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60 दिन में खुलेगा लॉन्गेस्ट स्टेशन केबल स्टे ब्रिज, नीचे प्लेटफॉर्म से ट्रेन उपर से गुजरेगी बस-कार - MADAN MAHAL STATION CABLE BRIDGE

देश के यूनीक केबल स्टे ब्रिज की सौगात 2025 में मिलेगी. मध्य प्रदेश के सबसे लंबे फ्लाईओवर केबल ब्रिज ने अचीव किया बड़ा माइल स्टोन.

MADHYA PRADESH BIGGEST CABLE BRIDGE stitching
मध्य प्रदेश के सबसे लंबे केबल स्टे ब्रिज के दोनों हिस्से जुड़े (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 25, 2024, 9:36 PM IST

Updated : Dec 26, 2024, 11:24 AM IST

जबलपुर (विश्वजीत सिंह राजपूत): 2025 में जबलपुर को मध्य प्रदेश के सबसे लंबे फ्लाईओवर की सौगात मिलने जा रही है. 385 मीटर लंबे इस ब्रिज के लगभग 200 मीटर लंबे हिस्से की फाइनल स्टिचिंग की गई और दोनों हिस्सों को आपस में जोड़ दिया गया है. यह दोनों हिस्से आपस में सटीक तरीके से जुड़ गए. इंजीनियरिंग के नजरिए से भी इसे एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. सबसे खास बात ये है कि इस ब्रिज के नीचे जबलपुर का दूसरा रेलवे स्टेशन मदन महल मौजूद है. ऐसे में एक ओर जहां इसके नीचे से ट्रेने गुजरेंगी तो ऊपर की ओर से सिटी ट्रैफिक फर्राटा भरते हुए निकलेगा. भारत में अपने आप में यह ऐसा इकलौता ब्रिज होगा, जो किसी रेलवे स्टेशन के ऊपर से होकर गुजर रहा है.

Cable BRIDGE Final stitching
केबल स्टे ब्रिज की फाइनल स्टिचिंग (ETV Bharat)

मदन महल स्टेशन ने ऊपर से गुजरा है ये ब्रिज

दरअसल, ये ब्रिज जबलपुर में बने प्रदेश के सबसे लंबे फ्लायओवर का हिस्सा है. इस हिस्से को बनाने में सबसे ज्यादा वक्त इसलिए लगा क्योंकि यहां काम करना सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण था. कारण ये कि इसके नीचे पूरा का पूरा मदनमहल स्टेशन है. जहां से अप और डाउन लाइन की ट्रेनें धड़ाधड़ गुजरती हैं. लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण यंत्री शिवेंद्र सिंह के मुताबिक, " उस समय सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि रेलवे स्टेशन के अलावा और कहीं से इसे निकाला नहीं जा सकता था. रेलवे स्टेशन पर मौजूदा 4 रेल लाइनों के अलावा दोनों तरफ प्लेटफार्म थे. भविष्य की योजना को देखते हुए यदि रेलवे स्टेशन को और चौड़ा किया गया तो यह पुल बाधा न बने, इसलिए इसकी चौड़ाई बढ़ाई गई है. इसका ज्यादातर हिस्सा हवा में है.

जबलपुर में बन रहा मध्य प्रदेश का सबसे लंबा फ्लाईओवर (ETV Bharat)

फाइनल स्टिचिंग कर जोड़े गए ब्रिज के दोनों हिस्से

मध्य प्रदेश के सबसे लंबे केबल स्टे ब्रिज के दोनों हिस्सों को आज जोड़ दिया गया. लोक निर्माण विभाग के जबलपुर संभाग के मुख्य अभियंता एससी वर्मा ने बताया कि "आज का दिन इंजीनियरिंग के हिसाब से बड़ा दिन है क्योंकि किसी सिंगल स्पान केवल स्टे ब्रिज की जब दोनों हिस्सों की स्टिचिंग की जाती है तब यह दोनों हिस्से एक ही सीध में आना जरूरी होते हैं, तभी यह मजबूती से आपस में जुड़ सकते हैं. यह एक बड़ी चुनौती होती है."

उन्होंने बताया, " मदनमहल से दमोहनाका तक फ्लायओवर ब्रिज के इस हिस्से की लंबाई लगभग 7 किलोमीटर है. फ्लायओवर के 385 मीटर (केबल ब्रिज) वाले हिस्से के दोनों छोर को आपस में जब जोड़ा तो ये बिल्कुल एक सीध में पाए गए. और इन दोनों के बीच में आज कंक्रीट भर दी गई. 60 दिन में यह कंक्रीट पककर पूरी तरह तैयार हो जाएगी. तब तक ब्रिज के दूसरे काम पूरे कर दिए जाएंगे और ऐसी संभावना है कि 60 दिनों बाद इस ब्रिज को लोकार्पित कर दिया जाए."

