजना है जिसमें कुछ पशुओं के लिए लोन मिलता है, लेकिन वह पिछले 2 साल से इसके लिए कागज तैयार करवा रहे हैं. कागज तो तैयार हो गया लेकिन बैंक में जाकर फंस गया. अब तक बैंक से उन्हें लोन नहीं मिल पाया है. जब भी बैंक जाते हैं तो उन्हें कोई न कोई कारण बता दिया जाता है. वह कहते हैं कि अब वह क्या करें, शासन ने योजना लागू कर दी कि डेयरी उद्योग खोलिए इस योजना का फायदा उठाकर लेकिन वह उसका फायदा जब आम किसान नहीं पा रहा है तो फिर ये कैसी योजना और किसानों को कैसा फायदा.
आशुतोष मिश्रा कहते हैं कि सरकार को बजट में इन समस्याओं को लेकर भी बात करनी चाहिए. साथ ही जो भी दे उसको सरलीकरण करके दें. ताकि वह सही व्यक्ति तक सही जरूरतमंद तक पहुंच सके. दूसरा खाद बीज को लेकर भी इस बार के बजट में बात होनी चाहिए, क्योंकि अगर किसान को आसानी से खाद बीज उपलब्ध नहीं होगा तो फिर वह खेती कैसे करेगा. हर बार किसान को खाद बीज के लिए समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है.
जैविक खेती करने वाले किसानों की भी बात हो
युवा किसान प्रदीप सिंह बघेल का कहना है कि इस बार बजट उम्मीदों का बजट है और किसान को हर बार बजट से उम्मीद होती है, तो इस बार भी बजट से बहुत सारी उम्मीदें हैं. लेकिन इस बार बजट में जैविक खेती करने वाले किसानों की भी बात होनी चाहिए. जो जैविक खेती तो करते हैं लेकिन बेचने के लिए उनके पास बाजार नहीं होता है. अगर किसानों के लिए हर विकासखण्ड पर कम दूरी पर अच्छा बाजार हो जैविक उत्पादों को खरीदने वाला बाजार मिल जाता है. इससे किसानों को एक उचित दाम भी मिलेगा, प्रोत्साहन भी होगा और जैविक खेती करने वाले किसानों में बढ़ोतरी भी होगी. इस बार के बजट में इसकी भी बात होनी चाहिए
उम्मीदों पर खरा उतरने वाला हो बजट
युवा किसान संतोष शर्मा को इस बार के बजट से बहुत ज्यादा उम्मीद है. संतोष शर्मा को उम्मीद है कि इस बार सरकार कुछ सकरात्मक कदम उठाएगी. किसानों के लिए सरकार व्यवस्थाएं तो कर रही है लेकिन खाद की व्यवस्था हो यूरिया की व्यवस्था हो चाहे कोई संसाधन की व्यवस्था हो सरल ढंग से किसानों तक जो पहुंच नहीं पाता है. दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं, कई बार तो किसान ऐसे चक्करों में फायदा उठाना भूल जाते हैं कुल मिलाकर सरलीकरण होना चाहिए. किसानों के हक की चीजें सरकार जो किसानों के लिए फायदे देती है.
खाद बीज की व्यवस्था में हो आसानी
किसान दशरथ प्रसाद यादव जो खेती करके ही अपना जीवन यापन करते हैं, वह कहते हैं कि इस बार के बजट से उन्हें उम्मीद यह है कि सरकार किसानों के लिए बेहतर बजट तो दे ही साथ ही कुछ ऐसी व्यवस्था बनाए कि जो हर बार खाद बीज के लिए दुकानों के चक्कर काटने पड़ते हैं,वह सिस्टम खत्म हो जाए. क्योंकि किसान अगर खेतों पर काम नहीं करेगा, दुकानों के चक्कर काटेगा तो फिर खेती कैसे होगी. खाद समय से नहीं मिलता किसान परेशान हो जाता है, ऐसे में सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए.