शहडोल (Shahdol News)। जिले के करकटी गांव में एक भूरा यादव नाम का शख्स रहता है, जो लकड़ी और पत्ते खाने का आदि है (Man eats leaves and wood). जी हां, सुनने में यह बात जरूर थोड़ी पेचीदा लगती है, लेकिन यही सच है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान भूरा ने बताया कि वह यूकेलिप्टिस के पत्ते और लकड़ी अभी से नहीं बल्कि पिछले 10 सालों से खा रहे हैं. बावजूद इसके वह तंदरुस्त हैं. उन्हें किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं है.
यूकेलिप्टिस के पत्ते और लकड़ी खाता शख्स
भूरा यादव की उम्र 50 साल है. भूरा यादव नाम के इस व्यक्ति के साथ अजब गजब बात यह है कि उन्हें जब भी भूख लगती है तो उन्हें भोजन मिले या ना मिले, इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. वो यूकेलिप्टिस की पत्ती और लकड़ी खाकर भी अपना पेट भर लेते हैं. लकड़ी के साथ ही भूरा यादव फल और अन्य चीजों का भी सेवन करते हैं. भूरा यादव कहते हैं कि वह पिछले 10 साल से लकड़ी और पत्तियों का सेवन कर रहे हैं. उनका दावा है कि इसकी वजह से वो कभी बीमार भी नहीं हुए. ना ही उन्हें किसी तरह का कोई साइडइफेक्ट हुआ है.
भूरा यादव बताते हैं कि वो जंगल में मवेशियों को चराने जाते हैं और अगर वहां उन्हें भूख लगती है तो वो भी लकड़ी और पत्ते खाकर अपनी भूख मिटा लेते हैं, उनकी इस आदत को देखकर हर कोई हैरान है.
ऐसा करने से सेहत पर पड़ेगा बुरा असर
भूरा यादव के इस तरह से लकड़ी और पत्ते खाने को लेकर डॉक्टर राजेश पांडे कहते हैं कि ऐसा खाना जो लोग खाते हैं वह परवर्टेड कहलाते हैं. इस तरह का ये एक मानसिक रोग है. इस तरह के रोग के चलते पेट के अंदर का जो स्थान है, भोजन के अतिरिक्त बाकी चीजें खाने से इसका दो प्रकार से दुष्प्रभाव होता है. एक तो भोजन का रिप्लेसमेंट है, ये ऐसी चीजे हैं जिनमें कोई पोषक तत्व नहीं है, इससे शरीर में पोषक तत्वों की कमी होगी. दूसरा जहरीले पदार्थ इनके शरीर के अंदर बन सकते हैं. हानिकारक चीजें हो सकती हैं, कोई पार्टिकुलर लकड़ी तो खाता नहीं है. ऐसे में उससे पेट में डैमेज हो जाएगा, पेट में चोट आंतों में अल्सर आदि हो सकता है.
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भूरा यादव का दावा है कि उसको पत्ती और लकड़ी का सेवन करने से कोई बीमारी नहीं होती है. इस पर डॉक्टर्स का कहना है कि उसको खाते-खाते आदत पड़ गई है. वह उन चीजों को मैनेज कर लेता है. वास्तव में यह चीजें हजम नहीं होती हैं. बिना हजम किए यह चीजें निकल जाती हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि भूरा यादव को मानसिक रोग है. उसे इलाज के लिए फौरन मानसिक रोग चिकित्सक के पास भर्ती कराना चाहिए.