Madhya Pradesh Longest flyover
मध्य प्रदेश का सबसे लंबा फ्लाईओवर (ETV Bharat)

बड़े से बड़ा भूकंप सह सकता है ब्रिज

इस ब्रिज को आंध्र प्रदेश की एनसीसी कंपनी ने तैयार किया है. इस कंपनी के कंसल्टेंट श्रीनिवास राव ने बताया, " यह डिजाइन फ्रांस से लिया गया था और फ्रांस की कंपनी ने डिजाइनिंग असिस्टेंट भी दिया लेकिन ब्रिज पूरी तरह स्वदेशी है. इसमें लगने वाली केबल भी भारत में ही बनाई जा रही हैं. इसमें जिन मशीनों का निर्माण के लिए उपयोग किया गया वे सभी देसी हैं. इस ब्रिज में 56 केबल लगाई गई हैं. इसमें 4 पिलर बनाए गए हैं जो 32 मीटर ऊपर हैं और 32 मीटर ही इन्हें जमीन के भीतर रखा गया है. इस ब्रिज का कुल वजन लगभग 11200 टन है. एक पिलर 5600 टन का वजन उठाए हुए है".

श्रीनिवास राव का कहना है कि "उन्हें यह जानकारी है कि जबलपुर भूकंप संवेदी क्षेत्र है इसलिए इस ब्रिज में भी भूकंप रोधी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. यह ब्रिज बड़े से बड़ा भूकंप सह सकता है."

2 घंटे ट्रैक से नहीं गुजरीं ट्रेनें

यह देश का पहला ऐसा ब्रिज है जो किसी रेलवे स्टेशन के ऊपर से होकर गुजर रहा है. इस ऊंचाई से जबलपुर शहर देखने में बहुत ही सुंदर लगता है. जब इस ब्रिज पर लाइटिंग का पूरा काम हो जाएगा तो यह केवल इंजीनियरिंग और सुविधा की दृष्टि से ही विशेष नहीं होगा बल्कि खूबसूरती की दृष्टि से भी एक सुंदर स्थान होगा. जब इसकी फाइनल स्टिचिंग की जा रही थी तब 2 घंटे के लिए ट्रेनों को भी ट्रैक से गुजरने से रोक दिया गया था.

अभी उद्घाटन की तारीख तय नहीं

अभी तक इस ब्रिज का नामकरण नहीं किया गया है और ना ही इसके उद्घाटन की तारीख तय है. अभी भी इस फ्लाईओवर का दमोहनाका वाले हिस्से का बहुत सा काम बाकी है. ऐसी स्थिति में 2 महीने में इसे जनता के लिए खोला जाना एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है लेकिन 2025 में जबलपुर के लोगों को लगभग 900 करोड़ की लागत से बनने वाला यह फ्लाईओवर मिल जाएगा.

जबलपुर (विश्वजीत सिंह राजपूत): 2025 में जबलपुर को मध्य प्रदेश के सबसे लंबे फ्लाईओवर की सौगात मिलने जा रही है. 385 मीटर लंबे इस ब्रिज के लगभग 200 मीटर लंबे हिस्से की फाइनल स्टिचिंग की गई और दोनों हिस्सों को आपस में जोड़ दिया गया है. यह दोनों हिस्से आपस में सटीक तरीके से जुड़ गए. इंजीनियरिंग के नजरिए से भी इसे एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. सबसे खास बात ये है कि इस ब्रिज के नीचे जबलपुर का दूसरा रेलवे स्टेशन मदन महल मौजूद है. ऐसे में एक ओर जहां इसके नीचे से ट्रेने गुजरेंगी तो ऊपर की ओर से सिटी ट्रैफिक फर्राटा भरते हुए निकलेगा. भारत में अपने आप में यह ऐसा इकलौता ब्रिज होगा, जो किसी रेलवे स्टेशन के ऊपर से होकर गुजर रहा है.

Cable BRIDGE Final stitching
केबल स्टे ब्रिज की फाइनल स्टिचिंग (ETV Bharat)

मदन महल स्टेशन ने ऊपर से गुजरा है ये ब्रिज

दरअसल, ये ब्रिज जबलपुर में बने प्रदेश के सबसे लंबे फ्लायओवर का हिस्सा है. इस हिस्से को बनाने में सबसे ज्यादा वक्त इसलिए लगा क्योंकि यहां काम करना सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण था. कारण ये कि इसके नीचे पूरा का पूरा मदनमहल स्टेशन है. जहां से अप और डाउन लाइन की ट्रेनें धड़ाधड़ गुजरती हैं. लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण यंत्री शिवेंद्र सिंह के मुताबिक, " उस समय सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि रेलवे स्टेशन के अलावा और कहीं से इसे निकाला नहीं जा सकता था. रेलवे स्टेशन पर मौजूदा 4 रेल लाइनों के अलावा दोनों तरफ प्लेटफार्म थे. भविष्य की योजना को देखते हुए यदि रेलवे स्टेशन को और चौड़ा किया गया तो यह पुल बाधा न बने, इसलिए इसकी चौड़ाई बढ़ाई गई है. इसका ज्यादातर हिस्सा हवा में है.

