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शहडोल की इस आदिवासी सीट से किन्नर ने ठोंकी दावेदारी, फिर याद आया वो दौर जब शबनम मौसी बनी थीं यहां से विधायक

MP Election 2023: शहडोल के लोग एक बार फिर से 23 साल पहले के उस दौर को याद कर रहे हैं जब साल 2000 में जिले की सोहागपुर विधानसभा सीट से शबनम मौसी ने जीत दर्ज करके राजनीति में इतिहास रच दिया था. उस दौर को याद करने की वजह इस बार जैतपुर सीट से चुनावी मैदान में किन्नर काजल मौसी की दावेदारी है.

Shahdol Kinner Candidate Kajal Mausi
शहडोल किन्नर प्रत्याशी काजल मौसी
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 1, 2023, 5:46 PM IST

Updated : Nov 1, 2023, 6:16 PM IST

शहडोल। शहडोल जिला भले ही आदिवासी बाहुल्य जिला है, लेकिन देश के राजनीतिक परिदृश्य में यह जिला इतिहास बनाता रहा है और हमेशा सुर्खियों में रहता है. इन दिनों विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां काफी तेज हैं. नामांकन फाइल करने का दौर खत्म हो चुका है और शहडोल जिले के जैतपुर विधानसभा सीट से अब किन्नर प्रत्याशी काजल मौसी ने नामांकन दाखिल करके फिर से उस 23 साल के दौर की यादें ताज़ा कर दी हैं, जब थर्ड जेंडर शबनम मौसी देश की पहली विधायक बनी थीं.

जैतपुर सीट से चुनावी मैदान में काजल मौसी : काजल मौसी जैतपुर विधानसभा की बुढार नगर परिषद की वार्ड नंबर 10 में रहती हैं. जैतपुर विधानसभा से 12 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं, हालांकि अभी नाम वापसी का दौर बाकी है. 2 नवंबर को ये तय हो जाएगा कि कितने प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे. इन सब के बीच जैतपुर विधानसभा सीट पर काजल मौसी ने जैसे ही नामांकन दाखिल किया है, वो सुर्खियों में आ गई हैं. काजल मौसी ने जैतपुर विधानसभा से वास्तविक भारत पार्टी से नामांकन दाखिल किया है.

23 साल बाद फिर चर्चा में शहडोल: शहडोल जिले में तीन विधानसभा सीट आती हैं और तीनों ही विधानसभा सीट आदिवासी आरक्षित सीट हैं. जिले में जैतपुर विधानसभा, ब्यौहारी विधानसभा और जयसिंहनगर विधानसभा सीट आती है. जैतपुर विधानसभा सीट इन दिनों काफी सुर्खियों में है, वजह है यहां से थर्ड जेंडर किन्नर काजल मौसी ने दावेदारी की है. लोग फिर से 23 साल पहले के उस दौर को याद कर रहे हैं जब साल 2000 में जिले की सोहागपुर विधानसभा सीट से शबनम मौसी ने जीत दर्ज करके प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में इतिहास बना दिया था.

Shahdol Kinner Candidate Kajal Mausi
शहडोल किन्नर प्रत्याशी काजल मौसी

देश की पहली किन्नर विधायक शबनम मौसी: साल 2000 वह दौर था जब शहडोल जिले की सोहागपुर विधानसभा सीट हुआ करती थी, हालांकि परिसीमन के बाद से सोहागपुर विधानसभा सीट का कुछ हिस्सा जैतपुर विधानसभा में आ गया और कुछ हिस्सा जयसिंहनगर विधानसभा सीट में चला गया. साल 2000 में हुए उप चुनाव में यहां किन्नर शबनम मौसी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी दावेदारी ठोकी थी.

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साल 2000 से पहले सोहागपुर विधानसभा सीट कांग्रेस की गढ़ मानी जाती थी, यहां से पूर्व मंत्री स्वर्गीय केपी सिंह लगातार जीत दर्ज करते आ रहे थे. साल 1998 में जब विधानसभा चुनाव हुआ तब भी केपी सिंह ही जीतकर आए लेकिन साल 2000 में उनका अचानक निधन हो गया जिसके बाद सोहागपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस ने अपने गढ़ को बचाने के लिए स्वर्गीय कृष्ण पाल सिंह के पुत्र बृजेश सिंह को चुनावी मैदान में उतारा, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से भाजपा के पूर्व मंत्री लल्लू सिंह को मैदान में उतारा गया था.

