शहडोल। खुद के खर्च पर जरूरतमंद लोगों को मुफ्त भोजन कराना यही संकल्प लिया था शहडोल शहर के 6 युवाओं ने मिलकर 1 जनवरी 2020 में सांझी रसोई की शुरुआत की. शुरूआत में लोगों को यह न लगे कि वे भंडारा खा रहे हैं या रोज मुफ्त खाना खाने से कोई हीन भावना ना महसूस हो इसलिए 5 रुपए में मुफ्त भोजन दिया जाता था, लेकिन कोरोना काल में जहां जरूरतमंद और गरीब लोग परेशान थे तब यह 5 रुपए का चार्ज भी हटा दिया गया. इसके बाद से शहर में हर जगह जरूरतमंद लोगों को मुफ्त में भोजन कराया जा रहा है. जरूरतमंदों की सेवा का संकल्प लेकर शुरू की गई इस सांझी रसोई में अभीतक लगभग साढ़े चार लाख से ज्यादा लोगों को भोजन कराया जा चुका है.
सप्ताह के 7 दिन मिलता है मुफ्त भोजन
सांझी रसोई की शुरूआत लगभग 18 महीने पहले की गई थी. यह एक ऐसी रसोई है जहां जरूरतमंदों को मुफ्त भरपेट भोजन कराया जाता है. इसके साथ ही खाने की क्वॉलिटी भी बिल्कुल घर के खाने की तरह ही होती है. हर हफ्ते का मेनू पहले से ही डिसाइड होता है. जैसे घरों में सुबह के खाने में दाल, चावल, सब्जी और रात को रोटी होती है वैसी ही व्यवस्था सांझी रसोई में भी है. आम दिनों में सोमवार से शनिवार तक खाना बंटा जाता था , लेकिन कोरोनाकाल शुरू होने के बाद से सप्ताह के पूरे 7 दिन यह सेवा दी जा रही है.
ऐसे हुई शुरूआत
सांझी रसोई की बुनियाद रखी 6 युवाओं की सोच ने. जिन्होंने खुद के खर्च से इसकी शुरुआत की थी, लेकिन अब धीरे-धीरे यह कारवां बढ़ चुका है. अब पूरे शहडोल के लोग अपने युवाओं की इस प्रयास की न सिर्फ सराहना कर रहे हैं बल्कि खुलकर मदद भी देते हैं. जिसके बाद यहां जरूरतमंदों के लिए खाना बनाने और खाना खाने वालों की तादाद भी बढ़ती चली गई. सांझी रसोई के सेवादारों के मुताबिक यहां अभी तक लगभघ साढ़े चार लाख से ज्यादा लोग खाना खा चुके हैं. अकेले कोरोना काल के दौरान ही यहां से मुफ्त भोजन ले जाने वालों की तादाद भी 1 लाख से ज्यादा हो चुकी है.
हर रोज तैयार होता है साढ़े चार हज़ार लोगों का भोजन
कोरोनाकाल के इस मुश्किल दौर में सांझी रसोई जरूरतमंद लोगों की खाना खाने की मुश्किल का हल बन गई है.भोजन बनाने के काम में जुटे सेवादारों का कहना है कि यहां हर रोज लगभग साढ़े 4 से 5 हजार लोगों के लिए खाना तैयार किया जाता है. जिसके बाद रसोई के दूसरे सेवादार खाने के पैकेट क्रेट में भरकर ले जाते हैं. जिन्हें शहर की अलग अलग जगहों पर जरूरतमंद लोगों में बांटा जाता है. युवाओं का यह छोटा से प्रयास अब काफी बड़ा हो चुका है. रसोई में 27 लोगों का पेड स्टाफ भी है जिनके साथ 15 सेवादार भी खाना तैयार करने और बांटने के काम में जुटे हुए हैं.
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों ने किया भोजन
सांझी रसोई के सेवादारों ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ही महज 51 दिन में 1,57,245 लोगों को फ्री भोजन कराया जा चुका है. इस दौरान जितने प्राइवेट हॉस्पिटल, गवर्नमेंट हॉस्पिटल, गरीब, बेसहारा, रेहड़ी पटरी वाले छोटे व्यापारी, ऑटो चालक, रिक्शा चालक हर किसी को भोजन कराया गया. शहर में अलग-अलग जगह खाना बांटने के अलावा जो भी जरूरतमंद सांझी रसोई तक आया उसे भी यहीं से भोजन के पैकेट मुफ्त में दिए जा रहे हैं.यह सिलसिला आज भी जारी है.
लोगों की भी पसंद बनी सांझी रसोई
अगर कोई सांझी रसोई में मदद करता है तो इसमें पारदर्शिता भी बहुत रखी जाती रही है.दान देने वाले या मदद करने वालों के लिए एक ग्रुप बनाया गया है. उस ग्रुप से उनका नंबर जोड़ दिया जाता है. ग्रुप में क्या खाना बनेगा और कितने लोगों को बांटा, कितने पैकेट तैयार हुए इसकी पूरी जानकारी दी जाती है. साथ में दान देने वाले या मदद करने वाले का नाम भी लिखा जाता है. सांझी रसोई शहडोल के लोगों की भी पसंद बन गई है. लोग यहां बर्थडे सेलिब्रेट या एनीवर्सरी सेलिब्रेट करने के लिए सांझी रसोई को मदद पहुंचाते हैं. कई बार गुप्त दान के जरिए भी मदद मिलती है.