जबलपुर में बन रहा मध्य प्रदेश का सबसे लंबा फ्लाईओवर (ETV Bharat)

फाइनल स्टिचिंग कर जोड़े गए ब्रिज के दोनों हिस्से

मध्य प्रदेश के सबसे लंबे केबल स्टे ब्रिज के दोनों हिस्सों को आज जोड़ दिया गया. लोक निर्माण विभाग के जबलपुर संभाग के मुख्य अभियंता एससी वर्मा ने बताया कि "आज का दिन इंजीनियरिंग के हिसाब से बड़ा दिन है क्योंकि किसी सिंगल स्पान केवल स्टे ब्रिज की जब दोनों हिस्सों की स्टिचिंग की जाती है तब यह दोनों हिस्से एक ही सीध में आना जरूरी होते हैं, तभी यह मजबूती से आपस में जुड़ सकते हैं. यह एक बड़ी चुनौती होती है."

उन्होंने बताया, " मदनमहल से दमोहनाका तक फ्लायओवर ब्रिज के इस हिस्से की लंबाई लगभग 7 किलोमीटर है. फ्लायओवर के 385 मीटर (केबल ब्रिज) वाले हिस्से के दोनों छोर को आपस में जब जोड़ा तो ये बिल्कुल एक सीध में पाए गए. और इन दोनों के बीच में आज कंक्रीट भर दी गई. 60 दिन में यह कंक्रीट पककर पूरी तरह तैयार हो जाएगी. तब तक ब्रिज के दूसरे काम पूरे कर दिए जाएंगे और ऐसी संभावना है कि 60 दिनों बाद इस ब्रिज को लोकार्पित कर दिया जाए."

Madhya Pradesh Longest flyover
मध्य प्रदेश का सबसे लंबा फ्लाईओवर (ETV Bharat)

बड़े से बड़ा भूकंप सह सकता है ब्रिज

इस ब्रिज को आंध्र प्रदेश की एनसीसी कंपनी ने तैयार किया है. इस कंपनी के कंसल्टेंट श्रीनिवास राव ने बताया, " यह डिजाइन फ्रांस से लिया गया था और फ्रांस की कंपनी ने डिजाइनिंग असिस्टेंट भी दिया लेकिन ब्रिज पूरी तरह स्वदेशी है. इसमें लगने वाली केबल भी भारत में ही बनाई जा रही हैं. इसमें जिन मशीनों का निर्माण के लिए उपयोग किया गया वे सभी देसी हैं. इस ब्रिज में 56 केबल लगाई गई हैं. इसमें 4 पिलर बनाए गए हैं जो 32 मीटर ऊपर हैं और 32 मीटर ही इन्हें जमीन के भीतर रखा गया है. इस ब्रिज का कुल वजन लगभग 11200 टन है. एक पिलर 5600 टन का वजन उठाए हुए है".

श्रीनिवास राव का कहना है कि "उन्हें यह जानकारी है कि जबलपुर भूकंप संवेदी क्षेत्र है इसलिए इस ब्रिज में भी भूकंप रोधी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. यह ब्रिज बड़े से बड़ा भूकंप सह सकता है."

2 घंटे ट्रैक से नहीं गुजरीं ट्रेनें

यह देश का पहला ऐसा ब्रिज है जो किसी रेलवे स्टेशन के ऊपर से होकर गुजर रहा है. इस ऊंचाई से जबलपुर शहर देखने में बहुत ही सुंदर लगता है. जब इस ब्रिज पर लाइटिंग का पूरा काम हो जाएगा तो यह केवल इंजीनियरिंग और सुविधा की दृष्टि से ही विशेष नहीं होगा बल्कि खूबसूरती की दृष्टि से भी एक सुंदर स्थान होगा. जब इसकी फाइनल स्टिचिंग की जा रही थी तब 2 घंटे के लिए ट्रेनों को भी ट्रैक से गुजरने से रोक दिया गया था.

अभी उद्घाटन की तारीख तय नहीं

अभी तक इस ब्रिज का नामकरण नहीं किया गया है और ना ही इसके उद्घाटन की तारीख तय है. अभी भी इस फ्लाईओवर का दमोहनाका वाले हिस्से का बहुत सा काम बाकी है. ऐसी स्थिति में 2 महीने में इसे जनता के लिए खोला जाना एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है लेकिन 2025 में जबलपुर के लोगों को लगभग 900 करोड़ की लागत से बनने वाला यह फ्लाईओवर मिल जाएगा.

Last Updated : Dec 26, 2024, 11:24 AM IST
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