कांग्रेस के गढ़ पर शबनम मौसी ने किया था कब्जा: शहडोल जिले की सोहागपुर विधानसभा सीट हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रही है इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जब देश में इमरजेंसी के बाद चुनाव हुए, तो उसमें जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी चुनाव हार गई थीं तब भी शहडोल की सोहागपुर सीट से कांग्रेस के केपी सिंह ने विजय हासिल की थी. जब केपी सिंह की मृत्यु हुई और साल 2000 में उपचुनाव हुए तो उसमें शबनम मौसी देश की पहली किन्नर विधायक बनीं और सुर्खियों में आ गईं.

साल 2000 में शबनम मौसी अनूपपुर में रहती थीं: ये वो दौर था जब लोगों में राजनीतिक दलों के प्रति जमकर गुस्सा था. कांग्रेस की दिग्विजय सरकार से लोग नाराज थे, इसके बाद सोहागपुर विधानसभा सीट से शबनम मौसी ने भी अपना नामांकन दाखिल किया और चुनावी मैदान में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर कूद गईं. कांग्रेस और बीजेपी के अधिकृत प्रत्याशियों सहित टोटल 9 लोग उस दौरान सोहागपुर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में थे. शबनम मौसी को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव चिन्ह पतंग मिला था इसके बाद से ही शबनम मौसी की पतंग ने चुनावी आसमान में इतनी उड़ान भरी की बाकी प्रत्याशी उनके आसपास भी नहीं टिक सके.

शबनम मौसी ने इतिहास बना दिया: उस चुनाव में शबनम मौसी ने जीत ही नहीं हासिल की थी, बल्कि बड़ी जीत हासिल की थी. कहा जाता है कि जितने वोट बीजेपी और कांग्रेस के दोनों प्रत्याशी मिलकर नहीं पाए थे उससे ज्यादा वोट तो शबनम मौसी ने अकेले हासिल कर लिया था. शबनम मौसी को टोटल 39,937 वोट मिले थे. कांग्रेस के प्रत्याशी दिवंगत विधायक केपी सिंह के पुत्र बृजेश सिंह को 17,282 वोट मिले थे, वहीं भाजपा के लल्लू सिंह को 22,074 वोट मिले थे और वह दूसरे स्थान पर रहे थे. हालांकि, जब अगला विधानसभा चुनाव हुआ तो उसमें शबनम मौसी को हार का सामना करना पड़ा था.

शबनम मौसी पर फ़िल्म भी बनी: बता दें की शबनम मौसी देश की पहली किन्नर विधायक बनीं, जिसके बाद वो सुर्खियों में आ गई थीं. उनसे प्रेरित होकर साल 2005 में शबनम मौसी के जीवन पर शबनम मौसी नामक एक फिल्म भी बनाई गई थी जिसमे शबनम मौसी की भूमिका मध्य प्रदेश के अभिनेता आशुतोष राणा ने निभाई थी.

शहडोल। शहडोल जिला भले ही आदिवासी बाहुल्य जिला है, लेकिन देश के राजनीतिक परिदृश्य में यह जिला इतिहास बनाता रहा है और हमेशा सुर्खियों में रहता है. इन दिनों विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां काफी तेज हैं. नामांकन फाइल करने का दौर खत्म हो चुका है और शहडोल जिले के जैतपुर विधानसभा सीट से अब किन्नर प्रत्याशी काजल मौसी ने नामांकन दाखिल करके फिर से उस 23 साल के दौर की यादें ताज़ा कर दी हैं, जब थर्ड जेंडर शबनम मौसी देश की पहली विधायक बनी थीं.

जैतपुर सीट से चुनावी मैदान में काजल मौसी : काजल मौसी जैतपुर विधानसभा की बुढार नगर परिषद की वार्ड नंबर 10 में रहती हैं. जैतपुर विधानसभा से 12 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं, हालांकि अभी नाम वापसी का दौर बाकी है. 2 नवंबर को ये तय हो जाएगा कि कितने प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे. इन सब के बीच जैतपुर विधानसभा सीट पर काजल मौसी ने जैसे ही नामांकन दाखिल किया है, वो सुर्खियों में आ गई हैं. काजल मौसी ने जैतपुर विधानसभा से वास्तविक भारत पार्टी से नामांकन दाखिल किया है.

23 साल बाद फिर चर्चा में शहडोल: शहडोल जिले में तीन विधानसभा सीट आती हैं और तीनों ही विधानसभा सीट आदिवासी आरक्षित सीट हैं. जिले में जैतपुर विधानसभा, ब्यौहारी विधानसभा और जयसिंहनगर विधानसभा सीट आती है. जैतपुर विधानसभा सीट इन दिनों काफी सुर्खियों में है, वजह है यहां से थर्ड जेंडर किन्नर काजल मौसी ने दावेदारी की है. लोग फिर से 23 साल पहले के उस दौर को याद कर रहे हैं जब साल 2000 में जिले की सोहागपुर विधानसभा सीट से शबनम मौसी ने जीत दर्ज करके प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में इतिहास बना दिया था.

