शहडोल। खेलों की बात करें और शहडोल जिले का नाम ना आए, ऐसा कभी हो सकता है भला. पिछले कुछ सालों में शहडोल जिले से कई ऐसे टैलेंट निकले हैं, जिन्होंने प्रदेश और देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपना नाम कमाया है. पूजा वस्त्रकर जैसी क्रिकेटर्स इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं. ऐसा नहीं है कि शहडोल जिले में क्रिकेट वॉलीबॉल बास्केटबॉल जैसे खेलों में ही लड़कियां भाग्य आजमा रही हैं, यहां तो राइफल शूटिंग जैसे खेलों में भी लड़कियां कमाल कर रही हैं.
नेशनल गेम्स में तो अपना वर्चस्व दिखा ही रही हैं, साथ ही अब वर्ल्ड कप और ओलंपिक में भी मेडल जीतने का सपना लेकर तैयारी में जुटी हुई हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है शहडोल की रहने वाली बांधवी सिंह की, जो इन दिनों राइफल शूटिंग में कमाल कर रही हैं. इनके टैलेंट को देखकर लोगों का बस यही कहना है, कि यह लड़की आगे कुछ बड़ा कमाल जरूर करेगी.
अभिनव बिंद्रा शूटिंग का वह खिलाड़ी जिसने ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया था. उस वक्त से ही अभिनव बिंद्रा को हर कोई जानने लगा था और अब कुछ उसी तरह से शहडोल की रहने वाली बांधवी सिंह भी राइफल शूटिंग जैसे खेल में कुछ कर गुजरने के लक्ष्य के साथ दिन-रात जुटी हुई हैं. इनकी शुरुआती कामयाबियों और इनके इस खेल के प्रति जुनून को देखकर हर कोई बस यही कह रहा है कि एक दिन बांधवी सिंह कुछ बड़ा जरूर करेंगी.
पिता से मिली प्रेरणा और शुरू हुआ शूटिंग का सफर
बांधवी सिंह बताती हैं कि उन्होंने रायफल शूटिंग की शुरुआत अपने पिता को प्रेरणा मानकर की, क्योंकि पहले उनके पिता भी शूटिंग करते थे. उन्होंने अपने पिता को देखकर शूटिंग की शुरुआत की, दोनों एक ही स्कूल से पढ़े, तो उनके पिता उस समय स्कूल में शूटिंग कैप्टन रह चुके हैं और अपने पिता को देखकर ही उन्होंने रायफल शूटिंग की ओर अपने कदम बढ़ा दिए. अब बस उनका एक ही सपना है कि इस खेल में देश के लिए वर्ल्ड कप और ओलंपिक में मेडल जीतें. इसी लक्ष्य के साथ अब वो आगे बढ़ रही हैं.
बांधवी सिंह का रायफल शूटिंग में कमाल
बांधवी सिंह रायफल शूटिंग में अब तक 5 नेशनल खेल चुकी हैं, जिसमें पिछले साल 2019 में भोपाल में हुए नेशनल गेम्स में 8 मेडल जीते थे, जिसमें 5 गोल्ड मेडल, एक सिल्वर मेडल, और दो ब्रॉन्ज मेडल थे. इनके अलावा 50 मीटर ईवेंट में ओलंपिक कोटा वाली एक खिलाड़ी अंजुम मॉडगिल हैं, जो बांधवी से उम्र में काफी बड़ी हैं, उन्हें बीट करते हुए बांधवी ने गोल्ड मेडल पर निशाना लगाया था. बांधवी सिंह को साल 2019 में नेशनल चैंपियन ऑफ इंडिया का टाइटल भी मिल चुका है
बांधवी के खेल पर भी कोरोनाकाल का असर
19 साल की उम्र की खिलाड़ी बांधवी सिंह के खेल पर भी इस कोरोनाकाल का असर हुआ है. वो कहती हैं कि अभी तो कोरोना की वजह से ट्रेनिंग बंद है. वर्ल्ड कप की तैयारी कर रहीं थीं, अब आगे अभी इस कोरोना की वजह से क्या क्या होगा, वो खुद भी नहीं जानती. लेकिन उनका बस यही कहना है कि जैसे ही हालात थोड़े बहुत ठीक होते हैं, वो वर्ल्ड कप की तैयारी शुरू कर देंगी. वो कहती हैं, कोरोना के चलते प्रेक्टिस तो बंद है. अब घर आ गई हूं तो राइफल रखी हुई है, हालांकि कुछ प्रैक्टिस करती हूं, बस फायर नहीं कर सकते लेकिन, होल्डिंग और बाकी सब चल रहा है.
हॉकी में भी कर चुकी हैं कमाल
बांधवी सिंह का रुझान बचपन से ही खेलों की ओर रहा है. तभी तो शुरुआत से ही वह हॉकी के खेल में कमाल कर चुकी हैं और शूटिंग से पहले हॉकी में भी स्कूल में वह नेशनल खेल चुकी हैं. बांधवी सिंह ने हॉकी में 6 नेशनल खेले हैं. साल 2018 में हॉकी में भी नेशनल में बेस्ट गोलकीपर ऑफ इंडिया का खिताब भी हासिल कर चुकी हैं. लेकिन अब सब छोड़कर सिर्फ रायफल शूटिंग में खुद को आगे बढ़ा रही हैं और लगातार कामयाबी भी हासिल कर रही हैं.
अब सिर्फ इंटरनेशनल पर फोकस
बांधवी सिंह कहती हैं कि इस साल वो रायफल शूटिंग में वर्ल्ड कप की तैयारी कर रही थीं, पूरे साल में रायफल शूटिंग के 8 वर्ल्ड कप होते हैं, उसमें भी एक अच्छी रैंकिंग आए तो फिर और इंटरनेशनल खेला सकता है, अभी बस रायफल शूटिंग में इंटरनेशनल मुकाबलों पर फोकस करना है, क्योंकि इंडिया को रिप्रेजेंट करना है, यहां मेडल जीतने हैं और फिर आगे ओलंपिक में मेडल जीतकर देश का नाम ऊंचा करना है. यही अब बांधवी का लक्ष्य है.
उसके लिए जुनून है रायफल शूटिंग
रायफल शूटिंग स्टार बांधवी सिंह की मां सपना सिंह कहती हैं कि हम लोगों ने भी इतना सोचा नहीं था कि स्पोर्ट्स में बांधवी इतना आगे बढ़ जाएगी. बांधवी रायफल शूटिंग के लिए क्रेजी हैं और हम उसे उसके सपने से पीछे नहीं हटने देना चाहते. वो जो चाहे वो करें. हम बस उसके लक्ष्य को पाने में हम उसकी सहायता करते हैं. उनकी मां कहती हैं कि बांधवी 8 से 9 घंटे लगातार बिना ब्रेक लिए प्रैक्टिस करती रहती हैं, वो जुनून ही तो है.
रायफल शूटिंग जैसे खेल में बांधवी जिस तरह से कमाल कर रही हैं और अपने लक्ष्य को पाने के लिए लगातार अभ्यास कर रही हैं. हर दिन 8 से 9 घंटे लगातार बिना ब्रेक के प्रैक्टिस करना बहुत बड़ा हार्ड वर्क है. उम्मीद करते हैं कि बांधवी जिस लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही हैं, उन्हें वह लक्ष्य जल्द ही मिले और उनके साथ-साथ देश प्रदेश और शहडोल जिले का नाम भी आगे बढ़े.