Shahdol Kinner Candidate Kajal Mausi
शहडोल किन्नर प्रत्याशी काजल मौसी

देश की पहली किन्नर विधायक शबनम मौसी: साल 2000 वह दौर था जब शहडोल जिले की सोहागपुर विधानसभा सीट हुआ करती थी, हालांकि परिसीमन के बाद से सोहागपुर विधानसभा सीट का कुछ हिस्सा जैतपुर विधानसभा में आ गया और कुछ हिस्सा जयसिंहनगर विधानसभा सीट में चला गया. साल 2000 में हुए उप चुनाव में यहां किन्नर शबनम मौसी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी दावेदारी ठोकी थी.

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साल 2000 से पहले सोहागपुर विधानसभा सीट कांग्रेस की गढ़ मानी जाती थी, यहां से पूर्व मंत्री स्वर्गीय केपी सिंह लगातार जीत दर्ज करते आ रहे थे. साल 1998 में जब विधानसभा चुनाव हुआ तब भी केपी सिंह ही जीतकर आए लेकिन साल 2000 में उनका अचानक निधन हो गया जिसके बाद सोहागपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस ने अपने गढ़ को बचाने के लिए स्वर्गीय कृष्ण पाल सिंह के पुत्र बृजेश सिंह को चुनावी मैदान में उतारा, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से भाजपा के पूर्व मंत्री लल्लू सिंह को मैदान में उतारा गया था.

कांग्रेस के गढ़ पर शबनम मौसी ने किया था कब्जा: शहडोल जिले की सोहागपुर विधानसभा सीट हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रही है इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जब देश में इमरजेंसी के बाद चुनाव हुए, तो उसमें जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी चुनाव हार गई थीं तब भी शहडोल की सोहागपुर सीट से कांग्रेस के केपी सिंह ने विजय हासिल की थी. जब केपी सिंह की मृत्यु हुई और साल 2000 में उपचुनाव हुए तो उसमें शबनम मौसी देश की पहली किन्नर विधायक बनीं और सुर्खियों में आ गईं.

साल 2000 में शबनम मौसी अनूपपुर में रहती थीं: ये वो दौर था जब लोगों में राजनीतिक दलों के प्रति जमकर गुस्सा था. कांग्रेस की दिग्विजय सरकार से लोग नाराज थे, इसके बाद सोहागपुर विधानसभा सीट से शबनम मौसी ने भी अपना नामांकन दाखिल किया और चुनावी मैदान में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर कूद गईं. कांग्रेस और बीजेपी के अधिकृत प्रत्याशियों सहित टोटल 9 लोग उस दौरान सोहागपुर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में थे. शबनम मौसी को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव चिन्ह पतंग मिला था इसके बाद से ही शबनम मौसी की पतंग ने चुनावी आसमान में इतनी उड़ान भरी की बाकी प्रत्याशी उनके आसपास भी नहीं टिक सके.

शबनम मौसी ने इतिहास बना दिया: उस चुनाव में शबनम मौसी ने जीत ही नहीं हासिल की थी, बल्कि बड़ी जीत हासिल की थी. कहा जाता है कि जितने वोट बीजेपी और कांग्रेस के दोनों प्रत्याशी मिलकर नहीं पाए थे उससे ज्यादा वोट तो शबनम मौसी ने अकेले हासिल कर लिया था. शबनम मौसी को टोटल 39,937 वोट मिले थे. कांग्रेस के प्रत्याशी दिवंगत विधायक केपी सिंह के पुत्र बृजेश सिंह को 17,282 वोट मिले थे, वहीं भाजपा के लल्लू सिंह को 22,074 वोट मिले थे और वह दूसरे स्थान पर रहे थे. हालांकि, जब अगला विधानसभा चुनाव हुआ तो उसमें शबनम मौसी को हार का सामना करना पड़ा था.

शबनम मौसी पर फ़िल्म भी बनी: बता दें की शबनम मौसी देश की पहली किन्नर विधायक बनीं, जिसके बाद वो सुर्खियों में आ गई थीं. उनसे प्रेरित होकर साल 2005 में शबनम मौसी के जीवन पर शबनम मौसी नामक एक फिल्म भी बनाई गई थी जिसमे शबनम मौसी की भूमिका मध्य प्रदेश के अभिनेता आशुतोष राणा ने निभाई थी.

Last Updated : Nov 1, 2023, 6:16 PM IST
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